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भारत भूमि को जोड़ने में भ्रष्टाचार की भूमिका

अगर हजारों सरकारी नौकरियों को निचोड़कर उनका रस निकाल लिया जाए, तो राज्यपाल की नौकरी बनती है। हजारों सरकारी नौकरियों को निचोड़ने पर काम एक बूंद भी नहीं निकलेगा, पर सुविधाएं एकाध छोटे-मोटे तालाब जितनी...

भारत भूमि को जोड़ने में भ्रष्टाचार की भूमिका
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 15 Jul 2015 10:06 PM
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अगर हजारों सरकारी नौकरियों को निचोड़कर उनका रस निकाल लिया जाए, तो राज्यपाल की नौकरी बनती है। हजारों सरकारी नौकरियों को निचोड़ने पर काम एक बूंद भी नहीं निकलेगा, पर सुविधाएं एकाध छोटे-मोटे तालाब जितनी निकलेंगी। यह निचोड़ ही राज्यपाल की नौकरी है, काम बूंद भर का और सुविधाएं तालाब भर की। जब केंद्र में नई सरकार आती है, तो वह सारे राज्यपाल बदल देती है, ताकि अपने थके-हारे लोगों को आराम की जगह दे सके, कुछ को एहसास दिलाया जा सके कि वे थके-हारे हैं।

केंद्र में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार आई, तो उसने भी यह रीत निभाई। पुरानी सरकार के सारे राज्यपाल विदा हो गए या करा दिए गए। अपवाद सिर्फ मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव हैं। रामनरेश यादव इसलिए बच गए, क्योंकि व्यापम घोटाले में उनका नाम आया। भ्रष्टाचार ने उनकी नौकरी बचा ली। जो हटाए गए, अब वे पछता रहे होंगे।

भ्रष्टाचार ही था, जिसने कांग्रेसी राज्यपाल और भाजपा सरकार के बीच स्नेह-सूत्र बांध दिया। राजनेताओं को सिर्फ भ्रष्टाचार जोड़ता है, जितना बड़ा भ्रष्टाचार, उतना मजबूत जोड़। व्यापम ने तो सारी दीवारें गिरा दीं कांग्रेसी राज्यपाल और भाजपा सरकार के बीच की, लायक और नालायक छात्रों के बीच की, असली और फर्जी डिग्री के बीच की, जीवित और मृतक के बीच की, हत्या और आत्महत्या के बीच की। ईमानदारी दीवारें बनाती रही, और भ्रष्टाचार दीवारें गिराता रहा।

इस देश में अगर राजनीति में झगड़े हैं, विवाद हैं, संसद और विधानसभाओं में बवाल मचा रहता है, तो उसकी वजह यह है कि भ्रष्टाचार उतना व्यापक नहीं है, जितना होना चाहिए। अगर सिर्फ भ्रष्टाचार रहेगा, तो सारे राजनीतिक विरोध खत्म हो जाएंगे, सहयोग का नया युग शुरू होगा। तब इस पार्टी और उस पार्टी के मंत्री, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री किसी में कोई फर्क नहीं होगा। तब पूरा देश एक व्यापम या बीसीसीआई होगा, जहां हर चीज फिक्स होगी। रामनरेश यादव से पूछिए या शिवराज सिंह चौहान से पूछिए।

 

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