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जीवन में धूप-छांव को बसाने वाला डिजाइनर

दिल्ली की जीवन भारती बिल्डिंग, ब्रिटिश काउंसिल बिल्डिंग, साबरमती आश्रम का गांधी मेमोरियल, भोपाल का भारत भवन और विधानसभा भवन, गोवा में कला अकादमी व जयपुर का जवाहर कला केंद्र, पूरे देश में ऐसी बहुत-सी...


जीवन में धूप-छांव को बसाने वाला डिजाइनर
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 18 Jun 2015 12:45 AM
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दिल्ली की जीवन भारती बिल्डिंग, ब्रिटिश काउंसिल बिल्डिंग, साबरमती आश्रम का गांधी मेमोरियल, भोपाल का भारत भवन और विधानसभा भवन, गोवा में कला अकादमी व जयपुर का जवाहर कला केंद्र, पूरे देश में ऐसी बहुत-सी इमारतें हैं, जो हमें लंबे समय तक मशहूर आर्किटेक्ट चाल्र्स कोरिया की याद दिलाती रहेंगी। लेकिन इन इमारतों से ज्यादा महत्वपूर्ण हमारे घरों, हमारी इमारतों व उसके माहौल के बारे में चाल्र्स कोरिया की वह सोच है, जिसे उन्होंने अपने निर्माण दर्शन के रूप में अपनाया। कोरिया के डिजाइन सिर्फ जरूरतें पूरी करने वाली भव्य इमारत बनाने के लिए ही नहीं थे, वे सुविधाजनक माहौल देने वाले भी थे।

चार्ल्स कोरिया की डिजाइन की हुई इमारतों में एक खास तरह की भव्यता है। ये इमारतें चकाचौंध नहीं करतीं, आंखों को राहत देती हैं। कोरिया को हम स्वतंत्र भारत के सबसे प्रयोगधर्मी आर्किटेक्ट की श्रेणी में रख सकते हैं। हर जगह वह हरियाली के लिए स्पेस चाहते थे। कोरिया की डिजाइन की हुई इमारतों में कमरों की दीवारें हमेशा 18 फीट ऊंची होती हैं। हर फ्लैट या दफ्तर में सूरज की रोशनी दिन में एक बार जरूर आती है। ‘ओपेन टू स्काई स्पेस’ को उन्होंने मूलमंत्र की तरह अपनाया था। वास्तुशास्त्र और न जाने किस-किस चीज का दावा करने वाले बहुत से आर्किटेक्ट इस जरूरी चीज पर अब अक्सर ध्यान नहीं देते। इसके साथ ही कोरिया ने भारतीय जलवायु के मिजाज को देखते हुए अपनी इमारतों में जाली और छज्जों के लिए विशेष जगहें बनाईं। इसी तरह, आमतौर पर किसी भी इमारत की सीढ़ियों की क्वालिटी के बारे में बात नहीं होती। कोरिया की डिजाइन की हुई इमारतों में सीढ़ियों को खास तवज्जो मिली है। उनकी सीढ़ियां चौड़ी हैं। दो सीढ़ियों के बीच का अंतर बहुत कम है। वह बुजुर्गों, बीमारों और गर्भवती महिलाओं को लेकर बेहद संवेदनशील थे। कोरिया उन इमारतों को खारिज कर देते, जिनमें सीढ़ियां लोगों को थकाती और परेशान करती हों।

दिल्ली के कनॉट प्लेस को डिजाइन करने वाले रॉबर्ट रसेल टोर से चार्ल्स कोरिया खासे प्रभावित थे। उन्हें कनॉट प्लेस की जो बात बहुत पसंद थी, वह थी दुकानदारों को बाजार के ऊपर ही घर देने की व्यवस्था। बाजार के बीचोबीच बहुत बड़े पार्क की योजना भी उन्हें बहुत पसंद थी, जहां खरीदारी के बाद लोग कुछ लम्हे बिता सकें।

कोरिया की डिजाइन की हुई बहुत सी इमारतों में लाल रंग की ईंटों पर सीमेंट का लेप अक्सर नहीं दिखता। इसे ओपेन ब्रिक स्टाइल का नाम दिया जाता है। कोरिया यह मानते थे कि सीमेंट का लेप, उस पर होने वाला रंग-रोगन या तरह-तरह के चमकते पत्थरों की सजावट वाले घरों में एक बनावटीपन झलकता है, जबकि खुली ईंटों की सजावट उनकी असलियत और मजबूती को दिखाती है। दिखावटीपन के इस दौर में हमें चार्ल्स कोरिया के दर्शन की वाकई सबसे ज्यादा जरूरत है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

 

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