FILM REVIEW: फिल्म देखो तो जानोगे, क्यों है 'आरा की अनारकली' देसी तंदूर
कास्ट: स्वरा भास्कर, पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, इश्तियाक खान लेखक/ निर्देशक- अविनाश दास स्टार - 4 फिल्म की शुरुआत में शायद आपको लग सकता है कि आप किसी सिनेमा हॉल में नहीं बल
क्या है कहानी
अनारकली की मां भी देसी गायिका थी, जो एक शो के दौरान गोली का शिकार हो जाती है और मौके पर ही उनकी मौत हो जाती है। अनारकली अपनी मां की मौत के बाद यही पेशा अपनाती है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि मां के जिंदा रहने पर वो स्कूल भी जाती है तो उससे डबल मीनिंग गानें की ही डिमांड की जाती है, इस वजह से वो कभी अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं दे सकी।
अनारकली अपने पेशे से खुश है। उसे दशहरे के मौके पर पुलिस लोगों के एक कार्यक्रम में नाचने के लिए बुलाया जाता है, वहां विश्वविद्यालय के वीसी मुख्य अतिथि रहते हैं। वीसी की नजर काफी समय से अनारकली पर रहती है। कार्यक्रम में शराब पीने के बाद वीसी अपना होश खो बैठता है और नशे में सबके सामने अनारकली के साथ बदसलूकी कर बैठता है।
इसके बाद वीसी इस मुद्दे को दबाने के लिए अनारकली को खरीदने की कोशिश करता है और उसका इस्तेमाल करना चाहता है। बस यही से शुरू होती है अनारकली की लड़ाई की कहानी। एक तरफ अनारकली के वजूद की लड़ाई तो दूसरी तरफ वीसी के रूप में एक पुरुष का अहंकार। अनारकली इन सबसे बचकर दिल्ली भी जाती है और एक म्यूजिक कंपनी में उसे गाने का मौका भी मिल जाता है, लेकिन वीसी को इस बात का पता चल जाता है और वहां भी उसका जीना हराम कर दिया जाता है। अंत में अनारकली परिस्थिति से भागने की जगह उससे लड़ने का संकल्प लेती है और चल पड़ती है आरा की ओर। इसके बाद अनारकली सबके सामने वीसी की असलियत लाती है।
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