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बाजार की मांग ही बढ़ाएगी विकास दर

संयुक्त राष्ट्र व्यापार व विकास सम्मेलन (अंकटाड) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में  ऐसे संकेत दिख रहे हैं, जो 2007-08 में आए भारी वित्तीय संकट के समय दिख रहे थे।...

बाजार की मांग ही बढ़ाएगी विकास दर
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 17 Sep 2014 08:20 PM
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संयुक्त राष्ट्र व्यापार व विकास सम्मेलन (अंकटाड) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में  ऐसे संकेत दिख रहे हैं, जो 2007-08 में आए भारी वित्तीय संकट के समय दिख रहे थे। वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर इस साल अधिकतम 3.0 प्रतिशत रहेगी। विकासशील देशों में औसतन 4.7 प्रतिशत और विकसित देशों में 1.8 प्रतिशत होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में मांग बढ़े, इसके लिए सभी वर्गों की आमदनी बढ़ाने पर ध्यान देना जरूरी होगा। चीन में आर्थिक तेजी के लिए घरेलू स्तर पर उपभोग बढ़ाने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। आंतरिक मांग बढ़ने से ही चीन लक्ष्य के अनुरूप 7.4 फीसदी की मौजूदा विकास दर हासिल कर सकेगा। ऐसे में, भारत को भी विकास दर बढ़ाने के लिए आंतरिक मांग बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। भारत में विकास दर को छह फीसदी तक ले जाने के लिए यही तरीका अपनाने की कोशिश हो रही है। उपभोग का स्तर बढ़ाने के लिए लोगों की आय में वृद्धि के प्रयास शुरू किए गए हैं। लोगों को रोजगार देकर उनकी क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर सड़क, आवास, बंदरगाह, विद्युत उत्पादन आदि क्षेत्रों की योजनाओं को शीघ्र पूरा करने का अभियान शुरू किया गया है।

करीब डेढ़ लाख करोड़ की राजमार्ग परियोजनाएं शुरू कर दी गई हैं। अब सरकार इस साल बुनियादी ढांचे से जुड़ी दो लाख करोड़ रुपये लागत की परियोजनाएं शुरू करने की ओर बढ़ रही है। एक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि भारत सरकार 60 अरब डॉलर की परियोजनाओं को पटरी पर ला सकती है। यह अटकी पड़ी परियोजनाओं के मूल्य का करीब 45 प्रतिशत है। इन दिनों अर्थ विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि भारतीय उपभोक्ताओं का विश्वास ऊंचाई पर पहुंच गया है। इस बीच महंगाई ने थोड़ी राहत दी है। थोक महंगाई की दर अगस्त 2014 में घटकर 3.74 फीसदी पर आ गई, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे कम है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घट जाने के मद्देनजर भारत में भी पेट्रोल की कीमतें लगातार कम की जा रही हैं। इतना ही नहीं, अब सात साल में पहली बार डीजल के दाम में भी कटौती की संभावना है। पिछले दस साल में पहली बार रियल इस्टेट मार्केट में तेजी का दौर देखने को मिला है।

एफडीआई नियमों में बदलाव से मार्केट में नए निवेशक आने लगे हैं। मैनपावर एम्प्लॉयमेंट आउटलुक सर्वे  के मुताबिक, भारतीय नियोक्ताओं को अगले तीन महीने के दौरान जबरदस्त नियुक्तियां होने की उम्मीद है। अर्थशास्त्र में माना जाता है कि यदि किसी देश में सरकारी परियोजनाओं के क्रियान्वयन के विलंब में कमी आती है और भ्रष्टाचार कम होता है, तो लागत में कमी आती है और वस्तुओं व सेवाओं की मांग में वृद्धि होती है। विकास का रास्ता यहीं से निकलेगा, इस बीच चाहे दुनिया के आर्थिक हालात कमजोर ही क्यों न हों।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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