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सरकार से लेनी पड़ सकती है दिशा-निर्देशों पर मंजूरी

नर्सरी दाखिले के लिए भले ही निजी स्कूलों को खुद दिशा-निर्देश बनाने की छूट मिल गई हो, लेकिन इसे लागू करने से पूर्व सरकार की मंजूरी लेनी पड़ सकती है। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद सरकार के कई...

सरकार से लेनी पड़ सकती है दिशा-निर्देशों पर मंजूरी
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 11 Dec 2014 11:04 AM
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नर्सरी दाखिले के लिए भले ही निजी स्कूलों को खुद दिशा-निर्देश बनाने की छूट मिल गई हो, लेकिन इसे लागू करने से पूर्व सरकार की मंजूरी लेनी पड़ सकती है। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी दाखिले के लिए वर्ष 2007 में जारी आदेश को ही सख्ती से लागू करने के पक्ष में हैं।

दरअसल, हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को गांगुली समिति की सिफारिशों और वर्ष 2007 में सरकार द्वारा जारी आदेश के तहत दाखिले के लिए दिशा-निर्देश बनाने की छूट दी है। वर्ष 2007 में दिल्ली सरकार ने सभी निजी स्कूलों को नर्सरी कक्षा में दाखिले के लिए अपने-अपने दिशा-निर्देश बनाने की छूट दी थी, लेकिन इसे लागू करने से पहले शिक्षा निदेशालय से इसकी मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों को राहत देते हुए दिशा-निर्देश के लिए सरकार से मंजूरी लेने के प्रावधानों पर अपने अंतरिम आदेश तहत रोक लगा दी थी। यह याचिका वर्ष 2013 तक सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन रही। इसी दिशा-निर्देश के तहत शैक्षणिक सत्र 2013 तक स्कूलों में दाखिले होते रहे। इस बीच वर्ष 2010 में शिक्षा का अधिकार कानून लागू हो गया और जनवरी 2013 में हाईकोर्ट के दो जजों की पीठ द्वारा नर्सरी कक्षा को शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे से बाहर बताया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी बिना किसी आदेश के स्कूलों की उस याचिका का निपटारा कर दिया।

अध्यादेश लाने पर विचार
सरकार के कई अधिकारी नर्सरी दाखिले पर अध्यादेश लाने के पक्ष में है। अधिकारी अध्यादेश लाकर शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 13 को दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम में लागू करने की वकालत कर रहे हैं। धारा 13 के तहत दाखिले के लिए बच्चों की किसी तरह से स्क्रीनिंग प्रतिबंधित है।

सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला
गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। संगठन के वकील अशोक अग्रवाल ने कहा है कि वह इसके खिलाफ जल्द ही अपील दाखिल करेंगे।

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