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'फिल्म का रीमेक बनाने का अपना ही मजा है'

निशिकांत कामत अब तक हिंदी, मराठी व तमिल में 8 फिल्में बना चुके हैं। मराठी में उनकी फिल्में काफी सफल रही हैं। अब वह 'दृश्यम' लेकर आए हैं, जो इसी नाम की सुपरहिट मलयालम फिल्म का हिंदी रीमेक है। पेश है...

'फिल्म का रीमेक बनाने का अपना ही मजा है'
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 31 Jul 2015 07:55 PM
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निशिकांत कामत अब तक हिंदी, मराठी व तमिल में 8 फिल्में बना चुके हैं। मराठी में उनकी फिल्में काफी सफल रही हैं। अब वह 'दृश्यम' लेकर आए हैं, जो इसी नाम की सुपरहिट मलयालम फिल्म का हिंदी रीमेक है। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश

- आपको कुछ लोग 'रीमेक डायरेक्टर' कहने लगे हैं। आपने पहले दक्षिण की फिल्म को 'फोर्स' के नाम से रीमेक किया था। अब 'दृश्यम' भी रीमेक है?
- मैंने मराठी में 'डोबिंवली फास्ट' व 'लई भारी' तथा हिंदी में 'मुंबई मेरी जान' निर्देशित की। ये फिल्में किसका रीमेक थीं? इसलिए यह कहना गलत होगा कि मैं सिर्फ रीमेक बनाता हूं। मैं अच्छी कहानी पर फिल्म बनाता हूं।

- 'दृश्यम' तो मलयालम के अलावा तमिल, कन्नड़, तेलुगू में भी रीमेक हो चुकी है। इसका हिंदी रीमेक करने में क्या चुनौतियां सामने आईं?
मैंने जब फिल्म देखी तो बहुत प्रभावित हुआ। फिल्म देख कर मैं हिल गया। इसमें जबरदस्त मर्डर मिस्ट्री, सस्पेंस और रोमांच है। कहानी में इतने उतार-चढ़ाव हैं कि मैंने कई सालों से किसी फिल्म में नहीं देखे थे। फिल्म में एक आम इंसान अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए किस हद तक जा सकता है, इस प्वाइंट ने मुझे बहुत प्रभावित किया। उसके बाद मैंने इसे किसी क्षेत्र विशेष की बजाय पूरे भारत के दर्शकों को ध्यान में रख कर बनाने की सोची और उसी हिसाब से फिल्म की पटकथा में बदलाव किए।

- आपने फिल्म में किस तरह के बदलाव किए?
मेरे सामने समस्या थी कि महाराष्ट्र, हरियाणा,पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित किस राज्य की पृष्ठभूमि में कथा रखूं, काफी सोच-विचार के बाद मैंने अपनी फिल्म को उस गोवा के केंद्र में रखा, जो अब तक फिल्मों में ज्यादा नजर नहीं आया है।

- आपकी नजर में 'दृश्यम' किस तरह की कहानी है?
यह परिवार की कहानी के साथ-साथ रहस्य व रोमांच प्रधान कथा है। वास्तव में इसमें दो इंसान हैं, जो एक-दूसरे को बाहर करने का प्रयास कर रहे हैं।

- आपने कहा कि 'दृश्यम' आम आदमी की कहानी है, पर आपने 'लार्जर देन लाइफ' इमेज वाले स्टार अजय देवगन को फिल्म की मुख्य भूमिका में लिया?
सच यह है कि मैंने कई साल पहले अजय देवगन को फिल्म 'जख्म' में देखा था। तभी से मैं उनके साथ काम करना चाहता था। मैं उनके योग्य किरदार का इंतजार कर रहा था। फिल्म 'दृश्यम' में विजय का किरदार मुझे उन पर फिट बैठता लगा। 'जख्म' की ही तरह इस फिल्म में भी अजय ने कम बोलने वाला किरदार निभाया है।

- अपने दस साल के करियर में अब आप खुद के अंदर क्या बदलाव पाते हैं?
हर इंसान अनुभवों से ही सीखता है, पर मेरे लिए मेरी हर फिल्म पहली फिल्म होती है। मैं अपनी हर फिल्म को अपनी पिछली फिल्म से और बेहतर करने की कोशिश करता हूं। पटकथा पढ़ते ही समझ में आ जाता है कि किस दृश्य को फिल्माना कठिन और किसे फिल्माना आसान होगा।

- आपने हिंदी के अलावा मराठी व तेलुगू भाषा की फिल्में भी निर्देशित की हैं। इससे निर्देशक के तौर पर काम करने का तरीका बदलता है या नहीं?
भाषा बदलने से सिनेमा की तकनीक नहीं बदलती। हां, अलग-अलग भाषा की फिल्में निर्देशित करने से हमें उस भाषा के दर्शकों की रुचि का पता जरूर चलता है। इसके अलावा जिस भाषा से हम अनजान हैं, उसमें काम करने का अपना एक अलग आनंद और चुनौती होती है। मुझे चुनौतीपूर्ण काम करना बहुत पसंद है। मुझे यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं होता कि अब तक मेरे करियर को मराठी भाषा की फिल्मों से ऊंचाई मिली है, जो कि मेरी मातृभाषा है।

- बॉलीवुड में कोई ऐसा कलाकार है, जिसके साथ आप काम करना चाहते हों?
अमिताभ बच्चन को निर्देशित करने की मेरी इच्छा है। वह मेरे बचपन के आदर्श हैं।             

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