आम लोगों के राष्ट्रपति
एपीजे अब्दुल कलाम संभवत: भारत के सबसे ज्यादा लोकप्रिय राष्ट्रपति थे। इसकी एक बड़ी वजह उनका सरल, उत्साही और विनम्र स्वभाव था, जिसके चलते वह प्रोटोकॉल की परवाह किए बिना किसी से भी सहज संवाद बना सकते...
एपीजे अब्दुल कलाम संभवत: भारत के सबसे ज्यादा लोकप्रिय राष्ट्रपति थे। इसकी एक बड़ी वजह उनका सरल, उत्साही और विनम्र स्वभाव था, जिसके चलते वह प्रोटोकॉल की परवाह किए बिना किसी से भी सहज संवाद बना सकते थे। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वह एक आम नागरिक बने रहे। उनकी लोकप्रियता की दूसरी वजह यह थी कि वह युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक और प्रेरक बने रहे। सफलता के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा देने वाले कई नामी लोग इस वक्त बहुत सफल हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर के लिए यह व्यवसाय है या वे पैसे कमाने के लिए यह काम करते हैं। डॉ. कलाम ने यह काम नि:स्वार्थ भाव से किया। वह मानते थे कि भारत की युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन देना उनका कर्तव्य है। उन्हें संवाद करना पसंद था, खासकर युवाओं और छात्रों से। उनकी मृत्यु भी आईआईएम शिलॉन्ग के छात्रों को संबोधित करते हुए हुई। उनका अपना जीवन बड़ी उपलब्धियों की मिसाल था, इस वजह से उनकी बातों की विश्वसनीयता बढ़ जाती थी। ईमानदारी, लगन और मेहनत से अपना काम करने की सलाह देने का उनसे ज्यादा अधिकार और विश्वसनीयता किसमें हो सकती थी?
कलाम निर्धन परिवार में पैदा हुए और बड़ी कठिनाइयों के बीच उन्होंने शिक्षा हासिल की। उसके बाद वह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में शामिल हुए, फिर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में उन्होंने काम किया। दोनों ही जगहों पर उनका कार्यकाल बहुत सफल रहा। उनकी सफलताओं से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें मिसाइल कार्यक्रम की बागडोर सौंपी और उनके दौर में भारत ने कई मिसाइल विकसित किए। वह भारत के परमाणु कार्यक्रम से भी जुड़े रहे और सन 1999 के पोखरण परमाणु विस्फोट में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उससे पहले ही उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और सन 2002 में तत्कालीन राजग सरकार ने उन्हें राष्ट्रपति बनाया।
वह स्वभावत: सैद्धांतिक वैज्ञानिक नहीं थे, उनका सारा काम व्यावहारिक विज्ञान के क्षेत्र में है, यानी उन्होंने उपलब्ध वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान के सहारे नए उपकरण और तंत्र विकसित किए। यह भी महत्वपूर्ण है कि अपना सारा काम उन्होंने सरकारी संगठनों के ढांचे के अंदर रहकर ही किया। अत्यंत प्रतिभाशाली लोगों में अक्सर विद्रोह और संदेह का तत्व बहुत होता है और ऐसे लोग आम तौर पर सरकारी संगठनों के तौर-तरीकों से तालमेल नहीं बिठा पाते। इसीलिए भारत के कई बड़े वैज्ञानिक विदेशी विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं में जाकर ही काम कर पाए। कलाम में इस तरह का विद्रोही और संदेही तत्व नहीं था, वह यह विश्वास करते थे कि इस तंत्र में रहकर भी अच्छा काम किया जा सकता है। उनकी सफलता का एक बड़ा कारण यह विश्वास और उत्साह था। यह विश्वास और उत्साह उनके जीवन के अंत तक बना रहा और इसलिए हमेशा उनके प्रशंसक बढ़ते ही गए।
बतौर राष्ट्रपति उनका कार्यकाल बहुत घटना प्रधान नहीं रहा। राजनीति उनके स्वभाव में नहीं थी, इसलिए कहीं-कहीं बड़े राजनीतिक मुद्दों पर उनके फैसलों की आलोचना भी हुई। इसी असहमति से कांग्रेस और संप्रग की कई सहयोगी पार्टियां उन्हें दूसरा कार्यकाल देने के लिए सहमत नहीं हुईं। लेकिन उनकी ईमानदारी और नीयत पर कभी कोई शक किसी को नहीं रहा। जिस सादगी से वह राष्ट्रपति के पद पर आए, उसी सादगी से उन्होंने राष्ट्रपति भवन छोड़ दिया। उनकी लोकप्रियता उनके पद छोड़ने पर कम नहीं हुई थी और यह संसार छोड़ने के बाद भी वह लोकप्रिय बने रहेंगे।