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विवेक, तर्क और ज्ञान

जब हम कोई भी काम विवेक के अनुसार तर्क के आधार पर करते हैं, तो उसी समय हम कारण और प्रभाव तत्व की ओर भी आकर्षित होते हैं- यह विज्ञान कहलाता है। इस दुनिया में सभी कुछ कारण तत्व के दायरे के अंदर आता है...

विवेक, तर्क और ज्ञान
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 15 Sep 2014 09:13 PM
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जब हम कोई भी काम विवेक के अनुसार तर्क के आधार पर करते हैं, तो उसी समय हम कारण और प्रभाव तत्व की ओर भी आकर्षित होते हैं- यह विज्ञान कहलाता है। इस दुनिया में सभी कुछ कारण तत्व के दायरे के अंदर आता है और कोई भी चीज अकारण नहीं है। हम देखकर पता लगा सकते हैं कि कारण तत्व क्या है? जैसे हम चीनी देखते हैं, यहां चीनी का कारण तत्व क्या है? चीनी का कारण तत्व गन्ना है। इसीलिए जीवन के हरेक क्षेत्र में कारण तत्व है।

विज्ञान क्या है? जो विवेक पर आधारित हो, कारण और प्रभाव तत्व पर भी ध्यान रखता हो, वह विज्ञान कहलाता है। कई सौ वर्ष पूर्व एक महान दार्शनिक महर्षि कणाद ने कहा था, ‘कारणाभावात् कार्याभाव:।’ जहां कारण तत्व नहीं है, वहां प्रभाव तत्व नहीं हो सकता। आध्यात्मिक साधना का अभ्यास भी विज्ञान के दायरे में आता है। भगवान सदाशिव ने आध्यात्मिक विज्ञान की खोज की थी। सभी प्राणियों में कमोबेश ज्ञान होता है, किंतु अंतर्ज्ञान का अभाव होता है। मनुष्य में ज्ञान और अंतर्ज्ञान, दोनों तत्व रहता है। मनुष्य एक अजीब प्रकृति का जीव है, उसके मस्तिष्क के कुछ भागों में चेतन और कुछ भागों में अचेतन अवस्था है। वहीं पर सारी क्षमताएं उपस्थित हैं। जब मन की चेतना बाह्य जगत से निकलकर आंतरिक जगत में परिवर्तित हो जाती है, तब वही वास्तविक ज्ञान है। यहां बाह्य ज्ञान का कोई स्थान नहीं है।

विज्ञान के छात्रों को पता है कि छाया के दो भाग हैं, छाया और छाया की प्रतिछाया, जो वास्तविक ज्ञान नहीं है। सभी बाह्य ज्ञान वास्तव में ज्ञान नहीं हैं। छाया और प्रतिछाया की ओर देखने से वास्तविक चीज का उचित ज्ञान नहीं हो सकता, जैसे दो पेड़ों की छाया और प्रतिछाया देखने से पता नहीं चलता है कि कौन अमरूद का पेड़ है और कौन लीची का।

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