अक्षमताओं से उबारे स्पीच थैरेपिस्ट
बोलचाल से संबंधित समस्याओं के उपचार/ निवारण के लिए स्पीच थैरेपी पर आधारित ट्रेनिंग कोर्स संचालित किये जाते हैं। अगर नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों के आधार पर बात करें तो देश में कम से कम...
बोलचाल से संबंधित समस्याओं के उपचार/ निवारण के लिए स्पीच थैरेपी पर आधारित ट्रेनिंग कोर्स संचालित किये जाते हैं। अगर नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों के आधार पर बात करें तो देश में कम से कम 10 लाख लोगों की आबादी बोलचाल से संबंधित किसी न किसी समस्या से प्रभावित है। अधिकांश लोगों को यह जानकारी भी नहीं है कि ऐसी समस्याओं का कोई निदान या उपचार संभव है या नहीं। बोलने की अक्षमता के कारण प्राय: ये लोग सामान्य जीवन भी जीने से वंचित रह जाते हैं, करियर बना पाना तो बहुत दूर की बात है। ऐसे लोगों की काउंसलिंग, सहायता और उपचार कर इस अक्षमता से उबारने और सामान्य जिंदगी जी पाने में मदद करने का काम स्पीच थैरेपी की विधा में ट्रेंड लोग करते हैं। लेकिन हमारे देश में फिलहाल इस तरह के एक्सपर्ट्स की संख्या अत्यंत कम है।
स्पीच थैरेपिस्ट का कार्य
बोल पाने में दिक्कत के कई तरह के कारण हो सकते हैं, इनमें से कुछ जन्मजात तो अन्य बीमारियों और दुर्घटनाओं की वजह से भी हो सकते हैं। बीमारियों में पक्षाघात, स्वर तंत्र में खराबी आदि का नाम प्रमुख तौर पर लिया जा सकता है। इसके अलावा मानसिक कमजोरी। ऑटिज्म आदि भी अन्य कारण हो सकते हैं। स्पीच थैरेपिस्ट अपनी विशिष्ट ट्रेनिंग और अनुभवों के आधार पर व्यक्ति विशेष के अनुसार ट्रीटमेंट की दिशा को तय करता है। इस ट्रीटमेंट में शब्दों के उच्चारण की प्रैक्टिस, हकलाने की समस्या का निदान और संचार के अन्य वैकल्पिक तौर-तरीकों से परिचित कराने पर ज्यादा जोर दिया जाता है।
कौन अपनाए इस प्रोफेशन को
यह बुनियादी रूप से मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा प्रोफेशन है। इसमें इस तरह की समस्याओं से ग्रस्त लोगों को हताशा और निराशा से उबारना, सामान्य जीवन जीने का उत्साह दिलाना, समस्या को चुनौती की तरह लेते हुए सामना करने और सफल होने के लिए लगातार प्रोत्साहित करने जैसे कार्य-कलापों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए अत्यंत संयमित, सहायता करने का गुण, समस्याग्रस्त व्यक्ति के गिरे मनोबल को उठाने के लिए सपोर्ट देने से जुड़ी सोच का होना इस तरह के प्रोफेशन में जाने वाले युवाओं में होनी अत्यंत जरूरी है।
शैक्षिक योग्यता
अमूमन इस तरह के कोर्सेज में एडमिशन के लिए 10+2 स्तर पर साइंस (बायोलॉजी) स्ट्रीम के स्टूडेंट्स को प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि कुछ कोर्सेज और संस्थानों में बायोलॉजी की अनिवार्यता नहीं भी है। सायकोलॉजी विषय की पृष्ठभूमि वाले भी ऐसी ट्रेनिंग के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
कोर्सेज
ऑडियोलॉजी एंड स्पीच थैरेपी में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी स्तर के कोर्सेज देश में संचालित किये जाते हैं। प्रमुख कोर्सेज में ग्रेजुएशन लेवल पर बीएससी (ऑडियोलॉजी, स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर एम ए (डिसएबिलिटी कम्युनिकेशन एंड डेफ स्टडीज), एमएससी (ऑडियोलॉजी, स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी), बीएड (ऑडियोलॉजी, स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजी, एमएड (ऑडियोलॉजी, स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजी) तथा डॉक्टरेट स्तर के कोर्स में पीएचडी (स्पेशल एजुकेशन एवं ऑडियोलॉजी, स्पीच-लैंवेज पैथोलोजी) कोर्सेज का नाम खास तौर पर लिया जा सकता है। संस्थानों में अली यावर जंग नेशनल इंस्टीटय़ूट फॉर हियरिंग हैंडीकैप, मुंबई, कोलकाता, सिकंदराबाद और नई दिल्ली, ऑल इंडिया इंस्टीटय़ूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग, मैसूर आदि प्रमुख हैं। इस तरह के कोर्सेज और संस्थानों के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी के
लिए वेबसाइट www. rehabcouncil. nic. in देख सकते हैं।
जॉब्स
हाल के वर्षों में समाज कल्याण से जुड़े कार्यकलापों की ओर सरकारी सेक्टर के अलावा प्राइवेट कंपनियों का भी ध्यान गया है। मुख्य रूप से यही कारण है कि ऐसे एनजीओ की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है, जो समाज के निचले वर्ग के ऐसे विकलांग अथवा आंशिक रूप से अक्षम लोगों को सामान्य जीवन जीने की दिशा में योगदान दे रहे हैं। इनमें नेशनल और इंटरनेशनल, दोनों ही तरह के संगठन हो सकते हैं। जॉब्स की सबसे ज्यादा संभावनाएं इन्हीं संस्थाओं में होगी। इसके बाद सरकारी संस्थानों, विभागों, ट्रेनिंग संस्थानों, स्पेशल स्कूल्स, ओल्ड एज सेंटर्स आदि में जॉब्स के मौके हो सकते हैं। बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा भी इस दिशा में पहल की गयी हैं। यही नहीं, प्राइवेट प्रैक्टिशनर के रूप में भी आकर्षक आय मिल सकती है।
तमाम विदेशी एनजीओ अन्य विकासशील देशों में इस तरह के कार्य करने के लिए अनुभवी और ट्रेंड प्रोफेशनल्स की नियुक्तियां जगह-जगह से करते हैं।
सफलता का गुरुमंत्र
महज कोर्स करने अथवा इस डिग्री के सहारे सफल होने की बात सोचना किसी भी सूरत में सही नहीं होगी। बल्कि किसी नामी संस्थान में अनुभवी लोगों के साथ रहते हुए सीखना और अधिकतम प्रैक्टिकल अनुभव हासिल करना ही आगे के लिए सफल करियर बनाने की सही और उपयुक्त रणनीति कही जा सकती है। यह मत भूलें, ऐसे अक्षम लोगों का विश्वास जीतने की कला ही उनके सफल इलाज की गारंटी होगी।