Review: आज के दौर की प्रेम कहानी है फिल्लौरी
अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन तले बनी और उनके अभिनय से सजी फिल्म फिल्लौरी दो अलग-अलग दौर की कहानी सुनाती है। आइए जानते हैं कैसी है फिल्म की कहानी, इसके कलाकारों का अभिनय और बाकी पहलू। अनुष्का शर
अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन तले बनी और उनके अभिनय से सजी फिल्म फिल्लौरी दो अलग-अलग दौर की कहानी सुनाती है। आइए जानते हैं कैसी है फिल्म की कहानी, इसके कलाकारों का अभिनय और बाकी पहलू।
अनुष्का शर्मा और उनके भाई कर्णेश शर्मा की प्रोडक्शन कंपनी ‘क्लीन स्लेट फिल्म्स’ के बैनर तले बनी फिल्म एनएच 10 साल 2010 की स्लीपर हिट साबित हुई थी। इस फिल्म ने अनुष्का को सर्वश्रेष्ठ एक्ट्रेस का खिताब तो दिलवाया ही था, साथ ही उन्हें एक सफल प्रोड्यूसर के रूप में भी स्थापित किया था। इसी प्रोडक्शन हाउस की दूसरी फिल्म ‘फिल्लौरी’ का विषय भी पहली फिल्म की तरह ही नया है। विषय ही नहीं, इसका ट्रीटमेंट भी। पर इसके बाद भी यह उस पैमाने को छू भी नहीं पाती है जो एनएच10 ने स्थापित किया था।
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फिल्म की कहानी काफी हद तक इम्तियाज अली की ‘लव आजकल’ की तरह चलती है। एक नई प्रेम कहानी, दूसरी 98 साल पुरानी। पहली सूरज सिंह और मेहरीन कौर पीरजादा जैसे नए सितारों से सजी ताजगी की रोशनी में नहाई हुई तो दूसरी अनुष्का-दलजीत के दिलों का हाल बताती सीपिया टोन के रंगों में घुली हुई। नई कहानी में कनाडा से आया एक लड़का है, शादी को लेकर उसके मन में चल रही ऊहापोह है, मांगलिक होने के चलते पेड़ से उसकी शादी कराने की रस्म है, एक सुनहरे लहंगे वाली भूत है और उसकी प्यारी सी मंगेतर है जिसे देखते ही ‘क्यूटीपाई’ कहने का दिल करता है। पुरानी कहानी में आजादी से पहले का दौर है, पंजाब का फिल्लौर कस्बा है, इसी कस्बे के एक पिंड दी कुड़ी है जो दुनिया से छुप-छुप कर कविताएं लिखती है और फिल्लौरी के नाम से उन्हें छपवाती है, रूहानी आवाज वाला एक पंजाबी गबरू जवान है, दोनों की प्रेम कहानी है।
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कहानी नई तरह की है, पर इसकी रफ्तार इतनी धीमी है कि फिल्म कई जगह बोर करने लगती है। इस तरह की फिल्म में कॉमेडी की अच्छी खासी संभावना थी जो कुछेक जगह पर ही असर छोड़ती है। एक दोस्ताना भूत के रूप में अनुष्का ने बहुत सहज अभिनय किया है। साधारण स्क्रिप्ट और औसत डायलॉग्स की वजह से लगता है कि उनके करने के लिए अभी भी बहुत कुछ रह गया। हां, फिल्म को क्लाइमैक्स तक पहुंचाने वाला एक खुलासा चौंकाता है और वह फिल्म की कहानी का काफी मजबूत पहलू भी है। यह खुलासा क्या है, यह रहस्य खोलना ठीक नहीं होगा।
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दलजीत दोसांझ ने इस फिल्म से एक बार फिर अपनी काबिलीयत साबित की है। फिल्म में वह एक ऐसे सूफी गायक बने हैं जिस पर पूरे गांव की लड़कियां फिदा हैं और इसमें कोई शक नहीं कि उन्हें देखने के बाद अभी और भी कई लड़कियां उन पर फिदा होने वाली हैं। मेहरीन कौर पीरजादा कहीं-कहीं बहुत खूबसूरत लगी हैं। एक कनाडा रिटर्न लड़के की भूमिका में सूरज शर्मा भी प्रभावित करते हैं। अनुष्का दलजीत की जोड़ी स्क्रीन पर काफी जमी है। ‘साहिबा’ के अलावा बाकी गीत साधारण हैं।
स्टार- 2.5
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