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दुश्मन हो तो ऐसा

अक्सर लोग दोस्तों के साथ अपना काफी समय और शक्ति गंवाते हैं। दोस्त तभी तक होते हैं, जब तक सब ठीक रहे। कोई विपदा आती है, तो पता चलता है कि सब भाग गए। अक्सर दोस्ती इतनी गहरी नहीं होती, जितनी कि दुश्मनी।...

दुश्मन हो तो ऐसा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 02 Aug 2015 08:36 PM
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अक्सर लोग दोस्तों के साथ अपना काफी समय और शक्ति गंवाते हैं। दोस्त तभी तक होते हैं, जब तक सब ठीक रहे। कोई विपदा आती है, तो पता चलता है कि सब भाग गए। अक्सर दोस्ती इतनी गहरी नहीं होती, जितनी कि दुश्मनी। दुश्मन हमारे रोम-रोम में बसता है, गहरे चोट पहुंचाता है। दोस्त तो ऊपर ही ऊपर रहता है। इसलिए ओशो कहते हैं कि किसी से दुश्मनी करनी हो, तो छोटे-मोटे दुश्मन मत चुनना। जितना बड़ा दुश्मन चुनोगे, उतनी ही बड़ी तुम्हारी विजय होगी। जितना छोटा दुश्मन होगा, आपको उतना ही छोटा   बनना पड़ेगा। ईसप की कथा है। एक गधे ने शेर को चुनौती दी और कहा अगर हिम्मत हो, तो आ मैदान में और हो जाए सीधा युद्ध। लेकिन शेर चुपचाप चला गया। एक सियार यह सुन रहा था।

उसने थोड़ा आगे बढ़कर शेर से पूछा- महाराज, बात क्या है? एक गधे की चुनौती को भी आप स्वीकार नहीं कर पाए? शेर ने कहा-अगर उसकी चुनौती मैं स्वीकार करूं, तो सबसे पहले यह अफवाह उड़ जाएगी कि शेर गधे से लड़ा। यह हमारे कुल में कभी नहीं हुआ कि हम गधे से लड़ें। शेर चाहें, तो गधे को खत्म कर सकते हैं, लड़ना क्या है? गधा हारा, तो उसका कोई अपमान नहीं है, और हम जीते भी तो लोग कहेंगे कि गधे से जीते, तो क्या जीते? छोटे से अगर उलझेंगे, तो दोनों तरफ से हार होगी। इसलिए दुश्मन जरा सोचकर चुनना चाहिए। मित्र तो कोई भी चल जाएगा, शत्रु जरा बड़ा चुनें, क्योंकि उससे लड़ने के लिए आपको पूरी ताकत लगानी पड़ेगी। यह संघर्ष आपको अवसर देगा अपने आत्म-विकास का। जो बाहर की चीजों से लड़ते रहते हैं, वे अगर जीत भी जाएं, तो चीजों से ही जीतते हैं। सम्राट अपने राज्य को चाहे कितना ही फैला ले, वह वस्तुओं का ही तो मालिक बनता है। यही कारण है कि इस देश में हमने उनको सम्मान दिया, जिन्होंने स्वयं को जीता।
अमृत साधना

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