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FILM REVIEW: यशराज की अब तक की सबसे BOLD फिल्म है 'बेफिक्रे'

यशराज की अब तक की सबसे BOLD फिल्म है 'बेफिक्रे' इस फिल्म की लॉन्चिंग और रिलीज से पहले तक आदित्य चोपड़ा काफी डरे हुए थे। अपना ये अनजाना-सा डर उन्होंने बीते दिनों एक चिट्ठी से जाहिर किया

लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 09 Dec 2016 08:12 PM

यशराज की अब तक की सबसे BOLD फिल्म है 'बेफिक्रे'

इस फिल्म की लॉन्चिंग और रिलीज से पहले तक आदित्य चोपड़ा काफी डरे हुए थे। अपना ये अनजाना-सा डर उन्होंने बीते दिनों एक चिट्ठी से जाहिर किया था। उनका ये डर काफी हद तक इस फिल्म की बोल्डनेस को लेकर था। उनके अनुसार वह एक-दो नहीं, बल्कि अपने बैनर यशराज की विचारधारा से काफी 'आगे' जा रहे हैं।
 
फिल्म देख कर लगता है कि आदि का डर बिलकुल सही था। वह दो-चार नहीं, बल्कि कई कदम-मीटर आगे चले गए हैं। उदाहरण के लिए इस फिल्म के एक सीन में रणवीर सिंह का नंग-धड़ंग दिखना ही काफी नहीं था, जो उन्होंने उसे बिलकुल नंगा (पीछे से) तक दिखा दिया। अगर ऐसा कहानी-पटकथा की मांग के अनुसार किया गया है तो फिर फिल्म की मुख्य महिला पात्र को उन्होंने क्यों बख्श दिया? विचारों के मामले में तो वो फिल्म के मुख्य पुरुष पात्र के कहीं ज्यादा बोल्ड है। 

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धरम-शायरा प्यार तो करते हैं पर शादी में नहीं बंधना चाहते 

इन तमाम बातों के बावजूद फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट दिया गया है। यानी ये सीन और दर्जनों फ्रेंच किसेज वाली फिल्म आप अपने माता-पिता संग देख सकते हैं। क्या 21 साल पहले 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' बनाने वाले आदित्य चोपड़ा के नजरिये से भारतीय जन-मानस अब जा कर इतना फास्ट और बोल्ड हो गया है जो ये सब अपने परिवार संग पचा सकेगा?  

ये कहानी है दिल्ली के करोल बाग इलाके से पेरिस खाने-कमाने गए धरम (रणवीर सिंह) की। धरम एक स्टैंड-अप कॉमेडियन है और पेरिस में उसकी मुलाकात होती है शायरा (वाणी कपूर) से। पहली ही नजर में दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं। लेकिन दोनों प्यार और शादी के बंधन में बंधना नहीं चाहते, इसलिए लिव-इन में रहने लगते हैं। अपने काम की वजह से धरम रातों का गायब रहता है और शायरा दिन में। दोनों कुछ पलों के लिए मिल पाते हैं और इस दौरान भी दोनों के बीच नोंक झोंक ही होती रहती है। 
 

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'सलाम नमस्ते,' 'हम तुम,' 'लव आज कल' की mixture है 'बेफिक्रे'

फाइनली, दोनों का ब्रेक-अप हो जाता है और फिर वही होता है, जो अकसर होता आया है। शायरा, थोड़ी समझदार हो जाती है और उधर धरम पहले की तरह हर दिन दूसरी-तीसरी लड़की को डेट करने लगता है। धरम का ये खिलंदडापन अब शायरा को नहीं भाता, इसलिए एक दिन जब उसे एक बैंकर अनन्य मिलता है तो वह उसे पसंद करने लगती है। धरम को भी एक मॉडल मिल जाती है। धरम की मॉडल के साथ और शायरा की अनन्य के साथ शादियों का ऐलान हो, लेकिन ऐन मौके पर...

वैसे, तो क्लाईमैक्स में राज रखने वाली कोई बात नहीं है, फिर भी... 
हुम्म... कहानी का ये कुछ हिस्सा जान लेने के बाद कह नहीं सकता कि कितनों का दिल ये फिल्म देखने के लिए मचलेगा, क्योंकि इसमें नए एंगल जैसी कोई बात नहीं है। इसमें 'सलाम नमस्ते' और 'हम तुम' का झोंक है और तमाम मसाले 'लव आज कल' से लिए गए हैं। इसमें 'तमाशा' की अवधारणा भी झलकती है। मोटे तौर पर ये कहानी कमिटमेंट से भागने वाले युवाओं की कहानी है, जिनकी नजर में शादी-वादी करके लाइफ में सैटल होना फांसी के फंदे के समान है। 

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आदित्य ने फिल्म में किसेज के अलावा कुछ नया नहीं किया

'बेफिक्रे' देख कर और इसकी सरीखी तमाम फिल्मों को देख कर संजय दत्त की फिल्म 'रॉकी' (1981) का एक सुपरहिट गीत बार-बार याद आता है, जिसके बोल थे हम तुम से मिले फिर जुदा हो गए, देखो फिर मिल गए, अब होके जुदा, फिर मिले ना मिलें, क्यों न ऐसा करें मिल जाएं चलो हम सदा के लिए...

प्वाइंट ये है कि अगर ये गीत अंत में गाना ही है तो फिर इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा करने की जरूरत क्या है। आदित्य चोपड़ा के संबंध में बात करें तो उन्होंने 'बेफिक्रे' को कोई नया रंग देने की कोशिश ही नहीं की है, सिवाय अपने बैनर की प्रतिष्ठा से परे सोचने और स्क्रीन पर बेवजह के चुम्मा पे चुम्मा दिखाने के अलावा उन्होंने कुछ नया नहीं किया है। लेखन पुराना और बासी लगता है। संवाद बेजान हैं। हां, गीत अच्छे हैं। ठुमकने को दिल करेगा। वो भी केवल रणवीर के मटकने के अंदाज की वजह से। कहानी में ह्यूमर की गुंजाइश के बावजूद वो यहां गायब-सा दिखता है। 'डीडीएलजे' में कोई कॉमेडियन नहीं था, लेकिन राज के पिता (अनुपम खेर) और सिमरन की बुआ (हिमानी शिवपुरी) के बीच पल होने वाली लपड़-झपड़ मजा देती थी।

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फिल्म को केवल रणवीर का सहारा

फिल्म में किरदारों और पटकथा में जान डालने और उन्हें रोचक बनाने की कोशिश ही नहीं की गई है। फिल्म का पहला सीन इस बात की गवाही देता है कि आदित्य चोपड़ा ने दर्जनों फ्रेंच किसेज के साये में केवल लबों का कारोबार करने की कोशिश की है। फिल्म को बचाने का प्रयास केवल रणवीर सिंह ने किया है। केवल वही एकमात्र वजह है, जिसकी वजह से ये फिल्म देखी जा सकती है। इस बार उनका अभिनय कम बल्कि, कॉमिक टाइमिंग ज्यादा अच्छी है। उन्हें रोहित शेट्टी के साथ एक अच्छी कॉमेडी करनी चाहिए। वाणी कपूर की संवाद अदायगी में कुछ दिक्कत है। बोलते समय उनका चेहरा थोड़ा खिंचा-खिंचा सा रहता है। कुल मिल कर ये फिल्म आठ साल बाद लौटे एक निर्देशक को लेकर उपजी उत्सुकता पर विराम लगाती है। पता नहीं आदि की अगली फिल्म अब कितने साल बाद आएगी। लगता है अबकी बार उन्हें इससे भी बड़े ब्रेक की जरूरत है।

बेफिक्रे

सितारे: रनवीर सिंह, वाणी कपूर 
निर्माता-निर्देशक-लेखक-पटकथा: आदित्य चोपड़ा
संगीत: विशाल डडलानी, शेखर रविजिआनी 
गीत: जयदीप साहनी
रेटिंग: 2 स्टार

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