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सैलाब के बीच सेना

जम्मू-कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका के बीच एक दिन राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हेलीकॉप्टर से बाढ़ पीड़ितों के लिए खुद खाने के पैकेट और फल गिराते नजर आए। यह दृश्य देखकर हमारे एक सहकर्मी ने टिप्पणी की...

सैलाब के बीच सेना
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 30 Sep 2014 09:45 PM
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जम्मू-कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका के बीच एक दिन राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हेलीकॉप्टर से बाढ़ पीड़ितों के लिए खुद खाने के पैकेट और फल गिराते नजर आए। यह दृश्य देखकर हमारे एक सहकर्मी ने टिप्पणी की कि उमर को अंदेशा रहा होगा कि कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आकर यह काम करने लगे, तो वह पीछे छूट जाएंगे। इसमें संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की तत्परता एजेंडा सेट करती रही है। जम्मू-कश्मीर में उन्होंने जिस तरह ‘राजधर्म’ निभाया, उसकी भरपूर वाहवाही हुई। जिस तरह वह निजी तौर पर इस बाढ़ का जायजा लेते दिखे और आगे बढ़कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी मदद की पेशकश की, इस पर कांग्रेस नेता ही नहीं, नवाज शरीफ तक ताली बजाते दिखाई पड़े।...कहा जा सकता है कि संकट की इस घड़ी को मोदी ने अपने लिए एक अवसर में बदला और कश्मीरियों को एहसास कराने की कोशिश की कि वह उनके भी प्रधानमंत्री हैं। भारतीय सेना ने यह साबित किया कि वह उनकी जान बचाने के लिए भी है। हम चाहें, तो इस सैलाब में सेना की भूमिका और कश्मीरियों की प्रतिक्रिया के बीच एक सबक सीख सकते हैं। गोली चलाती सेना किसी को मंजूर नहीं होगी, जान बचाने वाली सेना का सब स्वागत करते हैं। सेना की मौजूदा भूमिका से अगर कश्मीरियों में यह एहसास जाग पाता है कि उन्हें भी भारत का नागरिक माना जाता है और भारतीय राष्ट्र-राज्य को उनकी भी जान की  परवाह है, तो वे भारत के कहीं ज्यादा करीब आएंगे।
तहलका वेब पोर्टल में प्रियदर्शन

 

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