B'DAY SPECIAL: तीन खान भाइयों के 'दबंग' पिता सलीम खान
सलीम खान के जीवन की गाथा किसी फिल्म जैसी ही है। वो बंबई आए तो हीरो बनने थे, लेकिन बन गए एक लेखक। ऐसे लेखक, जिसने अपने जोड़ीदार जावेद अख्तर के साथ मिल कर सत्तर के दशक के हिन्दी सिनेमा को बिल्कुल बदल...
सलीम खान के जीवन की गाथा किसी फिल्म जैसी ही है। वो बंबई आए तो हीरो बनने थे, लेकिन बन गए एक लेखक। ऐसे लेखक, जिसने अपने जोड़ीदार जावेद अख्तर के साथ मिल कर सत्तर के दशक के हिन्दी सिनेमा को बिल्कुल बदल डाला था।
इन्होंने मसाला फिल्मों के वो किरदार परदे पर पेश किए, जिसे एक पूरी पीढ़ी अपना अपना आदर्श, अपना हीरो मानती रही।
* सलीम का जन्म इंदौर में हुआ। कहते हैं कि करीब 150 साल पहले उनके पूर्वज अफगानिस्तान, पश्तून से आकर यहां बस गए थे। उनके पिता पुलिस में थे, सो घर में कायदे से रहना उन्होंने बचपन से ही सीख लिया था।
* अपनी मां के जल्दी गुजर जाने के बाद सलीम खान ने 1964 में एक महाराष्ट्रियन लड़की सुशीला चरक से शादी कर ली थी। और शादी के बाद सलीम की जिंदगी में तेज घुमाव आया।
* एक शादी में सलीम को के. अमरनाथ ने उन्हें देखा जो कि 30-40 दशक में निर्देशक-निर्माता हुआ करते थे। उन्हें सलीम की कद-काठी और चेहरा-मोहरा हीरो वाला लगा। उन्होंने तुरंत उन्हें बंबई आने को कहा और यहां 400 रुपये प्रति पर नौकरी पर रख लिया।
* शुरुआत में सलीम को फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिले। किसी में बड़ा काम भी मिला। लेकिन वो बात नहीं बनी। वो लोगों की नजरों में चढ़ नहीं पा रहे थे।
* तभी उनकी मुलाकात जावेद अख्तर से हुई जो उस जमाने में क्लैपर ब्वॉय हुआ करते थे। जावेद भी संघर्ष कर रहे थे। कहा जाता है कि यूं तो दोनों की पहली मुलाकात फिल्म सरहदी लुटेरा (1966) के सेट पर हुई थी, जिसमें सलीम ने अभिनय किया था। लेकिन दोनों के बीच पक्की दोस्ती हुई इस फिल्म के बाद।
* सलीम अभिनय छोड़ कर लेखक/निर्देशक अबरार अलवी के सहायक बन गए थे तो उधर, जावेद कैफी आजमी के। कैफी और अलवी पड़ोसी थे। सो, ये दोनों अक्सर वहीं मिला करते थे। ये वो जमाना था जब किसी फिल्म के लिए कहानी-पटकथा और संवाद अलग-अलग लोग लिखा करते थे और लेखकों को फिल्म में क्रेडिट नहीं दिया जाता था।
* एक जोड़ी के रूप में इन दोनों को पहली बार क्रेडिट मिला फिल्म 'हाथी मेरे साथी' के लिए, जिसका श्रेय उस जमाने के सुपरस्टार राजेश खन्ना को जाता है।
* इसके बाद इस जोड़ी ने पीछे मुड़ कर नही देखा। इसके बाद सीता और गीता, यादों की बारात, जंजीर, मजबूर, हाथ की सफाई, दीवार, शोले, चाचा भतीजा, त्रिशूल, डॉन, काला पत्थार, दोस्ताना, शान, क्रांति, शक्ति और मिस्टर इंडिया जैसी फिल्में इनकी कलम के जादू ये हमेशा के लिए यादगार बन गईं।
* करीब दो दर्जन फिल्मों से अधिक एक साथ काम करने के बाद ये जोड़ी अलग हो गई। भारतीय सिनेमा के इतिहास की संभवत: एकमात्र अनोखी और सबसे कामयाब जोड़ी।
* सलीम खान ने दूसरी शादी 1981 में हेलन से की। हेलन, फिल्मों में बेशक एक कैबरे डांसर थीं, लेकिन भारतीय सिनेमा में उनका नाम आज भी बड़े अदब और कायदे से लिया जाता है।
* उनके परिवार में सलमान सबसे बड़े बेटे के रूप में जाने जाते हैं। उससे छोटे हैं अरबाज खान, जिन्होंने मलाइका अरोड़ा से शादी की। फिर सोहेल खान और फिर अल्वीरा, जिन्होंने एक्टर अतुल अग्निहोत्री से शादी की है। अर्पिता को उन्होंने गोद लिया, जिसकी शादी पिछले साल उन्होंने बड़ी धूमधाम से की।
* कहा जाता है कि सलमान खान बेशक कितने की रौबाले क्यों न हो। बेशक उन्हें पूरी दुनिया दबंग के नाम से जानती है। लेकिन घर में हुक्म केवल सलीम खान का चलता है। चूंकि सलीम को बचपन से ही नियम-कायदों में रहने की समझ है तो आज भी घर में सब चीजें ढंग से होती है।
* बदलते दौर में न केवल उन्होंने परिवार को आज भी जोड़ कर रखा है, बल्कि इंडस्ट्री के लिए एक मिसाल भी दी है। सलमान कितने ही बड़े स्टार क्यों न हों व रहते अपने पिता के साथ ही हैं।
* आज भी कोई जश्न या त्योहार होता है कि इंडस्ट्री के तमाम लोग सलीम खान के घर जाते हैं। वहां उन्हें खासतौर से बकाई गयी बिरयानी खिलाई जाती है।
* सलमान को लेकर उनकी चिंता कई बार दिखती है। खासतौर से जब-जब सलमान पर कोर्ट केस का दबाव पड़ता दिखता है। वह अपना ये दुख कई बार जता भी चुके हैं।