फोटो गैलरी

Hindi Newsहर लीग उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरती है

हर लीग उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरती है

आईपीएल के उद्घाटन समारोह से अब तक इस लीग को देखने वालों की तादाद में 68 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यही सच...

हर लीग उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरती है
Sat, 20 Apr 2013 06:41 PM
ऐप पर पढ़ें

आईपीएल सीजन छह का रंगारंग और रोमांचक कार्यक्रम देश भर में धमाल मचा रहा है। दर्शक मैदान में भी पहुंच रहे हैं और टीवी से भी चिपके हुए हैं। आईपीएल की टीवी रेटिंग, ब्रांड वैल्यू और अब तक के सफर पर इंडियन प्रीमियर लीग के सीईओ सुंदर रमन से गौरी शाह ने बातचीत की। पेश हैं, बातचीत के अंश

पिछले पांच सीजन में हमें लीग की रेटिंग के मामले में अलग-अलग तथ्य मिले हैं। आप इस चुनौती से कैसे निपटते हैं?
आईपीएल के उद्घाटन समारोह से अब तक इस लीग को देखने वालों की तादाद में 68 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यही सच है। सीजन एक में 10 करोड़ दर्शक थे, तो पिछले सीजन में 16 करोड़ 80 लाख। यह भी तब, जब इसके बारे में गलत-गलत जानकारियां बढ़ रही थीं। हर साल लगभग 250 करोड़ आंखें आईपीएल देखती हैं। इसकी तुलना इंग्लिश प्रीमियर लीग से कीजिए, आठ महीने के इस लीग को दुनिया भर की लगभग 450 करोड़ निगाहें देखती हैं। लोग रेटिंग की बातें करते रहते हैं, जबकि इसे आंकना कुछ चीजों पर ही निर्भर करता है। एक उदाहरण देखिए कि बीते साल 49 दिनों में 45 दिन आईपीएल भारतीय टेलीविजन पर सबसे ज्यादा देखा जाने वाला कार्यक्रम था। मुझे काफी संदेह है कि दुनिया में ऐसी कोई और लीग ही होंगी, जिन पर इस तरह से नजरें गड़ाई जाती हैं कि उनकी रेटिंग कितनी हैं। अब इसमें निरंतरता भी आ रही है। टीमों के प्रति लोगों की निष्ठा धीरे-धीरे बन रही है। यह आईपीएल और उसकी फ्रेंचाइजी टीमों की तरक्की के लिए काफी महत्वपूर्ण है। साथ ही लंबे समय में यह लीग के लिए फायदेमंद है। हमारे डिजिटल पार्टनर यह बता रहे हैं कि इस साल आईपीएल के शुरुआती तीन मैचों को लेकर ऑनलाइन स्पेस में 40 फीसदी की बढ़ोतरी दिखी है। ये संकेत बताते हैं कि सब सही चल रहा है।

इसकी पहुंच बढ़ाने की कोई ठोस योजना है?
इसे लेकर कई स्तर पर काम हो रहे हैं। एक, इसके बॉडकास्टर्स के पास तीन चैनल आईपीएल दिखाने के लिए हो गए हैं। सोनी मैक्स इसे अंग्रेजी में प्रसारित करता है। हिंदी में सोनी सिक्स है, इसे नए दर्शक मिल रहे हैं।.. इसके अलावा, आईपीएल के मैच नए शहरों में खेले जाएंगे। मसलन, रांची के पास बेहतरीन स्टेडियम है। वहां क्रिकेट की काफी डिमांड भी है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी हमारे पास नए मैदान हैं। ..हमारे पार्टनर भी बड़ी मजबूती से जुड़ रहे हैं। पेप्सी ने फैन कैन और पेप्सी आईपीएल प्रोमो को लांच किया है। अगर हम खेल प्रेमियों को ब्रांड फैन्स और ब्रांड फैन्स को खेल प्रेमियों में बदलने में सक्षम रहे, तो हम निश्चित तौर पर और लोगों को आईपीएल से जोड़ पाएंगे।
पिछली बार सात ऑन-ग्राउंड स्पॉन्सर थे, इस बार इसमें कमी आई है। पेप्सी के तौर पर हमें टाइटल स्पॉन्सर मिला है। वोडाफोन का साथ पिछली बार से बना हुआ है। हमारे पास यस बैंक है। अंपायरों के लिए हमारे पास आधिकारिक पार्टनर के तौर पर यूएसएल है और स्टार इंडिया का भी साथ है। राजस्व हमारी पहली प्राथमिकता नहीं है। हम क्लोज स्लॉट नहीं बचेंगे। इसकी कीमतों पर हम नियंत्रण बनाए रखेंगे। यहां तक कि आईपीएल के पहले संस्करण में भी हमने डीएलएफ, हीरो होंडा, सिटी बैंक और वोडाफोन के साथ शुरुआत की थी। वोल्क्सवैगन और कॉर्बन तो दो साल बाद 2010 में जुड़े। इसलिए हम आयोजन की वैल्यू पर अपना नियंत्रण बनाए रखने पर यकीन करते हैं। हम चाहते हैं कि वैसे लोग आईपीएल की ओर आकर्षित हों, जो इसके प्रति प्रतिबद्ध है और उनमें यह माद्दा हो कि हम जिस स्तर पर चाहें, उन्हें पार्टनर बनाएं।

कौन-कौन से क्षेत्र में सुधार की जरूरत है?
टीवी के नजरिये से हमें दर्शकों को खेल के और करीब ले जाना होगा। दर्शक टीवी पर खिलाड़ियों और अंपायर को सुन सकें, अलग-अलग कोणों से मैच को देख सकें, आंकड़े और ग्राफिक्स के सहारे उन्हें समझ सकें, तो अच्छा होगा। आप टीवी पर दर्शक-दीर्घा में बैठे लोगों को भी ज्यादा देख पाएंगे। उनके पहनावे क्या हैं और वे अपनी टीमों की हौसलाअफजाई कैसे करते हैं, ये सब देखेंगे, तभी दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी। फ्रेंचाइजी टीमें अलग-अलग तरीके से अपने प्रशंसकों को आकर्षित कर रही हैं। स्टेडियम के अंदर हमारी मेहमाननवाजी के बहुत लोग कायल हैं, पर इस क्षेत्र में कई ऐसे अवसर हैं, जहां इजाफा हो सकता है। लेकिन इसमें वक्त लगेगा।

क्या विवादों के चलते आईपीएल की ब्रांड वैल्यू कम हुई है?
हमारा मूल मकसद है कि आईपीएल टूर्नामेंट को खेल की दृष्टि से और प्रभावशाली तथा अनुबंधकर्ताओं, फ्रेंचाइजी टीमों और स्पॉन्सरों के लिए सफल बनाना। साथ ही, यह निवेशकों से लेकर हितधारकों के लिए भी कामयाब साबित हो। आईपीएल के इन मूल उद्देश्यों पर ब्रांड वैल्यू का घटना-बढ़ना कोई असर नहीं डालता है। एजेंसियां अलग-अलग अध्ययन करती रहती हैं और इन सबसे हम कुछ नहीं खोते हैं। हर लीग उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरती है और हम इन सबको अपने विकास की राह में ही देखते हैं।

इस सीजन की शुरुआत में मैदान पर बड़े स्कोर नहीं दिखे। क्या इससे आप चिंतित थे?
मेरे हिसाब से टी-20 फॉर्मेट किसी ‘लो-हैंगिग फ्रूट’ की तरह है, जिस खेल प्रेमी और नॉन-क्रिकेट फैन्स, दोनों की नजरें हैं। इस खेल को सबसे अधिक दिलचस्प बनाता है इसका अप्रत्याशित होना। लोग मैच इसलिए देखते हैं कि इसमें कुछ भी होने का रोमांच बरकरार रहता है। कई मैच हुए और कई मैच होने बाकी हैं। इसलिए कोई यह नहीं कह सकता है कि औसत स्कोर कम है। अगर अंतिम ओवर तक स्क्रीन पर काफी रन दिख जाते हैं, तो भी बढ़िया है और कम रन दिखते हैं, तब भी बहुत अच्छा है। लोग इसलिए आते हैं कि वे अंत तक दोनों टीमों के संघर्ष का मजा लूट सकें। स्कोर तो मैदान में बस मुकाबले के रोमांच को दर्शाता है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें