FILM REVIEW: द बिग फ्रेंडली जाइंट
तीन अक्षरों को मिला कर बना इस फिल्म का नाम बिना फिल्म देखे समझ आना मुश्किल है। प्रसिद्ध अमेरिकी फिल्मकार स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘द बीएफजी’ यानी द बिग फ्रेंडली जाइंट में सब कुछ विशाल...
तीन अक्षरों को मिला कर बना इस फिल्म का नाम बिना फिल्म देखे समझ आना मुश्किल है। प्रसिद्ध अमेरिकी फिल्मकार स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘द बीएफजी’ यानी द बिग फ्रेंडली जाइंट में सब कुछ विशाल है। इसके किरदार, सपनों की वो दुनिया और उस दुनिया की हर चीज आपकी हमारी कल्पना से कहीं अधिक बड़ी है, विशालकाय है। इसीलिए स्पीलबर्ग ने इस फिल्म का नाम द बीएफजी रखा है।
ये कहानी है लंदन के अनाथ आश्रम में रहने वाली एक लड़की सोफी की। सोफी रात में सोती नहीं। उसे इंसोमेनिया है, इसलिए उसे सपने भी नहीं आते। एक दिन देर रात तक जागते-जागते वह एक विशालकाय जीव (रंट) को देखती है, जो उससे डरकर भागने लगता है। चूंकि सोफी उसे देख चुकी है, इसलिए अगले दिन रंट उसे अपने साथ अपनी दुनिया में ले जाता है। रंट की इस दुनिया में हर चीज सोफी की कल्पना से बेहद बड़ी है। रंट सोफी से कहता है कि अब उसे उसके साथ ही रहना होगा। रंट को जब पता चलता है कि सोफी सपने नहीं देख सकती तो वह उसके लिए सपने लेकर आता है।
एक दिन कुछ बेहद बड़े जीव रंट के घर आते हैं तो वह सोफी को सब्जियों में छिपा देता है। तभी सोफी को एक कोट मिलता है। कोट मिलने के बाद इस अजीबोगरीब दुनिया में सोफी का एक नया और अनोखा सफर शुरू होता है और इससे सोफी के प्रति रंट की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। लेकिन ये हसीन सफर कई खतरनाक मोड़ों से भरा पड़ा है, जिससे सोफी अनजान है।
स्पीलबर्ग की ये फिल्म एक रोमांचक यात्रा है, जिसमें उन्होंने कल्पना को बेहद ऊंची उड़ान के पंख दिए हैं। ये कहानी दिल छू लेने वाली है और स्पीलबर्ग का निर्देशक हैरान करने वाला। ‘ईटी’ और ‘जुरासिक पार्क’ के बाद इसे निर्देशक की एक नई सौगात कहा जा सकता है। हालांकि ये दो घंटे की फिल्म कई जगह काफी धीमी है। लेकिन दो लोगों की ये दिल छू लेने वाली कहानी अपने विशेष प्रभाव और कल्पना की वजह से आकर्षित करती रहती है।
कलाकार: मार्क रेलांस, रूबी बार्नहिल, पेनलॉप विल्टन, रैबेका हॉल
निर्देशक: स्टीवन स्पीलबर्ग