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फिल्म रिव्यू : हैप्पी न्यू ईयर

इस दुनिया में दो तरह के इंसान होते हैं, विनर्स और लूजर्स। यानी जीतने वाले और हारने वाले...। शाहरुख खान इस संवाद को फिल्म में कई बार बोलते हैं। अब थोड़ा फ्लैशबैक में चलते हैं। 2010 में फिल्म...

फिल्म रिव्यू : हैप्पी न्यू ईयर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Oct 2014 11:39 AM
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इस दुनिया में दो तरह के इंसान होते हैं, विनर्स और लूजर्स। यानी जीतने वाले और हारने वाले...। शाहरुख खान इस संवाद को फिल्म में कई बार बोलते हैं। अब थोड़ा फ्लैशबैक में चलते हैं। 2010 में फिल्म ‘माई नेम इज खान’ में शाहरुख का संवाद था- ‘दुनिया में दो तरह के इंसान होते हैं, अच्छे या बुरे।’ हो सकता है कि उनकी अगली किसी फिल्म में संवाद हो-‘फिल्में दो तरह की होती हैं, अच्छी या बुरी।’ इंसानों की पहचान महज दो शब्दों में करने वाले शाहरुख की फिल्मों के लेखकों को समझना चाहिए कि दर्शक बहुत प्रकार के होते हैं और उनके मनोरंजन की चाहत भी अलग-अलग होती है।

‘हैप्पी न्यू ईयर’ एक खुशनुमा माहौल में रिलीज हुई है। दीपावली का मौका है, नई सरकार की पहली दिवाली है, फिल्म में चमचमाता दुबई है और आंखें चुंधियाते फराह खान के सितारे हैं। यही कारण है कि इस फिल्म को रूटीन पैमाने पर आंकने का दिल नहीं कर रहा है, क्योंकि ये कहानी है चार्ली (शाहरुख खान) की, जिसे अपने पिता की बेइज्जती का बदला लेना है चरण ग्रोवर (जैकी श्रॉफ) से, जो अब एक डायमंड किंग बन चुका है।
चार्ली को उसके करोड़ों रुपये के हीरे चुराने हैं। इसके लिए वो अपनी टीम में टैमी (बमन ईरानी), नंदू (अभिषेक बच्चन), जग (सोनू सूद), रोहन (विवान शाह) और मोहिनी (दीपिका पादुकोण) को शामिल करता है, पर चरण ग्रोवर ने हीरो को कड़ी सुरक्षा में रखा है। एक ऐसी तिजोरी में, जिसे चार्ली के पिता ने बनाया था। तिजोरी तक पहुंचने के लिए ये सारे एक डांस कम्पिटीशन में हिस्सा लेते हैं। सब कुछ प्लान के मुताबिक ही चल रहा होता है, लेकिन इन सबको ऐन मौके पर पता चलता है कि हीरे क्रिसमस पर नहीं, बल्कि न्यू ईयर की शाम को तिजोरी में पहुंचेंगे। और फिर..

शाहरुख खान अक्सर कहते हैं कि वो अपनी फिल्मों में दर्शकों को वह सब दिखाते हैं, जो आम आदमी की पहुंच से दूर है। आखिर इंसान 200-400 रुपये खर्च करके कुछ नया देख कर घर जाए, न कि रो-धोकर। बेशक, इस लिहाज से शाहरुख की ये फिल्म बेहतरीन है। फिल्म का लुक बेहद कलरफुल है। कलाकारों के कॉस्ट्यूम्स, दुबई की लोकेशंस, गीत-संगीत, कॉमेडी वगैरह-वगैरह...। ये सब देख कर फील गुड होता, अच्छे दिन का एहसास-सा होता है। लेकिन, जब बात एक विशालकाय तिजोरी से हीरे उड़ाने की होती है, तो मामला फंस जाता है कि आखिर फिल्मों में सब कुछ इतनी आसानी से कैसे हो जाता है!

फिर भी फराह खान ने इसे अपने ही अंदाज में संवारा है। उन्होंने अभिषेक बच्चन के अभिनय में फिर संभावना पैदा की है। बमन के साथ अभिषेक की जोड़ी फिल्म में बांधे रखती है। शाहरुख, बस फिल्म में अपनी बांहें फैला देते हैं तो पैसे वसूल हो जाते हैं। दीपिका बढ़िया हैं, बिंदास भी। पूरी फिल्म एक फन राइड है, जिसमें ढेर सारे फनी पल हैं। इन पलों में लॉजिक की गुंजाइश एक फीसदी भी नहीं है, क्योंकि बोस्टन यूनिवर्सिटी का टॉपर चार्ली फाइट क्लब में क्या कर रहा है, ये सोचने लगेंगे तो अनुराग कश्यप की शरण में जाना पड़ेगा। इसलिए, एक चमचमाती, कलरफुल और हल्की-फुल्की सी कॉमेडी फिल्म देखनी है, तो इस फिल्म की टिकट का जुगाड़ कर लो।

कलाकार : शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, अभिषेक बच्चन, बमन ईरानी, सोनू सूद, विवान शाह, जैकी श्रॉफ
निर्देशक : फराह खान
निर्माता : गौरी खान, शाहरुख खान
संगीत : विशाल-शेखर

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