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मां की साड़ी का पल्लू बांधकर इसलिए सो जाया करती थीं जयललिता

'अम्मा' की कहानी उन्हीं की जुबानी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) की चीफ जे. जयललिता अब इस दुनिया में नहीं रहीं। सोमवार रात 11 बजकर 30 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली। ज

लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 06 Dec 2016 09:04 AM

'अम्मा' की कहानी उन्हीं की जुबानी

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) की चीफ जे. जयललिता अब इस दुनिया में नहीं रहीं। सोमवार रात 11 बजकर 30 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली। जयललिता वकील बनना चाहती थीं लेकिन उनका करियर शुरू हुआ फिल्मों से और राजनीति के साथ खत्म हुआ। जयललिता ने अपनी पढ़ाई नाना-नानी के पास रहकर बंगलुरू से की। मां के कहने पर उन्होंने 15 वर्ष की उम्र में फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। यह 15 साल की लड़की आगे चलकर एक मशहूर एक्ट्रेस बनी। 'रॉन्डेवू विद सिमी ग्रेवाल' शो में जयललिता ने अपने बचपन को लेकर कुछ ऐसे खुलासे किए थे जो जानकर हर कोई हैरान रह गया था।

अपने बचपन के बारे में बात करते हुए जयललिता काफी भावुक हो गई थीं। उन्होंने इस इंटरव्यू में बताया कि किस तरह से उनकी मां और उनका फिल्मी करियर शुरू हुआ। उनकी मां को फिल्मों तक पहुंचाने में जयललिता की मासी का बड़ा हाथ रहा है। इस शो में जयललिता ने भी यह भी बताया था कि उन्हें लाइमलाइट से नफरत है।

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मां की साड़ी का पल्लू बांधकर इसलिए सो जाया करती थीं जयललिता

मैंने अपने इमोशन्स खुद तक ही सीमित रखे

सिमी ग्रेवाल के इस चैट शो से कुछ चुनिंदा सवाल और उनके जवाब आपको 'अम्मा' की पूरी लाइफ की झलक दे जाएंगे। सिमी ने जब उनसे पूछा था कि उनका करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा, आपने कभी अपना गुस्सा या और कोई और भावना नहीं दिखाई? इस पर जयललिता ने जवाब दिया था, 'मैं भी और लोगों की तरह इंसान ही हूं। मैं भी इमोशन्स महसूस करती हूं और अगर ऐसा नहीं होता तो कि मुझे गुस्सा या और कोई इमोशन फील नहीं होते तो मैं नॉर्मल नहीं होती। लेकिन जब आप एक लीडर होते हैं तो इन भावनाओं को काबू करना सीख जाते हैं। आप सीख जाते हैं कि सबके सामने आप इन भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकते हैं।' एक अन्य सवाल के जवाब में अम्मा ने कहा था, 'मैं हमेशा अपने इमोशन्स खुद तक की रखती हूं। वो लोगों को दिखाने के लिए नहीं हैं। पब्लिक में मैंने कभी अपना गुस्सा नहीं दिखाया और ना ही कभी रोई।' जब उनसे पूछा गया कि वो ऐसा कैसे कर पाईं तो उन्होंने जवाब दिया, 'मेरे अंदर बहुत विल पावर और सेल्फ कंट्रोल है।'

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मुझे लाइमलाइट से नफरत है

सिमी ने जयललिता से पूछा था कि क्या आपको नहीं लगता कि राजनीति ने आपको पहले से मजबूत बनाया है। इस पर उन्होंने जवाब दिया, 'हां बिल्कुल ऐसा है। मैं ऐसी बिल्कुल नहीं थी, जब मैंने शुरुआत की थी तो मैं शर्मीली थी। मुझे अंजान लोगों से मिलने में डर लगता था। मैं एक ऐसी इंसान हूं जिसे लाइमलाइट से नफरत है। यह थोड़ा हैरान करने वाला है किस्मत मुझे दो बहुत हाई-प्रोफाइल करियर की तरफ ले गई। लेकिन मैं बिहाइंड द सीन्स (पर्दे के पीछे) इंसान हूं।'

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ट्रैडिशनल फैमिली से फिल्मों में पहुंचने की कहानी

जयललिता ने बताया, 'मेरे नाना-नानी ने बहुत ट्रैडिशनल तरीके से मुझे पाला-पोसा। मेरा जन्म एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मेरी परवरिश बहुत ऑर्थोडॉक्स तरीके से हुई है।' जयललिता ने इस शो पर बताया था, 'मेरी मां बेंगलुरु के सेक्रेटेरिएट में काम करती थीं। मेरी मां की छोटी बहन बहुत बोल्ड और एडवेंचरस थीं। पहले वो एयरहोस्टेस बनीं और फिर एक्ट्रेस बन गईं। मेरी मासी फिल्मों में काम करती थीं तो घर पर प्रोड्यूसर्स का आना-जाना लगा रहता था। वो मेरी मां को देखकर वो देखते ही रह गए। उन्हें फिर कई फिल्मों के ऑफर मिले और वो फिल्मों में आ गईं।'

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चार साल मां से अलग रहीं जयललिता

जब मैं चार साल की थी तो पूरा परिवार चेन्नई (तब का मद्रास) शिफ्ट हो गया था। मेरी मां फिल्मों में व्यस्त हो गई थीं और मैं और मेरा भाई नौकरों की देख-रेख में रहने लगे। मां को लगा ऐसी परवरिश हमारे लिए अच्छी नहीं है, तो चार साल से 10 साल की उम्र में तक हम अपने नाना-नानी के साथ बेंगलुरु में रहे। मां से अलग नाना-नानी के साथ। मैं उन्हें बहुत याद करती थी। उनको जब मौका मिलता था तो वो मिलने आती थीं लेकिन वो बहुत लगातार नहीं होता था।

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'मां की साड़ी का पल्लू बांधकर सो जाती थी मैं'

उन्होंने इस शो के दौरान बताया बताया था, 'मुझे याद है जब मैं पांच साल की थी और वो हमसे मिलने बेंगलुरु आई थीं। जब भी वो हमें छोड़कर जाती थीं तो मैं बहुत रोती थी। तो वो हमेशा जाने से पहले मुझे सुला देती थीं। मैं उनकी साड़ी का पल्लू अपने हाथ में बांधकर सो जाती थी। मैं पल्लू को अपने हाथ से कसकर बांध लेती थी। मां के लिए मुश्किल होता था कि वो मुझे ऐसे में छोड़कर जा पाएं। इसके लिए वो साड़ी का पल्लू मेरे हाथ में छोड़कर साड़ी उतार देती थीं और मेरी मासी उस साड़ी को लपेट लेती थीं और मेरे बगल में लेट जाती थीं। इस तरह से मुझे उनका जाना पता नहीं चलता था। और जब मुझे पता चलता था कि वो चली गईं हैं तो मैं बस रोती रहती थी। मैं तीन दिन तक इतना रोती थी कि मुझे चुप कराना आसान नहीं होता था। लेकिन इसके बाद स्कूल और बाकी चीजों में बिजी होकर मैं शांत हो जाती थी। लेकिन बेंगलुरु में चार साल रहकर मैंने हर मिनट हर सेकेंड अपनी मां को बहुत याद किया।'

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बचपन का सबसे यादगार पल

जयललिता ने इस शो पर बताया था, 'जब मैं अपना बचपन देखती हूं तो लगता है कि मैंने अपनी मां के साथ बहुत कम समय बिताया। उनके पास बहुत समय नहीं होता था। मैं जब 10 साल की हुई तो उनके साथ रहने मद्रास आ गई। 10 से 16 साल तक मैं उनके साथ रही। लेकिन उस दौरान मां बहुत व्यस्त रहती थीं। मेरे सोकर उठने से पहले ही वो काम पर जा चुकी होती थीं और मेरे सोने तक घर वापस नहीं आ पाती थीं। मुझे याद है कि एक बार इंग्लिश एस्से में मुझे फर्स्ट प्राइज मिला था और मैं इसे मां को दिखाना चाहती थी। मैं अपने नॉर्मल समय से ज्यादा देर तक जगी रही। देर रात जब मां घर पहुंची तो देखा मैं लिविंग रूम में सोफे पर सो रही हूं। उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं यहां क्यों सो गई थी। मैंने हाथ में प्राइज लिया हुआ था और नोटबुक भी। मैंने दोनों चीजें उन्हें दिखाई। वो मेरे बचपन का सबसे यादगार पल था।'

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