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फौलादी इच्छाशक्ति

बुल्डोजर जैसी काया वाले वह सज्जन अमेरिकी लेखिका एदिता मौरिस की किताब पढ़ रहे थे लव टु वियतनाम। किताब पढ़ते हुए वह एक जगह रुक गए। लिखा था, ‘धुन का पक्का आदमी एक बुल्डोजर की तरह होता है, वह अपने...

फौलादी इच्छाशक्ति
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 13 Aug 2014 10:12 PM
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बुल्डोजर जैसी काया वाले वह सज्जन अमेरिकी लेखिका एदिता मौरिस की किताब पढ़ रहे थे लव टु वियतनाम। किताब पढ़ते हुए वह एक जगह रुक गए। लिखा था, ‘धुन का पक्का आदमी एक बुल्डोजर की तरह होता है, वह अपने मार्ग में आने वाले किसी रोड़े-पत्थर की कोई परवाह नहीं करता।’ किताब का एक पात्र निशीना शिंजो हिरोशिमा पर हुई परमाणु बमबारी का भुक्तभोगी है। अपनी खराब हालत के बावजूद वह वियतनाम में हो रहे युद्ध-पीड़ितों की मदद करना चाहता है और करता भी है। बम से उसके शरीर का एक हिस्सा बुरी तरह झुलस चुका है, फिर भी वह बुल्डोजर है। दरअसल, इंसानी बुल्डोजर बनने के लिए फौलादी इच्छाशक्ति होनी चाहिए। यह समझ होनी चाहिए कि बाधाओं का अस्तित्व सिर्फ इसलिए है कि उसकी ऐसी की तैसी की जाए।

विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि हर इंसान एक बुल्डोजर है, बस उसे यह मालूम होना चाहिए। चर्चिल अपनी फौज के कमांडर जनरल ट्यूडर को अपना आदर्श मानते थे। वह उनके बारे में कहते थे- वह सिर्फ खड़े रहे और बाधाओं को आने दिया, अपने आप से टकराने दिया और फिर उन्होंने उन बाधाओं को सूखी लकड़ी की तरह तोड़ दिया। यह सोचना बेवकूफी है कि आपके लिए बाधाएं नहीं बनी हैं। ये हैं और अनगिनत हैं। कामयाब वही होते हैं, जो बाधाओं को सीढ़ी और अपने जज्बे को शक्ति बना लेते हैं। जो यह समझते हैं कि वे रसातल में जा चुके हैं, उन्हें भी खुश होना चाहिए कि वे और नीचे नहीं जा सकते और उनकी एकमात्र दिशा अब ऊपर की ओर है। आप हर हाल में कामयाब हो सकते हैं, बस सोच को फौलादी बनाएं। बाधा-पुरुष न बनें। बाधा-पुरुष से मतलब है, एक ऐसा व्यक्ति, जो हमेशा बाधाओं के बारे में सोचता है। बनना है, तो ‘बुल्डोजर मैन’ बनें, जिसकी सोच यह होती है कि कहां रुकावटें मिलें और कैसे उसकी फजीहत की जाए।

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