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बॉलीवुड के पहले रियल 'ऐंटी हीरो' थे सुनील दत्त

पुण्यतिथि पर विशेष हिन्दी सिनेमा जगत में सुनील दत्त पहले ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने सही मायने में 'एंटी हीरो' की भूमिका निभायी और उसे स्थापित करने का काम...

बॉलीवुड के पहले रियल 'ऐंटी हीरो' थे सुनील दत्त
एजेंसीWed, 25 May 2016 04:42 PM
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पुण्यतिथि पर विशेष

हिन्दी सिनेमा जगत में सुनील दत्त पहले ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने सही मायने में 'एंटी हीरो' की भूमिका निभायी और उसे स्थापित करने का काम किया।
        
06 जून 1929 को जन्में बलराज रघुनाथ दत्त उर्फ सुनील दत्त बचपन से ही अभिनेता बनने की ख्वाहिश रखते थे। सुनील को अपने करियर के शुरुआती दौर में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने जीवन यापन के लिए उन्हें बस डिपो में चेकिंग क्लर्क के रूप में काम किया जहां उन्हें 120 रुपए महीना मिलता था।
        
इस बीच उन्होंने रेडियो सिलोन में भी काम किया जहां वह फिल्मी कलाकारों का साक्षात्कार लिया करते थे। प्रत्येक साक्षात्कार के लिए उन्हें 25 रुपए मिलते थे। सुनील दत्त ने अपने सिने करियर की शुरुआत वर्ष 1955 में प्रदर्शित फिल्म 'रेलवे प्लेटफॉर्म' से की।


             
साल 1955 से 1957 तक वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। 'रेलवे प्लेटफॉर्म' फिल्म के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली उसे वह स्वीकार करते चले गए। उस दौरान उन्होंने 'कुंदन', 'राजधानी', 'किस्मत का खेल' और 'पायल' जैसी कई बी ग्रेड फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।

सुनील दत्त की किस्मत का सितारा 1957 में प्रदर्शित फिल्म 'मदर इंडिया' से चमका। इस फिल्म में उनका किरदार ऐंटी हीरो का था। करियर के शुरुआती दौर में ऐंटी हीरो का किरदार निभाना किसी भी नए अभिनेता के लिए जोखिम भरा हो सकता था लेकिन सुनील ने इसे चुनौती के रूप में लिया और ऐंटी हीरो का किरदार निभाकर आने वाली पीढ़ी को भी इस मार्ग पर चलने को प्रशस्त किया। ऐंटी हीरो वाली उनकी प्रमुख फिल्मों में 'जीने दो', 'रेशमा और शेरा', 'हीरा', 'प्राण जाए पर वचन न जाए', '36 घंटे', 'गीता मेरा नाम', 'जख्मी', 'आखिरी गोली', 'पापी' आदि प्रमुख हैं।


             
मदर इंडिया ने सुनील दत्त के सिने करियर के साथ ही व्यक्तिगत जीवन मे भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इस फिल्म में उन्होंने नरगिस के पुत्र का किरदार निभाया था। फिल्म की शूटिंग के दौरान नरगिस आग से घिर गयी थी और उनका जीवन संकट में पड़ गया था। उस समय वह अपनी जान की परवाह किये बिना आग में कूद गए और नरगिस को लपटो से बचाकर ले आये।


           
इस हादसे में सुनील काफी झुलस गए थे तथा नरगिस पर भी आग की लपटों का असर पड़ा। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनके स्वस्थ होकर बाहर निकलने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया।
        
साल 1963 में प्रदर्शित फिल्म 'ये रास्ते है प्यार के' के जरिये सुनील दत्त ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया। साल 1964 में प्रदर्शित 'यादे' सुनील दत्त निर्देशित पहली फिल्म थी। साल 1967 सुनील के सिने करियर का सबसे महत्वपूर्ण साल साबित हुआ। उस वर्ष उनकी मिलन 'मेहरबान' और 'हमराज' जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुई।

जिनमें उनके अभिनय के नए रूप देखने को मिले। इन फिल्मों की सफलता के बाद वह अभिनेता के रूप में शोहरत की बुलंदियो पर जा पहुंचे।

साल 1972 में सुनील दत्त ने अपनी महात्वाकांक्षी फिल्म 'रेशमा और शेरा' का निर्माण और निर्देशन किया लेकिन कमजोर पटकथा के कारण यह फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी। साल 1981 में अपने पुत्र संजय दत्त को लॉन्च करने के लिए उन्होने फिल्म 'रॉकी' का निर्देशन किया। फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई।
       
फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद सुनील दत्त ने समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और कांग्रेस पार्टी से लोकसभा के सदस्य बने। साल 1968 में सुनील दत्त पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किये गए। सुनील को 1982 में मुंबई का शेरिफ नियुक्त किया गया। सुनील ने कई पंजाबी फिल्मों में भी अपने अभिनय का जलवा दिखलाया। इनमें 'मन जीत जग जीत', 'दुख भंजन तेरा नाम' और 'सत श्री अकाल' प्रमुख है।
               
साल 1993 में प्रदर्शित फिल्म 'क्षत्रिय' के बाद सुनील दत्त ने विधु विनोद चोपड़ा के जोर देने पर 2003 में प्रदर्शित फिल्म 'मुन्ना भाई एमबी.बी.एस' में संजय दत्त के पिता की भूमिका निभाई। पिता.पुत्र की इस जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया।


        
सुनील दत्त को अपने सिने करियर में दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें मुझे जीने दो 1963 और खानदान 1965 शामिल है। साल 2005 में उन्हें फाल्के रत्न अवॉर्ड प्रदान किया गया। सुनील दत्त ने लगभग 100 फिल्मों में अभिनय किया। अपनी निर्मित फिल्मों और अभिनय से दर्शको के बीच खास पहचान बनाने वाले सुनील दत्त 25 मई 2005 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।

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