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रौशननिगाह लड़कियां

तालीम की कमी किसी भी इंसान में उग्रवादी विचारों को उपजाऊ जमीन मुहैया करा सकती है, इसीलिए सभी देशों में सभी इंसानों को तालीमयाफ्ता बनाना बहुत जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इस तथ्य पर...

रौशननिगाह लड़कियां
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 29 Aug 2014 08:29 PM
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तालीम की कमी किसी भी इंसान में उग्रवादी विचारों को उपजाऊ जमीन मुहैया करा सकती है, इसीलिए सभी देशों में सभी इंसानों को तालीमयाफ्ता बनाना बहुत जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इस तथ्य पर बेहद अफसोस जताया है कि दुनिया भर में अब भी करीब पांच करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जो स्कूल नहीं जा पाते हैं। सहस्राब्दि लक्ष्यों को हासिल करने के 500 दिन रह जाने के मौके पर उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का सपना है कि दुनिया के तमाम बच्चों को पर्याप्त शिक्षा मिले। इस मौके पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत मलाला यूसुफजई से भी बातचीत की। मलाला वही पाकिस्तानी किशोरी हैं, जिन पर साल 2012 में तालिबान ने हमला किया था। बान की मून ने मलाला से बातचीत के बारे में कुछ यूं कहा, ‘मलाला यूसुफजई से मुझे भी हौसला मिलता है।

मेरा ख्याल है कि तालिबान और अन्य किस्म के उग्रवादियों को सबसे ज्यादा डर जिस बात से लगता है, वह है लड़कियों के हाथों में किताबें, यानी लड़कियों की तालीम से।’ बान की मून ने आगे कहा, यह जगजाहिर है कि जब लड़कियां शिक्षित हो जाती हैं और वे रौशन-ख्याल बनती हैं, तो फिर ऐसा कोई काम नहीं बचता, जिसे किया न जा सके और तालिबान जैसे उग्रवादी इसी रफ्तार को रोकना चाहते हैं। इसी राह से उन्हें बहुत डर लगता है। बहरहाल, सहस्राब्दि विकास लक्ष्य का मकसद दुनिया से गरीबी मिटाकर लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए प्रयास करना है। इन लक्ष्यों को पूरा करने की समय-सीमा अगले साल पूरी हो जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र रेडियो वेब पोर्टल से

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