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दीपावली के साथ न्याय नहीं किया फिल्मकारों ने

बॉलीवुड में फिल्मकारों ने कई पर्व-त्योहारों को अपनी फिल्मों में कहानी का हिस्सा बनाकर पेश किया है लेकिन रोशनी के महापर्व 'दीपावली' को रूपहले पर्दे पर वह नहीं के बराबर पेश करतें है और कभी करते भी हैं...

दीपावली के साथ न्याय नहीं किया फिल्मकारों ने
एजेंसीThu, 23 Oct 2014 01:17 PM
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बॉलीवुड में फिल्मकारों ने कई पर्व-त्योहारों को अपनी फिल्मों में कहानी का हिस्सा बनाकर पेश किया है लेकिन रोशनी के महापर्व 'दीपावली' को रूपहले पर्दे पर वह नहीं के बराबर पेश करतें है और कभी करते भी हैं तो वह कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं होता है।
   
हिंदी फिल्मों के इतिहास पर यदि एक नजर डालें तो पायेगें कि फिल्मों में दीपावली का चित्रण नहीं के बराबर किया गया हैं। वैसे कुछ फिल्में ऐसी हैं जिनमें खुशियों के प्रतीक के रूप में इस पर्व को दिखाया गया है लेकिन उन फिल्मों में भी यह बोनस, छुट्टी, रोशनी तथा आतिशबाजी तक ही सीमित रह जाता है, जो कहानी का अह्म हिस्सा नहीं होती।
   
देखा जाए तो कम ही फिल्मों में दीपावली को विशेष स्थान दिया गया है, जो कहानी का अहम हिस्सा रही हैं। वर्ष 1973 में प्रदर्शित प्रकाश मेहरा की सुपरहिट फिल्म 'जंजीर' का नाम भी ऐसी ही फिल्मों में आता है। जिसमें सदी के महानायक अभिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिका निभायी थी।
   
फिल्म की शुरुआत उस समय होती है, जब दीपावली पर एक घर के आसपास का सारा माहौल रोशनी से जगमग रहता है। ऐसे खुशनुमा माहौल में एक अपराधी चालनुमा मकान के एक कमरे में प्रवेश करता है और आतिशबाजी की गूंज के बीच उसके रिवॉल्वर से गोली निकलती है और देखते ही देखते एक मासूम बच्चे की दुनिया उजड़ जाती है। यह दृश्य सिने प्रेमी शायद ही कभी भूल पायें।

दीपावली का पर्व आशाओं, आकांक्षाओं से भरे उत्सव के रूप में मनाये जाने की परंपरा है। फिल्म 'मुझे कुछ कहना है' में इस पर्व को कुछ ऐसे ही तरीके से पेश किया गया है। फिल्म के एक दृश्य में फिल्म का नायक तुषार कपूर अपने परिवार की नजर में एकदम निकम्मा है और उससे किसी को कोई उम्मीद नही हैं। दीपावली की रात को वह एकदम हताश होकर सड़कों पर भटक रहा होता है तभी अचानक फिल्म की नायिका करीना कपूर को देखकर उसके जीवन में नई उमंग और आशा का संचार होता है।
   
देखा जाये तो हाल के वर्षों में कुछ अन्य फिल्मों में भी दीपावली से जुड़े दृश्यों का सहारा लिया गया है। इनमें 'हम आपके है कौन एक रिश्ता द बॉन्ड ऑफ लव' ख्वाहिश आदि शामिल है लेकिन इनमें दीपावली के दृश्य दिखाये तो गये है लेकिन वह कहीं से भी कहानी का हिस्सा नहीं लगते है। इनके बिना भी फिल्म का निर्माण हो सकता था। काफी हद तक महेश मांजरेकर की संजय दत्त अभिनीत फिल्म 'वास्तव' में दीपावली के दृश्य को कहानी का हिस्सा बनाकर पेश किया गया है।
     
इन सबके साथ ही दीपावली से जुड़े गीत को फिल्मकार ने कभी-कभी पेश किया है, दीपावली से जुड़े गीत है उनमें 'आई दीवाली की रौशनी', 'रतन आयी है', 'अबकी साल दीवाली', 'हकीकत दीवाली की रात पिया का घर', 'अमर कहानी', 'लाखों तारे आसमान में हरियाली और रास्ता', 'आयी है दीवाली', 'आमदनी अठन्नी खर्चा रूपया', 'हैप्पी दीवाली', 'होम डिलीवरी'।

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