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आशंकाओं के बीच काबुल में नई सुबह

अफगानिस्तान में अंतत: शांतिपूर्ण तरीके से नए राष्ट्रपति का चुनाव हो गया। अशरफ गनी को शपथ दिलाई जा चुकी है। दरअसल, उनके प्रतिद्वंद्वी रहे अब्दुल्ला-अब्दुल्ला ने धांधली का आरोप लगाते हुए चुनाव परिणाम...

आशंकाओं के बीच काबुल में नई सुबह
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 16 Oct 2014 08:22 PM
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अफगानिस्तान में अंतत: शांतिपूर्ण तरीके से नए राष्ट्रपति का चुनाव हो गया। अशरफ गनी को शपथ दिलाई जा चुकी है। दरअसल, उनके प्रतिद्वंद्वी रहे अब्दुल्ला-अब्दुल्ला ने धांधली का आरोप लगाते हुए चुनाव परिणाम को मानने से इनकार कर दिया था। लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने अब्दुल्ला-अब्दुल्ला को समझाया कि अमेरिका हर हालत में दिसंबर 2014 में अफगानिस्तान से निकल जाएगा। उस सूरत में यदि अफगानिस्तान में कोई स्थिर सरकार नहीं बन सकी, तो तालिबान द्वारा फिर से घोर अराजकता पैदा कर दी जाएगी। अंतत: तय हुआ कि अशरफ गनी को राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित घोषित किया जाएगा व अब्दुल्ला-अब्दुल्ला को सरकार का ‘सीईओ’ बनाया जाएगा, जो एक तरह से प्रधानमंत्री का पद होगा। राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद अशरफ गनी ने तालिबान से अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर देश के प्रशासन में हिस्सा लें। परंतु तालिबान ने गनी के इस निमंत्रण को ठुकरा दिया और कहा कि वे जाली तरीके से चुने गए राष्ट्रपति और सीईओ को नहीं मानते और वे काबुल में इस्लामी सरकार के कायम होने तक अपना ‘जिहाद’ जारी रखेंगे।

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका गए थे, तब उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा से यह आश्वासन मांगा था कि यदि अशरफ गनी की सरकार राजनीतिक प्रक्रिया में तालिबान को शामिल करती है, तो अमेरिका को यह निश्चित करना होगा कि इसका असर भारत पर न पड़े। इस बात की चिंता अरसे से जताई जा रही है कि अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद तालिबानी आतंकी वहां फिर खून की होली खेलेंगे और वहां एक प्रकार का गृहयुद्ध शुरू हो जाएगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि भारत पहले की तरह ही अफगानिस्तान को हर तरह की मदद देता रहेगा, ताकि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके। हाल के वर्षों में भारत ने अफगानिस्तान को एक बिलियन डॉलर की मदद की है और जान की बाजी लगाकर हमारे इंजीनियर व दूसरे लोग अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में लगे हुए हैं। तालिबान ने कई इंजीनियरों का अपहरण करके कत्ल कर दिया, मगर भारत सरकार ने पुनर्निर्माण का अपना काम नहीं रोका। अपने विदाई भाषण में हामिद करजई ने इसके लिए भारत को कोटि-कोटि धन्यवाद दिया है।

पाकिस्तान यह कतई नहीं चाहता कि अफगानिस्तान में भारत का कोई रोल हो। पाकिस्तानी तालिबान व दूसरे आतंकवादियों ने तो अभी से अफगानिस्तान में घुसकर तांडव मचाना शुरू कर दिया है। अशरफ गनी सरकार देश को स्थिरता दे पाएगी या नहीं, अभी यह कहना कठिन है, परंतु काफी मुश्किलों के बाद जो नई सरकार बनी है, उसका स्वागत किया जाना चाहिए। वैसे भी, अफगानिस्तान में एक स्थिर सरकार हमारे हित में है। उसकी इस नई सुबह का हम सभी को स्वागत करना चाहिए।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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