पुतिन-ओबामा के मतभेद
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में भाषण देते हुए राष्ट्रपति बराक ओबामा और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पर बल दिया। लेकिन सीरिया संकट के मसले पर दोनों के बीच के जबर्दस्त मतभेद...
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में भाषण देते हुए राष्ट्रपति बराक ओबामा और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पर बल दिया। लेकिन सीरिया संकट के मसले पर दोनों के बीच के जबर्दस्त मतभेद से यह भावना ध्वस्त होती दिखती है। इन मतभेदों के कारण सीरिया संकट के सुलझने के आसार भी खत्म होते हुए लगते हैं, जबकि इस संकट में अब तक ढाई लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
सीरिया में पुतिन की बढ़ती आक्रामकता से मध्य-पूर्व (भारत से पश्चिम एशिया) में रूस और अमेरिका के बीच एक नई होड़ पैदा होगी और रूस को वहां बड़ी भूमिका निभानी होगी। रविवार की इस घोषणा से कि व्लादिमीर पुतिन और ईरान, सीरिया व इराक में इस बात पर सहमति बन चुकी है कि वे आईएस के बारे में खुफिया जानकारियां आपस में साझा करेंगे, ओबामा प्रशासन रूसी पहल से घिरता हुआ दिखा। इस सप्ताह ऐसा दूसरी बार हुआ है। इसके पहले पुतिन ने सीरियाई सदर की कमजोर पड़ती फौज की मदद के लिए रूसी टैंकों और लड़ाकू विमान की भारी सैन्य सहायता भेजी।
ओबामा और पुतिन, दोनों इस बात पर सहमत हैं कि आईएस एक बड़ा खतरा बन चुका है, मगर इसके आगे इन दोनों के नजरिये में भारी विषमता है और दोनों ने संयुक्त राष्ट्र के अपने भाषण में इस अनर्थकारी जंग के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाए। पुतिन ने कहा कि 'सीरिया सरकार और उसकी फौज के साथ सहयोग से इनकार करने का निर्णय बहुत ही गलत था, जबकि वे आतंकवाद से आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं।' लेकिन पुतिन ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया कि असद का मुख्य निशाना हमेशा उनके विरोधी रहे, न कि आईएस। वहीं, ओबामा की यह दलील बिल्कुल दुरुस्त थी कि साल 2011 में असद ने जिस तरह से शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का दमन किया और लोगों की हत्याएं करवाईं, उसी का नतीजा है यह अशांत माहौल, जिसे इस्लामिक स्टेट ने अपने पक्ष में इस्तेमाल किया है। बहरहाल, सोमवार की रात को ओबामा और पुतिन ने पिछले दो साल से भी अधिक वक्त में पहली औपचारिक मुलाकात की, लेकिन इस बैठक से प्रगति का कोई संकेत नहीं मिला।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, अमेरिका