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हरियाणवी जाट का किरदार दिल के करीब: रणदीप हुड्डा

रणदीप हुड्डा हमेशा चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं निभाने में यकीन रखते हैं। कुछ समय पहले  उनकी फिल्में 'हाईवे', 'रंगरसिया' और 'मैं और चार्ल्स' रिलीज हुई थीं। इन फिल्मों में उनके...

हरियाणवी जाट का किरदार दिल के करीब: रणदीप हुड्डा
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 22 Apr 2016 10:02 PM
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रणदीप हुड्डा हमेशा चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं निभाने में यकीन रखते हैं। कुछ समय पहले  उनकी फिल्में 'हाईवे', 'रंगरसिया' और 'मैं और चार्ल्स' रिलीज हुई थीं। इन फिल्मों में उनके अभिनय को खूब सराहना मिली। अब वे फिल्म 'लाल रंग' और 'सरबजीत' में बतौर अभिनेता दिखेंगे। पेश है रणदीप से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

क्या आपने 'लाल रंग' में शंकर का किरदार निभाना इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि आप उससे खुद को रिलेट कर रहे थे?
इसमें कोई शक नहीं है कि यह रोल मेरे दिल के करीब है। मैंने पहली बार हरियाणवी जाट का किरदार निभाया है। इस रोल को करते हुए मैं अपने बचपन में खो गया। मेरी यादें ताजा हो गईं।

'सरबजीत' में आपने शीर्षक भूमिका निभाई है। क्या आपके अभिनय करियर का यह सबसे कठिन किरदार है?
हां, ऐसा कह सकते हैं। मैंने अपने भीतर सरबजीत के दर्द को महसूस किया है। मैं इस रोल को करते समय कई बार रोया। मैंने उस अकेलेपन और डार्कनेस को महसूस किया, जो सरबजीत ने झेले थे। इस फिल्म में मैंने सरबजीत के 23 साल के संघर्ष को अभिनीत किया है।

 कभी सोचा था कि आपकी किसी फिल्म में ऐश्वर्य राय बहन की भूमिका में होंगी?
ऐसा कभी सोचा नहीं था। वे मेरी हीरोइन बनें, यह भी नहीं सोचा। इस फिल्म में उन्होंने ममतामयी बहन की भूमिका निभाई है। ऐश्वर्य के साथ काम करना यादगार रहा।  

इंडस्ट्री में अब तक का सफर कितना कठिन रहा है?
यह तो सच है कि बॉलीवुड में पांव जमाना काफी कठिन है। अगर आपका कोई रिश्तेदार यहां पर मौजूद है, तो आपको लोग अलग ढंग से लेते हैं। स्टार किड होने का फायदा यह होता है कि लोग आपको हतोत्साहित नहीं करते हैं।

जब बहुत मेहनत से बनाई गई कोई फिल्म फ्लॉप होती है, तो उसका एक्टर पर कितना नकारात्मक असर पड़ता है?
बहुत ज्यादा नकारात्मक असर पड़ता है। मैंने अपनी दो फिल्मों 'रंगरसिया' और 'मैं और चार्ल्स' के लिए काफी मेहनत की थी, लेकिन दोनों ही फिल्में नहीं चलीं। मैं बहुत दुखी हुआ। इधर 'सरबजीत' के लिए मैंने जितनी मेहनत की है, मैं ही जानता हूं। अगर इस फिल्म के साथ कोई ऊंच-नीच होती है, तो यह मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं होगा।

आप अपनी फिल्मों का चयन कैसे करते हैं?
मेरे पास जो फिल्में आती हैं, मैं उन्हीं में से बेहतर को चुनता हूं। मैं स्टेट फॉरवर्ड हरियाणवी आदमी हूं। मैं किसी से कोई पंगा नहीं लेता। जब भी अभिनय से समय बचता है, तो नसीर साहब के साथ थिएटर करता हूं। वे मेरे आदर्श हैं। आज जो मैं इंडस्ट्री में थोड़ा-बहुत मकाम बना सका हूं, उन्हीं की प्रेरणा से संभव हो  सका है।
हरि मृदुल

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