भारतीय प्रोफेशनल्स बदलेंगे मंदी का रुख
पिछले महीने प्रकाशित अमेरिकी सरकार के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक कार्यालय की ग्लोबल ट्रेंड 2030 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वर्ष 2030 तक विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनकर उभर सकता...
पिछले महीने प्रकाशित अमेरिकी सरकार के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक कार्यालय की ग्लोबल ट्रेंड 2030 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वर्ष 2030 तक विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनकर उभर सकता है। इस काम में भारतीय पेशेवरों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा 24 देशों में कराए गए सर्वे में पाया गया कि भारतीय पेशेवरों के आगे बढ़ने की सबसे अधिक संभावनाएं हैं। पिछले दिनों नई दिल्ली में आयोजित भारत आसियान शिखर सम्मेलन में दस आसियान देशों के साथ भारत द्वारा सेवा व निवेश क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया गया। इस पर अमल के बाद आसियान देशों में भारतीय इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक, वकील, प्रोफेसर, अकाउंटेंटस आदि अपनी सेवाएं बिना किसी बाधा के दे सकेंगे। इंडोनेशिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर, मलेशिया, ब्रुनेई, थाइलैंड, म्यांमार, लाओस, वियतनाम और कंबोडिया जैसे इन आसियान देशों की जनसंख्या 60 करोड़ से अधिक है। इसके पहले भारत आसियान समूह के साथ 2009 में वस्तुओं के क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौता कर चुका है। तब से आसियान देशों के साथ भारत का व्यापार लगातार तेजी से बढ़ रहा है। 1990 में यह व्यापार सिर्फ 2.4 अरब डॉलर का जो 2011-12 में लगभग 80 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अब उम्मीद है कि सर्विस क्षेत्र में एफटीए से आसियान के साथ व्यापार वर्ष 2015 तक 100 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच जाएगा।
विश्व अर्थव्यवस्था में संकट के कारण भारत का निर्यात काफी घटा है और इसके जरिये आने वाली विदेशी मुद्रा में भी कमी आई है। इस कमी को भारतीय प्रोफेशनल्स कुछ हद तक दूर कर सकते हैं। दुनिया भर में यह भी कहा जा रहा है कि जिस तरह मंदी की दोहरी मार पश्चिमी देशों को परेशान किया है उससे उबरने में भारतीय प्रोफेशनल्स एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इसकी शुरुआत भी हो गई है। दिसंबर 2012 में बिट्स पिलानी के तीन छात्रों को गूगल ने एक करोड़ बाइस लाख रुपए का सालाना पैकेज देकर चुना। यह बिट्स के किसी छात्र का सबसे बड़ा पैकेज है। भारत के प्रोफेशनल्स की बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था में समृद्धि का नया परिदृश्य स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
दुनिया के अर्थ विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि भारतीय प्रोफेशनल्स भारतीय उद्योग व्यापार को नई दिशा देकर भारत की मिट्टी को सोना बनाने की पूरी शक्ति रखते हैं। यदि प्रोफेशनल्स के लिए एफटीए के माध्यम से काम के अच्छे मौके जुटाने का अभियान आगे बढ़ेगा तो भारतीय प्रोफेशनल्स दुनिया के कोने-कोने से डॉलर, यूरो और येन की कमाई करके भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को भरपूर कर सकते हैं। हम आशा करें कि भारत सरकार भारतीय प्रोफेशनल्स को देश के आर्थिक विकास का बुनियादी घटक बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)