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फिल्म रिव्यू: हैप्पी एंडिंग

और आज इस बात का भी यकीन हो गया कि हमारी फिल्मों की तरह हमारी जिंदगी में भी एंड तक सब कुछ ठीक हो ही जाता है..हैप्पीज एंडिंग्ज.. ये डायलॉग कुछ सुना-सुना लग रहा है ना! जी हां,  ये लाइनें शाहरुख...

फिल्म रिव्यू: हैप्पी एंडिंग
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 21 Nov 2014 07:14 PM
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और आज इस बात का भी यकीन हो गया कि हमारी फिल्मों की तरह हमारी जिंदगी में भी एंड तक सब कुछ ठीक हो ही जाता है..हैप्पीज एंडिंग्ज..

ये डायलॉग कुछ सुना-सुना लग रहा है ना! जी हां,  ये लाइनें शाहरुख खान की हैं,  जो उन्होंने फिल्म ‘ओम शांति ओम’ के एक चर्चित सीन में कही थीं। फिल्मों में हैप्पी एंडिंग यानी सुखद अंत का फॉर्मूला बरसों से चला आ रहा है, मतलब कि काम निबट गया और सब राजी-खुशी रहने लगे। लेकिन सैफ अली खान के बैनर तले बनी रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म ‘हैप्पी एंडिंग’ का सीन कुछ और है।

सीन 1- फिल्म का नायक यूडी (सैफ अली खान)  एक लेखक है और फिलहाल पैसों की तंगी से जूझ रहा है। उसकी जिंदगी में लड़कियां फोन कॉल्स की तरह आती-जाती रहती हैं,  पर वो किसी को आई लव यू तक नहीं बोलता,  क्योंकि उसे कमिटमेंट से एलर्जी है। उसकी इस एलर्जी से विशाखा (कल्कि कोचलिन)  को कोई प्रॉब्लम नहीं है,  जो अपने किस्म की एक चिपकू लड़की है। इतनी चिपकू कि वो यूडी के मोबाइल में व्यक्ति को ट्रैक करने वाली ऐप तक डाल देती है और बाथरूम में नहाते हुए यूडी का वीडियो बना कर उसे ब्लैकमेल तक करती है।

सीन 2- यूडी का एक दोस्त है मोन्टू (रणवीर शौरी),  जो अपनी बीवी से बेहद डरता है। मोन्टू बाप बनने वाला है, जिसके लिए वो बिल्कुल तैयार नहीं है। घर में झूठे बहाने बना कर वो यूडी के साथ पब में मस्ती करने चला जाता है।

सीन 3-  पैसे और काम के संकट से परेशान यूडी को एक दिन उसका एजेंट बॉलीवुड के एक सुपरस्टार अरमानजी (गोविंदा) से मिलवाता है। अरमान यूडी को एक रोमांटिक-कॉमेडी कहानी लिखने को कहता है। अरमान का सीधा फंडा है कि 3-4 हॉलीवुड फिल्मों से 20-25 सीन उठाओ,  देसी हीरो फिट करो,  एक आइटम सॉन्ग डालो और फिल्लम हिट।

सीन 4- फिल्म की कहानी लिखने के दौरान यूडी की मुलाकात अर्चना रेड्डी (इलियाना डिक्रूज) नामक एक लेखिका से होती है,  जिससे पहले उसकी तकरार होती है और फिर धीरे-धीरे प्यार। पर अर्चना भी यूडी की ही तरह है। उसे भी कमिटमेंट से एलर्जी है। और हां,  ये वही अर्चना है,  जिसकी वजह से यूडी को पैसों की तंगी का सामना करना पड़ रहा है।

सीन 5- कहानी में आगे क्या होता है। ये जानने के लिए कृपया फिल्म देखें..

एक अभिनेता के रूप में सैफ को हॉलीवुड फिल्में हमेशा से ही आकर्षित करती रही हैं। और जब कुछ साल पहले वो निर्माता बने तो अपने बैनर की फिल्मों का निर्माण भी हॉलीवुड स्टाइल में करने लगे। ‘लव आजकल’,  ‘एजेंट विनोद’, ‘कॉकटेल’ और ‘गो गोवा गॉन’ के बाद ‘हैप्पी एंडिंग’ इसका ताजा उदाहरण है। मोटे तौर पर फिल्म की पैकेजिंग अच्छी है। फिर भी ये फिल्म कुछ हिस्सों में ही मजा देती है,  लेकिन वो मजा सैफ के सीन्स से लगभग नदारद है।

फिल्म में एक सीन है,  जिसमें यूडी कहता है ‘आई एम यंग’। ये बात फिल्म नायक यूडी और खुद सैफ भी जानते हैं कि वो आज की तारीख में कितने यंग हैं और दिखते हैं,  लेकिन जब ये बात स्क्रीन पर आती है तो इसे कहने में खुद नायक को भी हिचकिचाहट होती है। फिर वो कहता है- ‘आईएम यंग एट हॉर्ट’ यानी दिल से जवां.. सैफ पर ये किरदार थोड़ा कम सूट किया है। उनकी बॉडी लैंग्वेज लेखक की नहीं लगती या कहिए अब उनमें वो रोमांटिक हीरो वाली झलक नहीं दिखती,  जैसी कभी ‘हम तुम’,  ‘कल हो ना हो’ या फिर ‘सलाम नमस्ते’ जैसी फिल्मों में दिखी थी। इसलिए इस फिल्म में सैफ सबसे मिसफिट लगे हैं।

दूसरी गड़बड़ इलियाना के साथ हुई है। उनकी हिंदी तमिल या तेलुगू जैसी लगती है। अर्चना का किरदार भी काफी कमजोर लिखा गया है। फिर यूडी और अर्चना के किरदारों में स्क्रीन केमिस्ट्री भी दिखाई नहीं पड़ती। फिल्म में राहत मिलती है तो बस गोविंदा और रणवीर शौरी के किरदारों से। अरमानजी का किरदार रोचक है और गोविंदा ने उसे निभाया भी तबीयत से है। ‘किल दिल’ में भैयाजी का किरदार और इसके बाद अरमानजी के किरदार में गोविंदा ने सही मायने में कमबैक किया है। फिल्म का एकमात्र हिट गीत नाचो सारे जी फाड़के.. भी गोविंदा के खाते में ही गया है।

गोविंदा के बाद रणवीर शौरी ने फिल्म में बांधे रखा है। हालांकि सैफ के मुकाबले रणवीर के सीन काफी कम हैं। बेशक सैफ हीरो हैं और रणवीर का किरदार फिलर से बस कुछ ज्यादा है,  लेकिन यहां कहने से गुरेज नहीं कि अगर लेखकों को आजादी दी जाती तो वह गोविंदा और रणवीर के किरदारों को और फुटेज देकर सैफ का वजन कम कर सकते थे। और ऐसा होता तो ये फिल्म औसत से ऊपर जा सकती थी। दूसरी बात ये भी कि सैफ इस तरह के किरदार पहले भी निभा चुके हैं। ‘लव आजकल’ और ‘कॉकटेल’ में भी तो हीरो कमिटमेंट से ही डरता है। फिर भी विदेशी लोकेशंस,  लग्जरी गाड़ियां,  स्टार्स की स्टाइलिंग, अच्छा संगीत और सिनेमैटोग्राफी को पसंद करने वालों को यह  फिल्म अच्छी लग सकती है।

कलाकार:  सैफ अली खान,  इलियाना डिक्रूज,  गोविंदा,  कल्कि कोचलिन,  रणवीर शौरी
निर्देशक-लेखक: राज नेडिमोरु और कृष्णा डीके
निर्माता:  सैफ अली खान,  दिनेश विजन और सुनील ए. लुल्ला
संगीत:  सचिन-जिगर

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