समुद्र और तटों को प्रदूषित करने की होड़
कुछ वर्ष पहले तक देश के कई द्वीप और पहाड़ी क्षेत्र सैलानियों के लिए प्रतिबंधित थे। बाद में उन्हें भी पर्यटन के नाम पर खोल दिया गया- लक्ष्यद्वीप, अंडमान निकोबार से लेकर लद्दाख व पूर्वोत्तर के कई अंचल।...
कुछ वर्ष पहले तक देश के कई द्वीप और पहाड़ी क्षेत्र सैलानियों के लिए प्रतिबंधित थे। बाद में उन्हें भी पर्यटन के नाम पर खोल दिया गया- लक्ष्यद्वीप, अंडमान निकोबार से लेकर लद्दाख व पूर्वोत्तर के कई अंचल। पर कुछ ही समय में पर्यटन के नाम पर इन क्षेत्रों का जिस तरह अंधाधुंध व्यावसायिक दोहन हुआ, उससे सभी जगह कई तरह की समस्याएं सामने आने लगी हैं। इसमें सबसे बुरा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है। इन द्वीपों के साथ समुदी तट पर भी संकट बढ़ा है। पुरी, विशाखापत्तनम, चेन्नई से पांडिचेरी, केरल के कोवलम से लेकर कन्याकुमारी के समुद्र तटों पर जिस तरह अतिक्रमण बढ़ रहा है, उसे देखते हुए नहीं लगता कि एक-दो दशक बाद ये खुले समुद्र तट बच पाएंगे। पहले समुद्र तट पर निर्माण की दूरी पांच सौ मीटर थी, जिसे कई जगहों पर घटाकर दो सौ मीटर कर दिया गया है। इसके बावजूद चाहे पुरी का समुद्र तट देख लें या कोवलम का 20 से 50 मीटर की दूरी तक निर्माण नजर आ जाएंगे। समुद्री तटों की सुरक्षा के लिए बना तटीय नियमन क्षेत्र कानून भी इसे रोक नहीं पा रहा है।
लक्ष्यद्वीप का मशहूर बंगरम द्वीप वर्षों से एक होटल समूह के पास है और इस द्वीप तक पहुंचने के लिए कवरेती और अगाती द्वीप तक जाना होता है। पिछले दो दशक में इन दोनों द्वीप के आसपास का पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हो चुका है, जिसका असर समुद्री जीव-जंतुओं पर भी पड़ा है। वजह समुद्री जहाजों का बढ़ता फेरा और हवाई यातायात भी है। यहां पर नारियल और पपीते के अलावा कुछ नहीं होता और सारा सामान पहले बड़े समुद्री जहाज और फिर मोटरबोट के जरिये इस द्वीप तक लाया जाता है। दिन भर में कई बार इन मोटरबोटों का आना-जाना होता है और इनका कचरा भी गहरे समुद्र से लेकर लैगून में ही फेंका जाता है। समुद्र तटों के किनारे बसे रिजॉर्ट हों या द्वीप में, ये एक बड़ी समस्या हैं। कई द्वीप इस संकट से जूझ रहे हैं।
दूसरी तरफ, तटीय राज्यों में स्थिति और बदतर होती जा रही है। कोवलम केरल का सबसे खूबसूरत तट माना जाता है, लेकिन अब पहले जैसी प्राकृतिक खूबसूरती नजर नहीं आती। अतिक्रमण इस कदर हो गया है कि कोस्टल रेगुलेशन जोन यानी तटीय नियमन क्षेत्र अध्यादेश के उल्लंघन की करीब दो हजार शिकायतें आ चुकी हैं। ओडिशा में समुद्र तट पर होटलों के बढ़ते अतिक्रमण को लेकर अदालत को दखल देना पड़ा, तो गोवा में प्रभावशाली नेताओं से लेकर कई बिल्डरों के खिलाफ मामला चल रहा है। अवैध अतिक्रमण भी लगातार बढ़ रहा है। विशाखापत्तनम में समुद्र तट के किनारे से गुजरने वाली सड़क पर बहुमंजिली इमारतों की कतार खड़ी हो चुकी है और यह इस शहर का सबसे महंगा रिहायशी इलाका माना जाता है। इसका सारा कचरा भी समुद्र में बहाया जा रहा है। होटल हों, रिजॉर्ट हों या रिहायशी इमारतें, सीवर बहाने का सबसे अच्छा ठिकाना यही है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)