खेल में मौत
कहा जाता है कि खेल, युद्ध का अहिंसक और मित्रतापूर्ण रूपांतरण है। बहुत सारे खेल तो इसलिए ही आदिम काल में विकसित हुए, ताकि मनुष्य युद्ध के कौशल का अभ्यास कर सके। कुश्ती, मुक्केबाजी, तलवारबाजी,...
कहा जाता है कि खेल, युद्ध का अहिंसक और मित्रतापूर्ण रूपांतरण है। बहुत सारे खेल तो इसलिए ही आदिम काल में विकसित हुए, ताकि मनुष्य युद्ध के कौशल का अभ्यास कर सके। कुश्ती, मुक्केबाजी, तलवारबाजी, निशानेबाजी जैसे खेल तो सीधे-सीधे युद्ध के कौशल और हथियारों से ही खेले जाते हैं। कभी-कभी खेल में ऐसी दुर्घटना हो जाती है, जो याद दिलाती है कि तमाम एहतियात के बावजूद खेल उतने अहिंसक और सुरक्षित नहीं हैं, जितना हम मानते हैं। बंगाल के युवा प्रतिभाशाली क्रिकेटर अंकित केशरी की एक मैच के दौरान लगी चोट से मौत भी ऐसी ही है। अंकित बंगाल की अंडर-19 क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके थे और भारत की अंडर-19 टीम के संभावित खिलाड़ियों में भी उनका नाम था। उनकी मौत भी अत्यंत दुर्लभ दुर्योगों से हुई। अंकित उस मैच में खेलने वाली 11 की टीम में नहीं थे, वे अतिरिक्त खिलाड़ी थे। वह थोड़ी ही देर पहले किसी खिलाड़ी की जगह क्षेत्ररक्षण करने मैदान में आए थे। एक कैच उनकी तरफ उछला, जिसे पकड़ने एक ओर से वह दौड़े, दूसरी ओर से गेंदबाज खुद कैच पकड़ने दौड़ पड़ा। इस तरह की घटनाएं क्रिकेट में आम होती हैं कि एक ही कैच पकड़ने दो खिलाड़ी दौड़ पड़े। कभी कैच पकड़ा जाता है, तो कभी दोनों के बीच गलतफहमी की वजह से छूट जाता है, कभी दोनों खिलाड़ी टकरा भी जाते हैं और थोड़ी-बहुत चोट भी लग जाती है। लेकिन इस दुर्घटना में दूसरे खिलाड़ी का घुटना अंकित की गर्दन पर लगा, जिससे संभवत: उनकी रीढ़ की हड्डी और मेरूदंड को गंभीर चोट पहुंची।
क्रिकेट में पहले भी गंभीर दुर्घटनाएं हुई हैं, लेकिन ज्यादातर गेंद लगने से हुई हैं। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिलिप ह्यूज को बल्लेबाजी करते हुए गेंद से चोट लगी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी। भारतीय खिलाड़ी रमण लांबा को क्षेत्ररक्षण करते हुए चोट लगी थी। बल्लेबाज के करीब क्षेत्ररक्षण करते समय लांबा को एक जोरदार शॉट की वजह से सिर में गेंद लगी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी। पिछले दिनों एक इजरायली अंपायर की गेंद लगने से मौत हुई थी। टेनिस जैसे खेल में भी गेंद लगने से मौत की घटना हो चुकी है। फुटबॉल में भी ऐसी मौतें हुई हैं। अगर आंकड़े देखें, तो तमाम किस्म के खेलों में अब तक मरे हुए लोगों की तादाद हजारों में पहुंचेगी। कुछ खेल ज्यादा हिंसक हैं, जैसे मुक्केबाजी या बर्फ पर खेली जाने वाली हॉकी। कुछ ज्यादा खतरनाक हैं, जैसे कार या मोटर साइकिल रेसिंग, इनमें मौतें भी ज्यादा होती हैं, लेकिन क्रिकेट जैसे अपेक्षाकृत धीमे खेल में भी गंभीर दुर्घटनाएं काफी होती हैं।
इसका अर्थ यह नहीं लेना चाहिए कि तमाम मानवीय गतिविधियों में खेल ज्यादा खतरनाक है। जानकारों का कहना है कि मौत का खतरा खेलों में जीवन के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले बहुत कम है। इसकी कई वजहें हैं, खेलों में आम तौर पर युवा और शारीरिक रूप से फिट लोग ज्यादा भाग लेते हैं। खेलने वालों को खेल के खतरों का पता होता है, इसलिए वे सतर्क होते हैं। दुर्घटना से बचाव के तमाम इंतजाम होते हैं। इस मायने में सड़क पार करते वक्त दुर्घटना में मरने का खतरा खेल के खतरे से कई गुना ज्यादा होता है। अंकित केशरी की मौत दुखद है और यह हमें याद दिलाती है कि त्रासदी भी मानव जीवन का अनिवार्य अंग है और वह अनपेक्षित रूप से कहीं भी, कभी भी हो सकती है। हमें दूसरे खिलाड़ी सौरव मंडल से भी सहानुभूति होनी चाहिए, जिससे कैच पकड़ने की कोशिश के दौरान अंकित टकराए थे, और जो पूरी तरह अनचाहे अपने साथी की मौत की वजह बने, यह अपराध बोध उनका पीछा कर सकता है।