मेरे अपने अनुभवों की कहानी है ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’
निर्देशक शशांक खेतान ने एक बातचीत में यह स्वीकार किया कि क्लासिक रोमांटिक फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ से प्रेरित होकर उन्होंने फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ बनाई...
निर्देशक शशांक खेतान ने एक बातचीत में यह स्वीकार किया कि क्लासिक रोमांटिक फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ से प्रेरित होकर उन्होंने फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ बनाई है।
फिल्म में आने का फैसला कब लिया?
सिनेमाई परदे पर क्लासिक रोमांस लोगों को हमेशा आकर्षित करता है। मुङो अच्छी तरह से याद है कि जब मैं टीन एज में था, तब मुङो रोमांटिक फिल्में बहुत पसंद आती थीं। यदि मैंने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ नहीं देखी होती तो शायद मैं फिल्मों में न होता। इस फिल्म को देखने के बाद ही सिनेमा की पढ़ाई करने और इसे करियर बनाने की बात मेरे मन में आई थी। जब मैं फिल्म स्कूल में पढ़ाई कर रहा था, उस वक्त ‘कासाब्लांका’ फिल्म मेरे दिल में इस कदर समाई कि मैंने अपनी पहली फिल्म की स्क्रिप्ट लिखनी शुरू कर दी।
पर आपने तो अभिनय की ट्रेनिंग के लिए फिल्म इंस्टीटय़ूट ज्वाइन किया था?
सही है, पहले अभिनेता ही बनना चाहता था, पर पढ़ाई के दरमियान लगा कि मुङो लेखक और निर्देशक बनना चाहिए। सुभाष घई के ह्विसलिंग वुड्स फिल्म इंस्टीटय़ूट की खासियत यह है कि यहां पर अभिनय से लेकर लेखन व निर्देशन सहित फिल्म विधा की पूरी शिक्षा दी जाती है। जब मैं लेखन व निर्देशन की क्लास में जाता था तो वहां सभी शिक्षक मुङो इसी में करियर बनाने की सलाह दिया करते थे।एक दिन यही बात सुभाष घई ने भी कही। इस बीच मैंने अपनी पहली फिल्म की स्क्रिप्ट लिखनी शुरू कर दी थी। इंस्टीटय़ूट से निकलने के बाद मैं आदित्य चोपड़ा से मिला। उस वक्त वहां फिल्म ‘इशकजादे’ पर काम चल रहा था। इस फिल्म में बतौर सहायक निर्देशक काम करने के अलावा मैंने एक छोटा-सा किरदार भी निभाया।
आपकी फिल्म कहीं न कहीं ‘डीडीएलजे’ की नकल लगती है?
यह फिल्म हमेशा से मेरे दिल के बेहद करीब है। हो सकता है कि इसकी कुछ झलक लोगों को हमारी फिल्म में नजर आ रही हो, पर कहीं से नकल नहीं है। फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ की कहानी ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ से काफी अलग है। यह बेहद ईमानदारी से बनाई हुई फिल्म है। इस फिल्म में कहीं कोई मिलावट नहीं है। हमारी फिल्म का मकसद लोगों का मनोरंजन करना है।
फिल्म बननी कैसे शुरू हुई?
स्क्रिप्ट पूरी होने के बाद मैंने इसे ‘धर्मा प्रोडक्शन’ में करण जाैहर के पास भेजा। उन्हें स्क्रिप्ट पसंद आ गई और मुङो निर्देशन की जिम्मेदारी भी थमा दी।
फिल्म का नाम किसने दिया?
करण जौहर ने। मैं उनके पास ‘हम्प्टी शर्मा’ टाइटल से स्क्रिप्ट लेकर गया था।
कहानी कैसे उपजी?
मैंने पहले ही कहा कि ‘कासाब्लांका’ देखने के बाद स्क्रिप्ट लिखनी शुरू की थी। फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ की कहानी अम्बाला और दिल्ली की है, जो मेरी निजी जिंदगी में किए गए अनुभवों का सार है। फिल्म के पात्र, उनका फ्लैमबॉयंस, भोलापन और एटीटय़ूड सब मेरी निजी जिंदगी के हिस्सा हैं।
फिल्म निर्देशन का पहला अनुभव?
बहुत अच्छा। मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि एक अच्छी टीम बनाई और फिर सबने एक साथ फिल्म बनाने की यात्रा तय की। मुङो प्रतिभाशाली तकनीशियन-कलाकारों का साथ मिला।
कलाकारों का चयन आपने ही किया?
जी हां! करण जौहर ने मुझे पूरी छूट दी।
फिल्म की यूएसपी क्या है?
यह फिल्म एनर्जी और फन से भरपूर है। हमारी फिल्म में हम्प्टी शर्मा एक ऐसा स्ट्रगलर है, जिसके साथ लोग रिलेट कर सकेंगे। यह पूरी तरह से फिल्मी लव स्टोरी है। इसमें कहीं कोई संदेश नहीं है।
भविष्य की योजना?
ईमानदारी से अच्छा काम करना है।