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अच्छा आदमी

दुविधाग्रस्त जिंदगी जीना लगता है कि हमारी आदत बन चुकी है। हम खुद को लेकर कभी संतुष्ट नहीं होते और सामने वाले को देखकर ईर्ष्या से भी भरे रहते हैं। हम चाहते क्या हैं, यह समझने में सालों-साल गुजर...

अच्छा आदमी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 31 Mar 2015 10:15 PM
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दुविधाग्रस्त जिंदगी जीना लगता है कि हमारी आदत बन चुकी है। हम खुद को लेकर कभी संतुष्ट नहीं होते और सामने वाले को देखकर ईर्ष्या से भी भरे रहते हैं। हम चाहते क्या हैं, यह समझने में सालों-साल गुजर जाते हैं। हैरानी की बात यह है कि फिर भी हम किसी फैसले पर नहीं पहुंच पाते। इसके बावजूद आदमी को सबसे बुद्धिमान माना जाता है। यह कैसी बुद्धिमानी कि हम आगे बढ़ने की कोशिश में दूसरों को टांग मारकर गिराने को अपना अधिकार मानते हैं। या तो हमें खुद पर भरोसा नहीं है या सामने वाले से डरे रहते हैं। यह सवाल तो बनता है कि आखिर ऐसा क्यों है? थॉमस वाटसन का कहना है कि ‘अधिकतर लोग बार-बार एक-सी गलतियां करते हैं। वे असफलता से भयभीत रहते हैं।’़

इसके आगे की बात कीट्स कहते हैं, असफलता, सफलता की ओर जाने वाली सड़क है, जिस पर मिलने वाली विफलताएं हमें सफलता की खोज के लिए प्रेरित करके आगे बढ़ाती हैं। प्रत्येक नए अनुभव के साथ हम कुछ त्रुटियां भी करते जाते हैं, जिन्हें बाद में दूर किया जा सकता है।

हम सब अगर अपने अनुभवों को शेयर करें, तो एक बात कॉमन होगी कि जानते हुए भी गड्ढों में गिरने से खुद को रोक नहीं पाते। यह एक तरह की भेड़चाल है। इसमें हर कोई एक-दूसरे पर हंसने से बच जाता है। दरअसल, हम सिर्फ खुद को बड़ा आदमी साबित करने की कोशिश में परेशान रहते हैं, लेकिन वैसा बनने के बारे में सोचते नहीं। यह जानते हैं कि आगे बढ़ने के लिए जरूरी है अपेक्षा रहित सकारात्मक सोच। इसके होने से प्रेम आसानी से जागता है। प्रेम-भाव से मैत्री का अपने आप जन्म होने लगता है। तब मन में कोई भेदभाव नहीं रह जाता। आदमी होना यहीं पर महत्वपूर्ण हो जाता है। आदमी कैसा होना चाहिए? किसी ने बहुत सटीक राय दी है कि बड़ा आदमी बनना अच्छी बात है, लेकिन अच्छा आदमी बनना उससे भी बड़ी बात है।

 

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