फोटो गैलरी

Hindi Newsread movie review hate story 3

MOVIE REVIEW: 'हेट स्टोरी 3' देखने से पहले पढ़े इसका रिव्यू

कुछ फिल्मों के पोस्टर ही फिल्म की काफी कुछ बातें बयां कर देते हैं। 'हेट स्टोरी 3' के बारे में ये बात बिल्कुल सटीक बैठती है और जब ऐसी किसी फिल्म की श्रृंखला से कोई भली-भांति परिचित हों तो फिल्म...

MOVIE REVIEW: 'हेट स्टोरी 3' देखने से पहले पढ़े इसका रिव्यू
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 04 Dec 2015 05:42 PM
ऐप पर पढ़ें

कुछ फिल्मों के पोस्टर ही फिल्म की काफी कुछ बातें बयां कर देते हैं। 'हेट स्टोरी 3' के बारे में ये बात बिल्कुल सटीक बैठती है

और जब ऐसी किसी फिल्म की श्रृंखला से कोई भली-भांति परिचित हों तो फिल्म देखने या न देखने का फैसला आसानी से कर सकता है। कुछ माह पहले रिलीज हुए फिल्म के पहले ही ट्रेलर से साफ हो गया था कि निर्देशक विशाल पांड्या परदे पर क्या धमाल मचाने वाले हैं। अपनी पिछली फिल्म के मुकाबले उन्होंने फिल्म के ट्रेलर को न केवल ज्यादा उत्तेजक अंदाज में पेश किया था, बल्कि पहले से ज्यादा तेज घुमाव और हिचकोलों की तरफ इशारा किया था। बेशक, उन्होंने ऐसा किया भी है। पर क्या एक सस्पेंस फिल्म में हॉट सीन्स के दृश्यों के तड़के के बीच सही तालमेल वो बैठा पाए हैं? कहीं फिल्म को ज्यादा उत्तेजक बनाने के चक्कर में उन्होंने फूहड़ता तो नहीं

परोस डाली है? या फिर दर्शकों को सीट से चिपकाए रहने के लिए उन्होंने कहानी को ज्यादा हिचकोले तो नहीं दे डालें हैं। इन सब बातों का जवाब मिलेगा, लेकिन पहले एक नजर कहानी पर...

आदित्य दीवान (शरमन जोशी) एक बड़ा उद्योगपति है। उसकी पत्नी है सिया दीवान (जरीन खान)। दोनों की जिंदगी में एक अन्य उद्योगपति सौरव सिंघानिया (करण सिंह ग्रोवर) के आने से भूचाल-सा का आ जाता है। सौरव, आदित्य और सिया को अपने घर बुला कर कहता है कि वो अपनी पत्नी को एक रात के लिए उसके पास भेज दे और बदले में जितना चाहे पैसा ले ले। बस, यहीं से दोनों के बीच ठन जाती है। सौरव, आदित्य को बर्बाद करने की ठान लेता और

इसकी पहली चोट वो देता है, उसके उत्पादों की छवि बिगाड़ कर।

सौरव के पहले वार की काट के लिए आदित्य अपनी कंपनी की सबसे भरोसेमंद युवती काया (डेजी शाह) की मदद लेता है। वो काया को सौरव के पास भेजता है, ताकि वह यह पता लगा सके कि आखिर वह उसके पीछे क्यों पड़ा है। काया इस पूरे मिशन में सफलता भी मिलती है, लेकिन सौरव पहले से ही चौकन्ना रहता है और उल्टे वह आदित्य को एक के बादग एक कई मामलों में फंसा देता है।

काया कुछ भी नहीं कर पाती। आदित्य जेल चला जाता है। सिया अकेली रह जाती है। सौरव के पास जाने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं है। वो उसके पास चली भी जाती है,

लेकिन एक शर्त रखती है कि वो इसके बदले आदित्य की बेगुनाही के सारे सबूत उसे दे देगा। सिया से मिलने के बाद सौरव अपनी बात से पटल जाता है और तभी सिया के सामने पूरी असलियत भी आ जाती है कि आखिर क्यों सौरव, उसे और आदित्य को बर्बाद करने पर तुला है। दरअसल, बर्बादी के यह तार जुड़े हैं सिया की शादी के पहले हुए एक अफेयर से। जिसे मिटाने के लिए बरसों पहले एक जाल आदित्य और सिया ने ही तो बुना था।

अपनी पिछली किस्तों की तरह ‘हेट स्टोरी 3’ भी एक सस्पेंस फिल्म है, जिसमें हॉट सीन्स का तड़का भी पहले भागों की तुलना में कहीं ज्यादा है। विक्रम भट्ट बॉलीवुड के रूटीन फार्मूलों में डूबे थ्रिलर लेखन के लिए भी

जाने जाते हैं। फिल्म की कहानी-पटकथा उन्होंने ही लिखी है, इसलिए आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्होंने कहानी में किस तरह के तीखे और तेज घुमाव डाले होंगे। किसी अनजान व्यक्ति का एक शादी-शुदा जोड़े की जिंदगी में अचानक यूं ही आ जाना और फिर उन्हें परेशान करना, उत्सुकता पैदा करता है। ये उत्सुकता अंत तक बनी रहती है। फिल्म के अंत से केवल दो-तीन मिनट पहले ही सौरव का राज खुल पाता है। विक्रम इस राज को बनाए रखने में काफी हद तक सफल भी दिखे हैं।

इस सवा दो घंटे की फिल्म में कई गाने हैं, जो फिल्म देखते समय अच्छे लगते हैं, थिरकन भी पैदा करते हैं। गीतों का फिल्मांकन भी अच्छा है। लेकिन इनमें से दो गीत कम भी

किये जा सकते थे। एक बात जो फिल्म में अखरती है, वो ये कि कई दृश्यों को बिना वजह उत्तेजक बनाया गया है। यहां साफ पता चलता है कि निर्देशक की मंशा के केवल ‘स्किन शो’ करने की है। लगभग हर गीत में अंग प्रदर्शन बेवजह का अंग प्रदर्शन है। कई जगह इसे बेहद खूबसूरती से फिल्माया भी गया है, लेकिन हर दूसरे सीन में यह सब होता दिखता है तो लगता है कि ओवरडोज हो गया है। फिर भी फिल्म अपने मूल मुद्दे से नहीं भटकती दिखती।

अभिनय के लिहाज से देखें तो शरमन जोशी एक अच्छे कलाकार होने के बावजूद उत्तेजना के दृश्यों में बेबस-से नजर आते हैं। उन्हें लेकर किया गया ये प्रयोग कारगर नहीं लगता। डेजी और जरीन को

जिस काम के लिए रखा गया है, वो फिल्म के पोस्टर से लेकर ट्रेलर और गीतों में दिखता है। हां, करण सिंह ग्रोवर के लिए ये फिल्म जरूर फायदे का सौदा साबित हो सरती है। निगेटिव छवि उन पर सूट करती है। हालांकि अभिनय उनका भी कोई जानदार नहीं है, लेकिन वो स्क्रीन पर ठीक लगते हैं। कुल मिला कर ये फिल्म अपनी पिछली किस्तों की तरह ही है, लेकिन एक नए वादे और इरादे के साथ यह मनोरंजन तो करती ही है।

सितारे : शरमन जोशी, जरीन खान, डेजी शाह, करण सिंह ग्रोवर, प्रियांशु चटर्जी
निर्देशक : विशाल पांड्या
निर्माता : भूषण कुमार
कहानी : विक्रम भट्ट
संगीत : मीत ब्रदर्स, अमाल मलिक, बमन
गीत : कुमार, मनोज मुंतशिर, रश्मि विराग, शब्बीर अहमद
रेटिंग : 2.5 स्टार

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें