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सबक तो लो

सुबह उठे, तो सिर भारी था। रात में नींद भी ठीक से नहीं आई थी। कल उनसे एक गलती हो गई थी। बस तभी से उनका मूड उखड़ा हुआ था। हम काम करते हैं, तो गलतियां होती ही हैं। कभी-कभी हम उससे बाहर नहीं आ पाते।...

सबक तो लो
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Oct 2014 08:04 PM
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सुबह उठे, तो सिर भारी था। रात में नींद भी ठीक से नहीं आई थी। कल उनसे एक गलती हो गई थी। बस तभी से उनका मूड उखड़ा हुआ था। हम काम करते हैं, तो गलतियां होती ही हैं। कभी-कभी हम उससे बाहर नहीं आ पाते। इसीलिए सूजन मैकिलन का मानना है, ‘गलती तो गलती है। उस पर अटको मत। जिम्मेदारी लो और आगे बढ़ जाओ।’ वह मशहूर न्यूट्रीशनिस्ट हैं। उनकी चर्चित किताब है, ब्रेकिंग द बॉन्ड्स ऑफ फूड एडिक्शन।

काम करने और गलती होने का एक अजब रिश्ता है। जब गलती होती है, तो खराब लगता ही है। कुछ वक्त के लिए हम दुखी हो सकते हैं। उसमें खोए भी रह सकते हैं। यहां तक तो कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन जब हम वहीं खड़े रह जाते हैं, तो दिक्कत होती है।

सबसे पहले तो हमें यह मानना चाहिए कि गलती हमारे काम का ही हिस्सा है। हम गलतियां करते हैं। उनसे सीखते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। उसमें कोई दिक्कत ही नहीं है। हमने अगर गलतियों से सबक ले लिया, तो फिर कोई बात नहीं। तब तो हर गलती हमारे लिए वरदान हो सकती है।

गलतियां अक्सर अनजाने में होती हैं। जान-बूझकर की गई गलतियों पर तो बात करने का कोई मतलब ही नहीं है। अनजाने में हुई गलतियों से हम सीख ही ले सकते हैं। अपने से यह वादा कर सकते हैं कि आगे से वैसी गलती नहीं करेंगे। अगर काम करते हुए कोई कमी रह गई है, तो उसे दूर करने की कोशिश करेंगे।

हम हर चंद वह कोशिश करेंगे, जिससे आगे गलती न हो। लेकिन गलती करने के बाद हम उसके जाल में नहीं फंसेंगे। गलती हमें जकड़ ले। यह हम कतई नहीं चाहेंगे। और यह तभी होगा, जब हम उसकी जिम्मेदारी लेंगे। अगर हम जिम्मेदारी नहीं लेते हैं, तो हमारा अटकाव तय है। यह हम कभी नहीं चाहेंगे।                                     

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