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B'Day Special: बहुमखी प्रतिभा के रूप में पहचान बनाई देवेन वर्मा ने

हिंदी फिल्म जगत में देवेन वर्मा का नाम एक ऐसी शख्सियत के तौर पर लिया जाता है जिन्होंने न सिर्फ अभिनय की प्रतिभा से बल्कि फिल्म निर्माण और निर्देशन से भी दर्शकों को अपना दीवाना बनाया...

B'Day Special: बहुमखी प्रतिभा के रूप में पहचान बनाई देवेन वर्मा ने
एजेंसीFri, 23 Oct 2015 12:21 PM
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हिंदी फिल्म जगत में देवेन वर्मा का नाम एक ऐसी शख्सियत के तौर पर लिया जाता है जिन्होंने न सिर्फ अभिनय की प्रतिभा से बल्कि फिल्म निर्माण और निर्देशन से भी दर्शकों को अपना दीवाना बनाया है।
         
देवेन वर्मा का जन्म 23 अक्तूबर 1937 को हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे के नौवरसे वाडिया कॉलेज से पूरी की। साठ के दशक में बतौर अभिनेता बनने का सपना लेकर वह मुंबई आ गए। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1961 में यश चोपड़ा निर्देशित फिल्म ‘धर्म पुत्र’ से की।
        
बहुत कम लोगों को पता होगा कि इस फिल्म से ही अभिनेता शशि कपूर ने अपने सिने करियर की शुरुआत की थी। फिल्म टिकट खिड़की पर कामयाब तो हुई लेकिन देवेन वर्मा दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकषिर्त करने में असफल रहे। वर्ष 1963 में देवेन वर्मा को बी.आर. चोपड़ा की फिल्म 'गुमराह' में काम करने का अवसर मिला लेकिन इससे उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा।
       
वर्ष 1966 देवेन वर्मा के सिने करियर के लिए अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी 'देवर', 'बहारे फिर भी आएंगी' और 'अनुपमा' जैसी फिल्में प्रदर्शित हुई। इन फिल्मों में उनके अभिनय के विविध रूप देखने को मिले। इन फिल्मों की सफलता के बाद देवेन वर्मा दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए।

वर्ष 1969 में प्रदर्शित फिल्म 'यकीन' के जरिये देवेन वर्मा ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया। धर्मेन्द्र और शर्मिला टैगोर की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई। वर्ष 1971 में देवेन वर्मा ने फिल्म 'नादान' के जरिये निर्देशन के क्षेत्र में भी अपना रुख किया। आशा पारेख और नवीन निश्चल की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म टिकट खिड़की पर कामयाब नहीं हो सकी।
       
वर्ष 1978 में प्रदर्शित फिल्म ‘बेशर्म’ में देवेन वर्मा को सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को निर्देशित करने का मौका मिला लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी। हालांकि इस फिल्म में देवेन वर्मा ने तिहरी भूमिका निभाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
        
वर्ष 1983 देवेन वर्मा ने स्मिता पाटिल और राज किरण को फिल्म 'चटपटी' और वर्ष 1989 में मिथुन चक्रवर्ती को लेकर 'दानापानी' का निर्माण किया लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर कामयाब नहीं हो सकी। इन फिल्मों की असफलता से देवेन वर्मा को काफी आर्थिक क्षति हुई और उन्होंने फिल्म निर्माण से तौबा कर ली।
        
बहुत कम लोगों को पता होगा कि देवेन वर्मा ने कुछ फिल्मों में पाश्र्वगायन भी किया है। वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म 'आदमी सड़क का' में देवेन वर्मा ने 'आज मेरे यार की शादी है' गीत गाया था जो आज भी शादी के मौके पर सुना जा सकता है।

वर्ष 1982 में प्रदर्शित फिल्म 'अंगूर' देवेन वर्मा के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म में उनके अभिनय का नया रूप देखने को मिला। शेक्सपीयर की कहानी ‘कॉमेडी ऑफ एर्स’ पर आधारित इस फिल्म में देवेन वर्मा और संजीव कुमार ने अपने दोहरे किरदार से उन्होंने दर्शकों को हंसाते हंसाते लोटपोट कर दिया।
       
देवेन वर्मा अपने सिने करियर में तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए है। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म 'चोरी मेरा काम' में सर्वप्रथम उन्हें हास्य अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इसके बाद वर्ष 1978 में फिल्म 'चोर के घर चोर' और वर्ष 1982 में फिल्म 'अंगूर' के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ।
        
देवेन वर्मा के करियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री अरूणा ईरानी के साथ काफी पसंद की गयी। दोनों की जोड़ी ने अपने जबरदस्त हास्य अभिनय से दर्शकों को दीवाना बना दिया। उनकी जोड़ी वाली फिल्मों में कुछ है 'बुड्ढ़ा
मिल गया', 'जिंदगी', 'अनपढ़', 'घर की लाज', 'आहिस्ता आहिस्ता', 'अंगूर', 'भोला भाला', 'नजराना प्यार का', 'दो प्रेमी', 'ज्योति', 'लेडीज टेलर', 'जुदाई', 'बेमिसाल', 'उल्टा सीधा', 'भागो भूत आया' और 'प्रेम प्रतिज्ञा' आदि।
       
अपने कॉमिक अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले देवेन वर्मा दो दिसंबर 2014 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। देवेन वर्मा ने अपने सिने करियर में लगभग 125 फिल्मों में अभिनय किया।
      
उनके करियर की उल्लेखनीय फिल्मों में कुछ है 'मिलन', 'संघर्ष', 'खामोशी', 'मेरे अपने', 'धुंध', '36 घंटे', 'कोरा कागज', 'इम्हितान', 'अर्जुन पंडित', 'कभी कभी', 'मुक्ति', 'खट्टा मीठा', 'सौ दिन सास के', 'आप के दीवाने', 'सिलसिला', 'नास्तिक', 'साहेब', 'रंग बिरंगी', 'युद्ध', 'झूठी', 'अलग अलग', 'प्यार के काबिल', 'बहुरानी', 'चमत्कार', 'अंदाज अपना अपना', 'अकेले हम अकेले तुम', 'दिल तो पागल है', 'इश्क' और 'कलकत्ता मेल'।

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