रक्त और चंदन
आंध्र प्रदेश में 20 चंदन तस्करों का पुलिस के हाथों मारा जाना एक बड़े विवाद का कारण बन गया है। जाहिर है, 20 लोगों की पुलिस की गोलियों से मौत एक बड़ी घटना है। भले ही वे अपराधी ही क्यों न हों। विवाद की...
आंध्र प्रदेश में 20 चंदन तस्करों का पुलिस के हाथों मारा जाना एक बड़े विवाद का कारण बन गया है। जाहिर है, 20 लोगों की पुलिस की गोलियों से मौत एक बड़ी घटना है। भले ही वे अपराधी ही क्यों न हों। विवाद की दूसरी वजह यह है कि मारे गए लोगों में ज्यादातर पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के थे, इस वजह से तमिलनाडु की विभिन्न राजनीतिक पार्टियां इसे मुद्दा बना रही हैं। तमिलनाडु के राजनेताओं का कहना है कि अगर ये लोग अपराधी थे, तो इन्हें गिरफ्तार किया जा सकता था। यह भी उल्लेखनीय है कि इन लोगों के पास बंदूकें नहीं थीं। पुलिस का कहना है कि तस्करों की तादाद 100-150 थी और वे तीर-कमान, कुल्हाड़ी जैसे हथियारों से लैस थे। उन्होंने पुलिस पर हमला किया और जवाबी कार्रवाई में 20 लोगों की मौत हो गई। यह मुद्दा राजनीतिक बन जाए और दोनों राज्यों के बीच झगड़े की वजह बने, इसके पहले आंध्र प्रदेश सरकार को इस घटना की निष्पक्ष जांच की कोशिश करनी चाहिए, जिससे तमिलनाडु के लोग भी संतुष्ट हों।
ये तस्कर रक्तचंदन के पेड़ काट रहे थे। इस इलाके में रक्तचंदन की तस्करी आम है और मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने चुनावों के दौरान तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया था। यह इलाका दो राज्यों कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा के करीब है और किसी जमाने के कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन का इलाका भी इससे सटा है। पुलिस का कहना है कि मारे गए लोगों में दो कुख्यात तस्कर हैं, बाकी संभवत: ग्रामीण मजदूर हैं, जिन्हें इस काम के लिए तस्करों ने इस्तेमाल किया होगा। सिर्फ चंदन तस्करी नहीं, भारत के जंगलों की संपदा की चोरी, अवैध शिकार और तमाम ऐसे गैर-कानूनी कामों को रोकने में एक बड़ी समस्या यह है कि जंगल विभाग के कर्मचारियों को हथियार रखने की इजाजत नहीं है, और अपराधी हमेशा ही हथियाबंद होते हैं। चंदन तस्करी के सिलसिले में ही जंगल विभाग के कर्मियों के मारे जाने की घटनाएं इस इलाके में हुई हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने पुलिस का विशेष कार्य दस्ता बनाया है, जो हथियारबंद तस्करों का सामना करने के लिए जंगल कर्मियों की मदद करता है। यह एनकाउंटर भी इसी दस्ते ने किया है। अभी यह कहना मुश्किल है कि पुलिस की कार्रवाई कितनी जायज थी, या पुलिस ने यह सोचा था कि एक बार सख्त कार्रवाई होने से तस्करों में डर बैठ जाएगा।
यह तो सच है कि भारत के जंगलों की सुरक्षा के लिए सख्त कार्रवाई की जरूरत है, लेकिन ऐसा भी न हो कि अतिरिक्त बल प्रयोग से इतना विवाद हो जाए कि आइंदा जायज कार्रवाई करने में भी हिचकिचाहट हो। इस क्षेत्र में पाया जाने वाला यह रक्तचंदन बहुत दुर्लभ होता है और इसकी एक टन लकड़ी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में दो करोड़ रुपये तक हो सकती है। जाहिर है, इसकी तस्करी का लालच भी बड़ा होगा और उनके तार काफी दूर तक जुड़े होंगे। ऐसे में, इस अपराध के राजनीतिक, प्रशासनिक सूत्रों की भी खोज की जानी चाहिए। इतने बड़े मुनाफे का अपराध करने वाले तस्कर छोटे-मोटे खतरों या सजाओं से नहीं डरेंगे। जरूरी यह है कि जंगल से तस्करी या अवैध शिकार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी स्तर पर स्पष्ट नीतियां बनाई जाएं, जिनमें बल प्रयोग को लेकर भी दिशा-निर्देश हों और शहरों में रहने वाले बड़े तस्करों को घेरने की भी कोशिश हो, जिनके लिए ये छोटे लोग काम करते हैं। अगर स्पष्ट नीतियों के तहत तमाम राज्यों की पुलिस समन्वय के साथ काम करेगी, तो ये अपराध भी रुकेंगे और ऐसे विवाद भी नहीं होंगे।