संयुक्त राष्ट्र में मोदी
हिन्दुस्तान के वजीर-ए-आजम नरेंद्र मोदी अपने पूरे जलवे के साथ पश्चिम में सुर्खरू हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा की उनकी तकरीर में वह सब कुछ था, जिससे मियां नवाज शरीफ चूक गए। नरेंद्र मोदी ने अपनी तकरीर की...
हिन्दुस्तान के वजीर-ए-आजम नरेंद्र मोदी अपने पूरे जलवे के साथ पश्चिम में सुर्खरू हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा की उनकी तकरीर में वह सब कुछ था, जिससे मियां नवाज शरीफ चूक गए। नरेंद्र मोदी ने अपनी तकरीर की शुरुआत दिलचस्प अंदाज में की। उन्होंने भारत की पुरानी वैदिक संस्कृति के हवाले से अपनी बात शुरू की और उनके पूरे भाषण में उसकी एक अन्तर्धारा लगातार बहती रही। मोदी ने कहा कि हमारी तहजीब के बुनियादी उसूलों में एक उसूल मेल-मिलाप है और हमारा मुल्क ‘अपनी तरक्की के लिए एक पुरअमन और स्थिर माहौल’ से ज्यादा कुछ नहीं चाहता। उन्होंने मियां शरीफ को जवाब देने के लिए भी इस मौके का इस्तेमाल किया। गौरतलब है कि पाकिस्तानी वजीर-ए-आजम ने मोदी से एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना भाषण पेश किया था, जिसमें उन्होंने कश्मीर विवाद पर एक प्रस्ताव लाने की बात कही थी। मोदी ने इसके जवाब में कहा कि संयुक्त राष्ट्र इस मसले को उठाने का माकूल फोरम नहीं है और उनका मुल्क ‘दहशतगर्दी के साये से आजाद एक शांतिपूर्ण माहौल में’ द्विपक्षीय बातचीत के लिए तैयार है।
नरेंद्र मोदी की यह दलील बिल्कुल दुरुस्त है कि संयुक्त राष्ट्र अब संजीदा मसलों पर बहस की जगह नहीं रहा, यह एक ऐसा मंच बनकर रह गया है, जहां राष्ट्राध्यक्ष अपनी और अपने मुल्क की छवि चमका सकें। इस लिहाज से देखें, तो हिन्दुस्तान की रूहानी रवायतों से भरा मोदी का भाषण अमेरिकी अवाम के लिए लिखा गया था, जबकि मियां शरीफ की फीकी तकरीर में वही सब था, जिसके बारे में पश्चिम के लोग सोचते है कि पाकिस्तान यहां गलत है। मसलन, हिन्दुस्तान से सनक की हद तक मुकाबला, इलाका हासिल करने की भूख और करिश्मे का पूर्ण अभाव। भारतीय प्रधानमंत्री का भाषण पाकिस्तान से यह कहने के अलावा कि ‘वह अपनी जिम्मेदारी को संजीदगी से ले और एक बेहतर माहौल बनाए’ पाकिस्तान पर केंद्रित नहीं था। मोदी की सियासी समझ की तारीफ की जानी चाहिए कि वह बखूबी यह जानते हैं कि पश्चिमी लोगों की राय उनके मुल्क की नीति तय करने में कितनी अहम होती है।
द डेली टाइम्स, पाकिस्तान