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पढ़ें, सुर्खियों में रही फिल्म 'उड़ता पंजाब' का REVIEW

सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेट को लेकर विवाद होने से अचानक ही कोई फिल्म सुर्खियों में आ जाती है। देखते ही देखते ये राष्ट्रीय मुद्दा बन जाता है, जो सोशल मीडिया पर एक आंदोलन की शक्ल ले लेता है। फिर अचानक...

पढ़ें, सुर्खियों में रही फिल्म 'उड़ता पंजाब' का REVIEW
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 17 Jun 2016 05:51 PM
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सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेट को लेकर विवाद होने से अचानक ही कोई फिल्म सुर्खियों में आ जाती है। देखते ही देखते ये राष्ट्रीय मुद्दा बन जाता है, जो सोशल मीडिया पर एक आंदोलन की शक्ल ले लेता है। फिर अचानक हाईकोर्ट का आदेश आता है कि फिल्म को बिना किसी कांट-छांट के 'ए' सर्टिफिकेट के साथ रिलीज कर दिया जाए। दो दिन बाद ही फिल्म इंटरनेट पर लीक हो जाती है। इस उत्सुकता के साथ कि आखिर इस फिल्म में है क्या? लोग लीक हुए प्रिंट के जुगाड़ में लग जाते हैं और फिल्म की रिलीज के कुछ घंटे बाद समीक्षक भी इस फिल्म की तारीफ में सलमा सितारे जड़ देते हैं। 'उड़ता पंजाब' की चौंकाने वाली दुनिया में आपका स्वागत है।

एक फिल्म जो पंजाब जैसे राज्य में फैले नशे के धंधे को उजागर करती है, को लेकर उतनी दिलचस्पी क्यों? क्या केवल विवाद की वजह से? फिल्म देख कर अहसास हुआ कि सर्टिफिकेट विवाद नहीं हुआ होता तो ये फिल्म भवें तान देती। थोड़ा सोचने पर मजबूर करती और इस सोच के साथ घर तक आती कि अगर इसके किरदारों की कहानी में थोड़ी बहुत भी सच्चाई है तो, स्थिति वाकई बहुत भयावह है।

इस कहानी में एक-दो नहीं, बल्कि चार अलग-अलग किरदार हैं, जो पंजाब के किसी भी शहर से हो सकते हैं। चूंकि ये चारों किरदार किसी न किसी रूप में ड्रग्स से जुड़े हैं, इसलिए ये पंजाब के किसी भी शहर से हों, फर्क नहीं पड़ता।
टॉमी सिंह उर्फ दि गबरू (शाहिद कपूर) एक पॉप स्टार है और भयंकर नशेड़ी है। उसके हजारों-लाखों फैन्स हैं, जो उसके गीतों को सिर्फ इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि उन गीतों के बोल में कहीं न कहीं ड्रग्स-नशे का जिक्र होता है। टॉमी जैसे लोगों तक ड्रग्स पहुंचती है इंस्पेक्टर सरताज (दिलजीत दोसांझ) जैसे लोगों की बदौलत जो रिश्वत लेकर नशे के कारोबारियों को एक इलाके से दूसरे इलाके में बेहिचक आने-जाने देता हैं।

लेकिन एक दिन जब सरताज का अपना छोटा भाई बल्ली नशे की लत के कारण अस्पताल पहुंचता है तो उसे अहसास होता है कि ये लत किसी एक इंसान को नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार पर किस तरह से भारी पड़ती है। बल्ली का इलाज कर रही डॉ. प्रीत साहनी (करीना कपूर) सरताज को बताती है कि किस तरह से पंजाब के हर युवा की रग रग में ड्रग्स खून बन कर दौड़ रही है। दोनों ड्रग्स के रैकेट पर्दाफाश करने में जुट जाते हैं। लेकिन कहीं दूर पिंकी (आलिया भट्ट) नामक युवती को भी नशे के जहर की लत लग चुकी है। बिहार से यहां हॉकी प्लेयर बनने आयी पिंकी लालच में आकर नशे के सौदागरों के हत्थे चढ़ जाती है और वो उसकी जिंदगी नर्क बना देते हैं। दिलचस्प और रौंगटे खड़े कर देने वाले घटनाक्रम इन चारों किरदारों को आपस में एक कड़ी की तरह जोड़ देते हैं और तब उजागर होती है नशे के कारोबार की हकीकत।

ये फिल्म कहानी नहीं, बल्कि पात्रों का परिचय भर है। फिल्म की कहानी कुछ ऐसी है, जिसे बयां करने से ज्यादा अहम है उसे समझना। यही वजह है कि इंटरवल तक का समय किरदारों के परिचय और हल्के-फुल्के घटनाक्रम में ही बीत जाता है। लेकिन ये सब इतना विश्वसनीय ढंग से पेश किया गया है कि नशे के आतंक से जूझ रहे पंजाब के प्रति सहानुभूति-सी उमड़ने लगती है।

एक आतंक के रूप में 'उड़ता पंजाब' में दिखाया गया नशे के कारोबार का चित्रण फिल्मी नहीं लगता। खासतौर से अस्सी-नब्बे के दशक की फिल्मों जैसा। फिरोज खान की 1987 में आयी 'जांबाज' और उनके भाई संजय खान की 1986 में आयी 'काला धंधा गोरे लोग' में जिस फिल्मी अंदाज में भारत में ड्रग्स के आगमन और उसके दुष्प्रभाव को दिखाया गया था। या उसके बाद की तमाम फिल्मों में ड्रग्स को जिस तरह से भुनाया गया है, उससे ये फिल्म कोसों दूर है। इसे निर्देशक-निर्माता और उनकी पूरी टीम का सराहनीय प्रयास ही कहा जाएगा कि उन्होंने एक संवेदनशील मुद्दे पर बड़ी सावधानी से लोगों का ध्यानाकर्षण किया है। वो बात दिगर है कि ताजा विवाद से इसे और ज्यादा तवज्जो मिल गयी है। बावजूद इसके यह फिल्म चौंकाने के साथ-साथ कई बातों के लिए तारीफ के भी काबिल है।

करीब ढाई घंटे की इस फिल्म में 20 मिनट की फिल्म डॉक्यूमेंटरी स्टाइल की लगती है। लेकिन ये बात खलती नहीं है। इसकी बड़ी वजह है फिल्म में 'पॉपुलर' सितारों का होना। शाहिद पर नशेड़ी पॉप स्टार का किरदार बहुत ज्यादा सूट करता है। पता नहीं इसके लिए उन्होंने किसी देसी या अंतर्राष्ट्रीय कलाकार को फॉलो किया या नहीं, लेकिन हां आगे किसी को ये किरदार अदा करना होगा तो वह टॉमी सिंह को जरूर फॉलो कर सकता है। शाहिद के कई सीन्स लाजवाब हैं। ये देखना रोचक है कि एक पंजाबी रॉक स्टार के आस-पास के लोग किस तरह के होते हैं। टॉमी सिंह का किरदार ये दिखाता है कि नशे में चूर हो कर केवल उल्टे-सीधे मुंह बनाकर ही इस तरह के किरदार को नहीं जिया जा सकता। आप धैर्य रख कर, शांत स्वभाव से भी इस किरदार को अदा कर सकते हैं।

फिल्म 'शानदार' में शाहिद-आलिया की जोड़ी जितनी पकाऊ थी, उससे कहीं ज्यादा शानदार इस फिल्म में लगती है। दोनों के बीच कम सीन्स है, लेकिन हैं, वो भी काफी हैं। इन दोनों के किरदारों के बीच लव एंगल नहीं है, लेकिन जो भी एंगल हो, वो है बड़ा प्यारा। 'हाईवे' और '2 स्टेट्स' के बाद यह आलिया का अब तक का सबसे बढि़या काम है। शायद ग्लैमरस दिखने से कहीं ज्यादा मुश्किल होता होगा डी-ग्लैम दिखना। और वो भी आलिया जैसी लड़की, जो बड़ी ही कॉस्मैटिक्स की दुनिया के बीच हुई है। फिल्म में उनका लुक कुछ ऐसा है, जैसे कि इंसान आइने में खुद को देख कर डर जाए। ये सिर्फ मेक-अप का प्रभाव नहीं है। जब आप किसी किरदार को पूरी तरह से जीते हैं तो पिंकी ही बाहर निकलती है।

फिल्म में दिलजीत दोसांझ का सहज अंदाज देख कर पता लगता है कि ये बंदा महज पांच सालों में पंजाबी फिल्मों का सुपरस्टार कैसे बना होगा। हालांकि फिल्म देखते समय 'उड़ता पंजाब' का अपना एक आभामंडल सा दिखता है, जिसके पाश में आप धीरे-धीरे खुद को पाएंगे, लेकिन दिलजीत पर इस आभामंडल की आंच दिखाई नहीं पड़ती। शायद वह इस विषय से इतनी अच्छी तरह से इसलिए भी डील कर पाए, क्योंकि वह इस समस्या को नजदीक से जानते-पहचानते होंगे।

इसके अलावा करीना कपूर का किरदार अहम है। इसे लिखा भी अच्छे ढंग से गया है। यहां तारीफ करनी होगी अभिषेक चौबे और सुदीप शर्मा की, जिन्होंने फिल्म की दो महिला किरदारों को काफी मजबूती दी है। अपने बेहतरीन अभिनय के अलावा ये फिल्म अपने शिल्प की वजह से भी आकर्षित करती है। हालांकि कहानी कहने का अंदाज बेहद साधारण है, लेकिन चुस्त संपादन की वजह से यह रोचक बन जाता है। कहीं कहीं फिल्म की गति धीमी भी है, जो अखर सकती है।

अगर आप 'उड़ता पंजाब' को केवल इसके विवाद की वजह से देखने का मन बना रहे हैं तो घर बैठ सकते हैं। क्योंकि इस फिल्म को देखने की और तमाम वजहें हैं। विवाद तो एक बहाना है। सच ये है कि गालियों और सच्चे संवादों से पटी पड़ी ये फिल्म आपकी तालियां नहीं, तवज्जो मांगती है।
सितारे : शाहिद कपूर, करीना कपूर, आलिया भट्ट, दिलजीत दोसांझ, सतीश कौशिक
निर्देशक : अभिषेक चौबे
निर्माता : अनुराग कश्यप, एकता कपूर, समीर नायर, शोभा कपूर, विकास बहल
कहानी-पटकथा-संवाद : अभिषेक चौबे, सुदीप शर्मा
गीत : शीली, शिव कुमार बटालवी, वरुण ग्रोवर
संगीत : अमित त्रिवेदी
रेटिंग 3.5 स्टार

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