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युद्ध के पक्ष-विपक्ष

यह अक्सर कहा जाता है कि ‘निष्क्रियता कोई विकल्प नहीं हो सकती।’ लेकिन यह है और कई बार तो सबसे अच्छा विकल्प होती है। इराक में आईएसआईएस जिस तरह से कत्लेआम मचाए हुए है और उसके आतंकी महिलाओं...

युद्ध के पक्ष-विपक्ष
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 02 Oct 2014 08:20 PM
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यह अक्सर कहा जाता है कि ‘निष्क्रियता कोई विकल्प नहीं हो सकती।’ लेकिन यह है और कई बार तो सबसे अच्छा विकल्प होती है। इराक में आईएसआईएस जिस तरह से कत्लेआम मचाए हुए है और उसके आतंकी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं, उसमें यह एक विकल्प है, जिसके बारें में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए। हालांकि, सिर्फ 43 सांसदों ने उस ‘कुछ’ करने के खिलाफ वोट किया, जिसे प्रधानमंत्री ने प्रस्तावित किया था। कुछ नहीं करना साल 2003 में सबसे अच्छा विकल्प होता, जो इस समाचार-पत्र का तर्क रहा था। वैसे, वह नजरिया हमेशा के लिए नहीं रहा है। हम अंतिम उपाय के तौर पर ब्रिटिश फौज के इस्तेमाल के पक्ष में हैं और हमें यह पूरा यकीन है कि इससे मानवाधिकारों की रक्षा होगी। मौजूदा मामले में, यह कहना जल्दबाजी होगी कि आरएएफ एयरक्राफ्ट की तैनाती प्रासंगिक नहीं है। कुछ सप्ताह से अमेरिकी ऑपरेशन जारी है। इराक व सीरिया में इसका सीमित प्रभाव पड़ने जा रहा है। हवाई हमले के बारे में सबसे अच्छा यही कहा जा सकता है कि आईएसआईएस और उसके सहयोगियों को पीछे हटने के लिए यह बाध्य कर सकता है, जिससे कूटनीति को भी मौका मिलेगा।

इराक की मौजूदा स्थिति के लिए अमेरिका-ब्रिटेन के हमले जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन हालात 2003 जैसे नहीं हैं। सैन्य कार्रवाई से जुड़े सवालों पर ब्रिटेन के लोग अलग सोच रखते हैं। इराक में जमीनी जंग के लिए सेना भेजने की कोई उनकी इच्छा नहीं है, लेकिन हमारा सर्वेक्षण बताता है कि इराक व सीरिया में हवाई हमले में ब्रिटिश सेना के योगदान के पक्ष में अधिक लोग हैं, विरोध में कम। इसमें संदेह नहीं कि आम राय आईएसआईएस द्वारा प्रसारित वीडियो से अधिक प्रभावित है। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि ये दुष्प्रचार हैं, इनको इस तरह पेश किया जा रहा है, जिससे पश्चिमी ताकत भड़के और यही हो रहा है। हमें याद रहना चाहिए कि सवाल यह नहीं है कि क्या आईएसआईएस पर हत्या का भूत सवार है, बल्कि प्रश्न यह है कि इस परिस्थिति में हमें क्या करना चाहिए, क्योंकि कहा जा रहा है कि इस युद्ध के पीछे क्षेत्रीय शक्तियों की कुछ मंशाएं हैं।  
द इंडिपेंडेंट, लंदन

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