फोटो गैलरी

Hindi Newsहवाई सुरक्षा का अहम पड़ाव

हवाई सुरक्षा का अहम पड़ाव

भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 लड़ाकू विमान की मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेस-वे पर सफल लैंडिंग विमानन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। सबसे पहली बात तो यह जानने की है कि यह कोई नई एक्सरसाइज नहीं है,...

हवाई सुरक्षा का अहम पड़ाव
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 21 May 2015 10:27 PM
ऐप पर पढ़ें

भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 लड़ाकू विमान की मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेस-वे पर सफल लैंडिंग विमानन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। सबसे पहली बात तो यह जानने की है कि यह कोई नई एक्सरसाइज नहीं है, इसके लिए कवायद पिछले दस साल से हो रही थी। और हमने अपने पहले ही प्रयास में कामयाबी पा ली है। कल सुबह के ऑपरेशन में भारतीय वायु सेना के साथ उत्तर प्रदेश सरकार, यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी, स्थानीय पुलिस और दूसरे संबंधित विभागों ने अपनी जिम्मेदारीपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे आपात ऑपरेशनों में अच्छा समन्वय बहुत जरूरी हो जाता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि बेहद गंभीर स्थितियों में ही इस विकल्प के बारे में सोचा जाता है। वैसे, नागरिक उड्डयन के लिहाज से यह कामयाबी काफी अहमियत रखती है। मान लीजिए कि लखनऊ से आगरा की किसी नागरिक उड़ान में कोई आपात स्थिति पैदा हो गई और पायलट न तो लखनऊ लौट सकता है और न ही आगरा जा सकता है, तो ऐसी स्थिति में उसके पास एक विकल्प मौजूद होगा कि वह सैफई में हाईवे पर लैंडिंग कर ले।

हमारे देश में कल जो प्रयोग हुआ, वह कई सारे देशों में काफी पहले से हो रहा है। स्कैंडिनेवियाई देशों, खासकर स्वीडन में 25 वर्षों से यह नियमित रूप से हो रहा है। हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भी ऐसे रनवे विकसित किए हैं। पेशावर-इस्लामाबाद और लाहौर-इस्लामाबाद नेशनल हाईवे पर उसने चार इमरजेंसी रनवे तैयार किए हैं। और इन पर साल 2000 और 2010 में वह सफलता के साथ अपने जंगी विमानों की लैंडिंग भी कर चुका है। 2010 के परीक्षण में तो वह दो जेट फाइटर की इससे सफल उड़ान भी भर चुका है। जब यह सब हो रहा था, तब हम भी अपनी तैयारियों में जुटे हुए थे। और प्रसन्नता की बात है कि इसका एक चरण पूरा कर लिया गया है।     

जहां तक भारतीय वायुसेना का सवाल है, तो मैंने पहले भी कहा है कि बहुत-बहुत गंभीर स्थिति में, किसी आपातकालीन स्थिति में ही लड़ाकू विमान रोड-रनवे के इस्तेमाल के बारे में सोच सकते हैं। लेकिन नागरिक उड्डयन के भविष्य के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण विकल्प है। देश की तरक्की के लिए हमें कई सारे क्षेत्रों में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। न सिर्फ पुख्ता रक्षा तैयारियों के लिहाज से, बल्कि बेहतर नागरिक उड्डयन को ध्यान में रखते हुए भी हमें अपने बुनियादी ढांचों को दुरुस्त करना होगा। यह सुखद है कि इस दिशा में काम पहले से ही जारी है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया देश भर में कमर्शियल कोरिडोर के निर्माण में जुटा हुआ है। दिल्ली-मुंबई-कोलकाता-चेन्नई को जोड़ने वाले गोल्डन क्वाड्रिलेटरल राष्ट्रीय राजमार्ग पर काम तेजी से चल रहा है। अगले एक दशक में जब ये सभी राजमार्ग बनकर तैयार हो जाएंगे, तो इससे सड़क परिवहन के साथ-साथ हवाई परिवहन को भी काफी सहूलियतें होंगी। ये सड़कें काफी चौड़ी होंगी, इन पर डिवाइडर नहीं होगा, ताकि रोड-रनवे के रूप में ये इस्तेमाल की जा सकें। जाहिर है, इसके लिए केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय, राज्य सरकार में बेहतर तालमेल की जरूरत होगी और यमुना एक्सप्रेस-वे पर मिली कामयाबी बताती है कि यह काम काफी अच्छे तरीके से हो रहा है।

रोड रनवे की अहमियत कितनी अधिक है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि एक पायलट को सबसे अधिक परेशानी यह सोचकर होती है कि अगर रनवे पर कोई दिक्कत हो, तो वह क्या करेगा? ऐसे में, जब उनके पास विकल्प होगा, तो वे आश्वस्त हो सकेंगे कि किसी भी आपात स्थिति में वे करीबी रोड रनवे पर उतर सकते हैं। और एक बार जब यह पूरा ढांचा तैयार हो जाएगा, तो न सिर्फ वायुसेना के पायलटों को, बल्कि नागरिक विमानन से जुड़ी सेवाओं के पायलटों को भी इनकी पूरी जानकारी मुहैया कराई जाएगी। यह हम सभी जानते हैं कि देश के विकास के साथ-साथ एक बड़े तबके को सुरक्षित हवाई सेवाएं उपलब्ध करानी होंगी। इस क्षेत्र की संभावनाओं पर काम अभी शुरू ही हुआ है। जैसे-जैसे छोटे-छोटे शहर आर्थिक तरक्की की राह में अपनी अहम जगह बनाते जाएंगे, उन्हें वायु मार्ग से जोड़ने की मांग भी जोर पकड़ेगी। इसलिए इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काफी बड़ा निवेश करना होगा। और इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रस्तावित 308 किलोमीटर लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर करीब 13,000 करोड़ रुपये की रकम खर्च होने का अनुमान है।

मूल रूप से रोड रनवे की परिकल्पना लड़ाकू विमानों की लैंडिंग को ध्यान में रखकर ही की गई, क्योंकि युद्ध की स्थिति में नियमित हवाई अड्डे दुश्मनों के निशाने पर सबसे पहले होते हैं। इराक-अफगानिस्तान युद्ध में ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने उपस्थित हुए। ऐसी किसी स्थिति में रोड रनवे को बेस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जाहिर है, किसी भी मजबूत मुल्क को ऐसी सभी स्थितियों के लिए खुद को तैयार करना पड़ता है। भारतीय वायु सेना का गुरुवार का ऑपरेशन इसी दिशा में बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। हम इस बात से खुश हो सकते हैं कि सैन्य जरूरतों और नागरिक सुविधाओं के बीच इस प्रकार के समन्वय से एक नई तरह की कार्य-संस्कृति भी पैदा होगी। यह न सिर्फ हमारी रक्षा तैयारियों के लिहाज से काफी अहम प्रयास है, बल्कि नागरिक विमानन उद्योग को निरापद रास्ता उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से भी यह मील का पत्थर साबित होगा।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें