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झारखंडी झांझ में सूफियाना संतूर

दो राज्यों में आगामी चुनावों का आसन्न संकट देखते हुए मुझे लगा कि मुझे केंद्र सरकार की मोदमयी मुद्रा निहारनी चाहिए। मोदी जी त्रिभंगी मुद्रा में थे,  जैसे भाजपा जीतकर अब भारत विजय पर निकले हों।...

झारखंडी झांझ में सूफियाना संतूर
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 21 Nov 2014 07:45 PM
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दो राज्यों में आगामी चुनावों का आसन्न संकट देखते हुए मुझे लगा कि मुझे केंद्र सरकार की मोदमयी मुद्रा निहारनी चाहिए। मोदी जी त्रिभंगी मुद्रा में थे,  जैसे भाजपा जीतकर अब भारत विजय पर निकले हों। लोककवि इस मुद्रा पर यही कहेंगे कि- वादे आश्वासन और बातें बड़ी-बड़ी/ भुस में आग लगाए जमालो दूर खड़ी। कांग्रेस रोय रही खटिया पर पड़ी-पड़ी। दिल्ली में श्रीराम क्या आए,  सभी विभीषण प्रोन्नति पाए। कार्यपालिका खुंदक में है। धींगा-मुश्ती संसद में है। अन्य दलों की तकदीरों की बुरी घड़ी। मूंगफली निकली, पर सारी सड़ी-सड़ी। भुस में आग लगाए जमालो दूर खड़ी। आगे चलें। लोकतंत्र में बार-बार लोक की तरफ जाना पड़ता है। लोकपाल बिल लापता है। घोषणा पत्रों से घोषणाएं गायब हैं। कौन मंत्री,  विधायक शपथ याद रखता है। कहां जम्मू-कश्मीर की ठंडी वादियों में चुनावी गरमी और कहां झारखंड के आदिवासी अंचल में चुनावी चकल्लस। क्या विडंबना है कि फूलों का राजा गुलाब है,  जिसमें कांटे होते हैं और कमल जो कीचड़ से पनपता है,  उसमें अंदरूनी कांटे नहीं होते। मैंने मंटो से पूछा- हुजूर, एक था राजा।

एक थी रानी। दोनों मर गए, फिर क्या हुआ? मंटो बोले- तब प्रजा सुख शांति से रहने लगी। मौसम को क्या कहें- सर्दियां हैं। चोर सब पहने पुलिस की वर्दियां हैं। वोटरों के भाग्य में ही कुछ कमी है। चुनावों की आंच में कुछ दम नहीं है। जम्मू और कश्मीर वाले। झारखंडी पंख वाले। क्या जो काटें,  क्या उगावें? किस जिगर की आग से बीड़ी जलावें? भाई साहब,  डंका तो पिट रहा है,  मगर पीट कौन रहा है?  कानफोड़ ढोल, नगाड़ों, ताशों, मृदंगों और तबलों के शोर को तूती की आवाज बाहर से समर्थन दे रही है। भीतर भीतर रो रही है। समकालीन राजनीति की द्रोपदी का ऐलान है कि अब वह एक पति चुनेगी,  पुराना पंचामृत नहीं बनेगी। चाहे वह क्रोधी हो या प्रतिरोधी हो। कल सपने में शाह जी आए। मेरे कान में दहाड़े कि झारखंड हो,  कश्मीर हो। ओझा हो,  सूफी फकीर हो। जहां-जहां भी कीचड़ होगा,  वहीं-वहीं तो कमल खिलेगा। अगले साल से शायद उनसे पूछे बिना सूर्योदय भी नहीं होगा।

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