‘मैं समाज के नंगे सच को दिखाना चाहता हूं’
अनुराग को अपनी फिल्मों के लिए डार्क विषय पसंद आते हैं। वे समाज की तल्ख सच्चाइयों को परदे पर उतारने वाले फिल्मकार हैं। उनके निर्देशन में बनी साइको थ्रिलर फिल्म ‘रमन राघव 2.0’ इस सप्ताह...
अनुराग को अपनी फिल्मों के लिए डार्क विषय पसंद आते हैं। वे समाज की तल्ख सच्चाइयों को परदे पर उतारने वाले फिल्मकार हैं। उनके निर्देशन में बनी साइको थ्रिलर फिल्म ‘रमन राघव 2.0’ इस सप्ताह दर्शकों के सामने है। पेश हैं अनुराग कश्यप से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:
- ‘रमन राघव 2.0’ जैसी साइको थ्रिलर फिल्म से आपको सबसे बड़ी चुनौती क्या मिली?
सबसे बड़ी चुनौती थी कि मैं दर्शकों के सामने उस रमन राघव को रखूं, जिसे मैंने बनाया है। सीरियल किलर रमन राघव से मेरी फिल्म का रमन राघव अलग है। मेरी फिल्म में रियलिस्टिक एप्रोच है, लेकिन कहानी फिक्शनल है। मेरा यह दावा नहीं है कि मैंने किसी सीरियल किलर की जिंदगी परदे पर उतारी है।
- नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ आप बार-बार काम कर रहे हैं। आप उनमें ऐसी क्या विशेषताएं देखते हैं, जो उन्हें दूसरे अभिनेताओं से अलग करती हैं?
नवाज की अभिनय के प्रति जो दीवानगी है, वह काफी कम अभिनेताओं में देखने को मिलती है। वे अपनी भूमिका निभाने के लिए रात-दिन एक कर देते हैं। उनके अभिनय का अंदाज सबसे अलग है। दर्शकों के बीच वे लोकप्रिय भी हैं।
- आपके निर्माण और निर्देशन में बनी अधिकांश फिल्में विवादों में रहती हैं। इसकी क्या वजह है?
लोग मुझे अभी तक समझ नहीं पाए हैं। मैं जानबूझकर विवाद खड़ा नहीं करता। मैं तो केवल समाज के नंगे सच को परदे पर दिखाना चाहता हूं।
- डार्क विषय ही आपको क्यों पसंद आते हैं?
खुली नजरों से देखेंगे तो पाएंगे कि हमारे चारों ओर डार्कनेस ज्यादा है। पता नहीं लोगों को यह कैसे दिखाई नहीं देती। वैसे भी हमारा सिनेमा काफी बदल रहा है। दर्शकों की रुचियां बदल रही हैं। इसलिए अब ऐसी फिल्में बननी चाहिए।
- फिल्मों के फ्लॉप होने का आप पर कितना असर पड़ता है?
दुख होता है। काफी रुपए फंस जाते हैं। नई फिल्म के लिए फिर से जुगाड़ करना पड़ता है। लेकिन मैं बहुत जल्द ही सब भूलने की कोशिश करता हूं। मेरा मानना है कि हर फिल्मकार को ऐसा करना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करेगा तो बहुत जल्दी टूट जाएगा और बिखर जाएगा।