फिल्म रिव्यू: क्रेजी कुक्कड़ फैमिली
‘क्रेजी कुक्कड़ फैमिली’ बेरी फैमिली की कहानी है, जिसमें एक बाप (यूसुफ हुसैन) है, जिसके पास बहुत बड़ी प्रॉपर्टी है। वह कोमा में है और उसके बच्चे उसकी जिंदगी पर...
‘क्रेजी कुक्कड़ फैमिली’ बेरी फैमिली की कहानी है, जिसमें एक बाप (यूसुफ हुसैन) है, जिसके पास बहुत बड़ी प्रॉपर्टी है। वह कोमा में है और उसके बच्चे उसकी जिंदगी पर फुलस्टॉप लगने का इंतजार कर रहे हैं। सीनियर बेरी के चार बच्चे हैं- पवन बेरी (स्वानंद किरकिरे), अर्चना बेरी (शिल्पा शुक्ला), अमन बेरी (कुशल पंजाबी) और छोटू यानी अभय बेरी (सिद्धार्थ शर्मा)। कहानी इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। सीनियर बेरी की हर संतान की अपनी समस्याएं, महत्वाकांक्षाएं और जरूरतें हैं। पवन को कर्ज चुकाने के लिए पैसा चाहिए। अर्चना पहले ‘मिस इंडिया’ बनना चाहती थी, लेकिन बन नहीं पाती। शादी के बाद वह ‘मिसेज इंडिया’ बनना चाहती है, इसलिए उसे भी पैसों की जरूरत है। अमन को अमेरिका के ग्रीन कार्ड और न्यूजीलैंड में बसने की तमन्ना रखने वाले छोटू को भी अपनी जिंदगी संवारने के लिए पैसे चाहिए। चारों अलग-अलग रहते हैं, लेकिन मरणासन्न पिता की प्रॉपर्टी का लालच उन्हें इकट्ठा करता है और शुरू होती है उनके कुक्कड़पने की कहानी।
फिल्म के निर्माता प्रकाश झा के लिए कॉमेडी कोई नया जॉनर नहीं है। वह पहले ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ जैसा स्तरीय धारावाहिक निर्देशित कर चुके हैं, लेकिन यह फिल्म उनकी प्रतिष्ठा के बिल्कुल अनुरूप नहीं है। न कहानी में दम है, न स्क्रिप्ट में और न प्रस्तुतीकरण में। फिल्म को देखते वक्त यह फिकरा बार-बार याद आता है- ‘कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा’। निर्देशक रितेश मेनन क्या कहना और दिखाना चाहते हैं, पता ही नहीं चलता।
यह एक कॉमेडी फिल्म है, मगर दो-तीन मौकों को छोड़ दिया जाए तो हंसी नहीं आती। क्लाइमैक्स में कुछ इमोशन डालने की कोशिश की गई है, लेकिन उससे भावुकता की बजाय हंसी आती है। इस फिल्म में कुछ और पता चले न चले, यह जरूर पता चल जाएगा कि न्यूजीलैंड में ‘समलैंगिक शादियों’ को कानूनी मान्यता प्राप्त है।
सितारे: स्वानंद किरकिरे, शिल्पा शुक्ला, कुशल पंजाबी, सिद्धार्थ शर्मा, निनाद कामत, नोरा फतेही, यूसुफ हुसैन, प्रवीणा देशपांडे
निर्देशक: रितेश मेनन
निर्माता: प्रकाश झा
बैनर: प्रकाश झा प्रोडक्शंस
कहानी: सुहास शेट्टी, कुशल पंजाबी
स्क्रीनप्ले: सुहास शेट्टी, रितेश मेनन
संवाद: पुनीत शर्मा, सुहास शेट्टी