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अचानक कैसे बदल गए शिखर के सितारे

जिस बल्लेबाज ने बीते दिसंबर महीने में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन टेस्ट मैच में सिर्फ 27 की औसत से रन बनाए हों, और चौथे टेस्ट मैच के लिए ‘ड्रॉप’ कर दिया गया हो, त्रिकोणीय शृंखला में सिर्फ 19...

अचानक कैसे बदल गए शिखर के सितारे
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 23 Feb 2015 10:00 PM
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जिस बल्लेबाज ने बीते दिसंबर महीने में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन टेस्ट मैच में सिर्फ 27 की औसत से रन बनाए हों, और चौथे टेस्ट मैच के लिए ‘ड्रॉप’ कर दिया गया हो, त्रिकोणीय शृंखला में सिर्फ 19 की औसत से रन जोड़े हों, वही बल्लेबाज आज टीम इंडिया की जीत का सबसे बड़ा हीरो है। जब विश्व कप के 15 खिलाड़ियों में उन्हें जगह मिली थी, तब आलोचकों ने किस तरह चयन प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े किए थे। हर किसी की जुबान पर यही सवाल था कि विश्व कप में शिखर धवन इस फॉर्म के दम पर कैसे खेल सकते हैं?

क्रिकेट में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी बल्लेबाज ने लंबे समय तक ‘आउट ऑफ फॉर्म’ रहने के बाद धमाकेदार ‘कमबैक’ किया हो। किस तरह करीब तीन महीने के अंतर में ही उन्होंने शून्य भी देखा और शिखर भी। पर शिखर धवन ने यह कमाल किया कैसे?

शिखर जब टेस्ट सीरीज के दौरान बुरी तरह फ्लॉप हो रहे थे, तब भी उन्होंने अपना स्वाभाविक आक्रामक खेल नहीं छोड़ा, क्योंकि धौनी ने कह रखा था कि कुछ भी हो मैदान में,अपना ‘एटीट्यूड’ नहीं बदलना। यानी मैदान में वह उसी ‘टशन’ में रहेंगे, जिसके लिए वह जाने जाते हैं। धौनी शिखर धवन को टेस्ट सीरीज में ही यह भरोसा दिला चुके थे कि वह सिर्फ और सिर्फ विश्व कप की फिक्र करें, ट्राएंगुलर सीरीज में रन नहीं बनाते, तब भी उससे फर्क नहीं पड़ता।

इसी बीच शिखर ने ट्राएंगुलर सीरीज में ब्रिस्बेन में इंग्लैंड के खिलाफ एक पारी खेली। पांच गेंद पर एक रन की उस पारी ने शिखर के खेल में वह सब कुछ वापस ला दिया, जो ‘मिसिंग’ था। उस मैच में शिखर धवन एंडरसन की एक बेहद शानदार गेंद पर आउट जरूर हो गए थे, लेकिन पूरी सीरीज में पहली बार उसी मैच में ऐसा हुआ कि गेंद उनके बल्ले के बीच में लगनी शुरू हुई।

विश्व कप के पहले दोनों मैचों में शिखर धवन की बल्लेबाजी से एक बात बिल्कुल साफ समझ आई। वह बात थी  उनका धैर्य। उन्होंने दोनों मैचों में 20 मिनट गेंदबाज को दिए और 40 मिनट अपने पास रखे। उन्होंने धौनी की उस रणनीति को भी सही अंजाम दिया, जिसके मुताबिक पहले 10 ओवर में रन भले कम बने, लेकिन विकेट ज्यादा नहीं खोने हैं। दोनों मैचों में रोहित शर्मा के जल्दी आउट होने के बाद भी शिखर धवन ने अपना धैर्य बनाए रखा।

श्रेय एक और चीज को भी दिया जा सकता है। सौरव गांगुली के शब्दों में, जिंदगी में सब कुछ क्रिकेट नहीं होता। शिखर ने अपने बुरे फॉर्म से छुटकारा पाने के लिए ‘ब्रेक’ लिया। अपने परिवार के साथ वक्त बिताया। जब दोबारा मैदान में लौटे, तो उनका रंग और अंदाज, दोनों बिल्कुल अलग था। क्रिकेट में एक कहावत है कि जब फॉर्म में वापसी हो, तो जितने बन सकें, उतने रन बना लेने चाहिए। उन्होंने यही किया और सितारे शिखर पर पहुंच गए।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

 

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