पांचवें चरण का मतदान होगा निर्णायक
आम चुनाव का पांचवां चरण सबसे बड़ा होने के साथ-साथ यूपीए और एनडीए के अलावा गैर-कांग्रेस गैर-भाजपा की नीति पर चलने वाली पार्टियों के लिए भी खास तौर पर अहम है। इसमें मतदाताओं के रुझान से साफ होगा कि...
आम चुनाव का पांचवां चरण सबसे बड़ा होने के साथ-साथ यूपीए और एनडीए के अलावा गैर-कांग्रेस गैर-भाजपा की नीति पर चलने वाली पार्टियों के लिए भी खास तौर पर अहम है। इसमें मतदाताओं के रुझान से साफ होगा कि केंद्र की सत्ता किसके हाथों में होगी।
इस चरण की सीटों में से 48 पर 2009 के चुनाव में एनडीए विजयी रहा था। इसलिए इस चरण से भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए को 43 सीटें मिली थीं। राजस्थान और महाराष्ट्र में उसका प्रदर्शन खासकर बेहतर रहा था। इस बार उसको पुरानी सीटें बचाए रखने के अलावा नई सीटें अपने पाले में करने की बड़ी चुनौती है। पांचवें चरण की 29 सीटें गैर कांग्रेस-गैर भाजपा दलों के कब्जे में हैं। इनमें ओडिशा की 11 और पश्चिम बंगाल की चार सीटें शामिल हैं। इस चरण के तहत आने वाली यूपी की 11 सीटों में से पांच सपा व पांच बसपा के पास हैं। बिहार की सात सीट पर होने वाले चुनाव में पांच पर जद(यू) का कब्जा है।
भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी: पांचवें चरण में भाजपा के चारों मुख्यमंत्रियों शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे, रमन सिंह व मनोहर पारीकर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के लिए यह दौर सबसे अहम है, क्योंकि इस चरण में मिलने वाली बढ़त निर्णायक साबित होगी। भाजपा इस चरण के तहत आने वाली लगभग 110 सीटों पर मुख्य मकाबले में है। इसलिए मोदी व राजनाथ ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। दोनों ने लगभग हर दिन चार से पांच सभाएं कीं। मोदी ने 93 स्थानों पर 3डी सभाएं भी कीं। पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी व सुषमा स्वराज भी प्रचार अभियान में लगे रहे।
कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन की चुनौती: पिछले लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 में से 19 सीटें भाजपा को, जबकि कांग्रेस को सिर्फ छह सीटें मिली थीं। राजस्थान की 25 में से 20 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इस बार पांचवें चरण में कर्नाटक की सभी 28 और राजस्थान की 20 सीटों पर मतदान है। महाराष्ट्र की 19 सीटों पर भी मतदान है जिनमें से 10 कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के पास हैं। ऐसे में कांग्रेस को जीती हुई सभी सीटों को बचाए रखने और खासकर कर्नाटक व महाराष्ट्र में अपना आंकड़ा बढ़ाने की चुनौती है। झारखंड में कांग्रेस-झामुमो गठबंधन के सामने जीत की चुनौती है, क्योंकि राज्य की जिन छह सीटों पर चुनाव है, उनमें से चार भाजपा और एक कांग्रेस के पास है। पांचवें चरण में कांग्रेस के 100 से अधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
आयाराम-गयाराम की किस्मत का होगा फैसला
पांचवें चरण में कई आयाराम और गयाराम की किस्मत भी दांव पर है। ऐसे नेताओं में भाजपा से बागी हुए जसवंत सिंह, भाजपा में वापस लौटे कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, बी. श्रीरामुलु, राजद से भाजपा में आए रामकृपाल यादव, कांग्रेस का टिकट छोड़ भाजपाई बने पूर्व नौकरशाह भागीरथ प्रसाद और भाजपा में शामिल हुए पूर्व गृह साचिव आरके सिंह शामिल हैं। इस चरण में भाजपा के कुछ बड़े नेता भी मैदान हैं जिन्हें अपनी शक्ति साबित करनी है। लोकसभा में भाजपा के उप नेता गोपीनाथ मुंडे को बीड़ में, लोकसभा उपाध्यक्ष करिया मुंडा को खूंटी में, पूर्व मंत्री प्रहलाद पटेल को दमोह में, मेनका गांधी को पीलीभीत में, अनंत कुमार को बेंगलुरु में और पटना साहिब में शत्रुघ्न सिन्हा को साबित करना है कि वे अभी भी अपने अपने गढ़ों के एकछत्र नेता हैं।
लोकसभा 2009 के नतीजे
पार्टी/गठबंधन सीट मिले
कांग्रेस नीत यूपीए 43
भाजपा नीत एनडीए 48
अन्य 29