सबसे भली चुप
कहते हैं कि किसी व्यक्ति का चरित्र उसकी वाणी से जाना जाता है। जिंदगी में कई बार ऐसा होता है कि जब सामने वाला क्रोधित होकर ¨हसक व्यवहार करता है और हम भी जवाब में आक्रामक हो जाते हैं, जबकि इसका सही...
कहते हैं कि किसी व्यक्ति का चरित्र उसकी वाणी से जाना जाता है। जिंदगी में कई बार ऐसा होता है कि जब सामने वाला क्रोधित होकर ¨हसक व्यवहार करता है और हम भी जवाब में आक्रामक हो जाते हैं, जबकि इसका सही जवाब है- कोई प्रतिक्रिया न देना और शांति से चले जाना। जब कोई हमें अपने गुस्से की लपटों में झुलसाना चाहता है, तो खुद को बचाने में ही समझदारी है। सामने वाले का क्रोध हमारी समस्या नहीं है, वह वास्तव में उसकी खुद की समस्या है।
कुछ लोग मानते हैं कि पीछे हटने से या चुप बैठ जाने से हम कायर मान लिए जाएंगे, पर ऐसा बिलकुल नहीं है, क्योंकि शांति होने के बाद समस्या का हल निकालना हमेशा ज्यादा आसान हो जाता है। इसलिए जब भी किसी ¨हसात्मक टकराव से मुकाबला हो, तो उसमें शामिल होने से बेहतर है, उसका तटस्थ दर्शक बना जाना।
ऐसे हालात अक्सर अजनबियों या प्रतिद्वंद्वियों के साथ ही नहीं, घर-परिवार में भी बन जाते हैं। पहले के जमाने में ऐसी समस्याओं को आम तौर पर परिवार जनों के बीच या गांव के बड़े-बुजुर्गो की राय के अनुसार सुलझा लिया जाता था। पर अब हम जिस सामाजिक संरचना में जी रहे हैं, वहां यह आसान नहीं है। इस बदली हुई सामाजिक स्थिति में खुद को समायोजित करने में असमर्थ मानव न खुद को सुखी कर पाता है और न अपने परिवार को। तभी तो आज छोटी-मोटी नोंक-झोंक तलाक का रूप ले लेती है या कहीं-कहीं तो इससे भी ज्यादा गंभीर नतीजों की तरफ चली जाती है। ऐसे हालात में सुरक्षित और तनाव मुक्त रहने का एक ही तरीका है- ‘कम बोलो, प्यार से बोलो और सोच-समझकर बोलो।’ यह संयम का वह स्वर्णिम सिद्धांत है, जिसने हमें हमेशा ही आपसी तनावों और इससे उपजी मुसीबतों से बचाया है। आज भी इसी को अपनाने की जरूरत है।
ब्रrाकुमार निकुंज