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अश्लीलता पर नियंत्रण

भारत सरकार ने इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी पर पाबंदी लगाने का जो फैसला किया है, उसका तुरंत असर तो देखने में आया है। लगभग 850 पोर्न साइट भारत में दिखना बंद हो गई हैं। इस फैसले पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं,...

अश्लीलता पर नियंत्रण
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 04 Aug 2015 01:08 AM
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भारत सरकार ने इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी पर पाबंदी लगाने का जो फैसला किया है, उसका तुरंत असर तो देखने में आया है। लगभग 850 पोर्न साइट भारत में दिखना बंद हो गई हैं। इस फैसले पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं, खासतौर पर सोशल मीडिया पर आ रही हैं। कुछ लोग फैसले की आलोचना कर रहे हैं, जिनका तर्क है कि पोर्नोग्राफी देखने से रोकना व्यक्तिगत अधिकारों का हनन है। उनका यह भी कहना है कि पोर्नोग्राफी और यौन अपराधों में कोई सीधा रिश्ता किसी भी अध्ययन में साबित नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने भी पोर्नोग्राफी पर पाबंदी लगाने का आदेश देने से इनकार कर दिया था। अदालत का कहना था कि अगर कोई वयस्क बंद कमरे में पोर्नोग्राफी देखता है, तो उसे रोकना उसके अधिकार का हनन है। हालांकि यह अंतरिम आदेश था। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने इंटरनेट पोर्न के खिलाफ सख्त कानून की वकालत की थी और सरकार की राय मांगी थी, लेकिन इस बीच पोर्न पर पाबंदी से इनकार किया था।

यह कहना गलत है कि पोर्नोग्राफी से कोई सामाजिक-सांस्कृतिक समस्या जुड़ी नहीं है। पोर्नोग्राफी के हिमायती भी यह मानते हैं कि बच्चों को लेकर बनाई गई पोर्नोग्राफी आपराधिक है और उसे रोकने का कोई तरीका होना चाहिए। आंकड़े बताते हैं कि इंटरनेट पर उपलब्ध पोर्नोग्राफी में से लगभग 20 प्रतिशत चाइल्ड पोनोग्राफी है। इसमें हिंसक यौन का प्रदर्शन लगातार बढ़ रहा है। यह भी देखा गया है कि ऐसी पोर्नोग्राफी में  12 साल से कम उम्र के बच्चों, खासकर लड़कियों का इस्तेमाल होता है। बाल यौन शोषण और चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक-दूसरे से जुडे़ हुए हैं, इसलिए इसे रोकना हर सरकार चाहती है, लेकिन इसका कोई तरीका नजर नहीं आ रहा है। इसी तरह वयस्क पोर्नोग्राफी बनाना या देखना भी पूरी तरह जायज और सामाजिक रूप से साफ-सुथरा काम नहीं कहा जा सकता। खासकर बच्चों तक इंटरनेट पोर्न की पहुंच को कतई ठीक नहीं माना जा सकता।
दिलचस्प बात यह भी है कि भारत में पोर्न देखने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। इस वक्त पोर्न देखने के मामले में भारत का स्थान दुनिया में चौथा है और मोबाइल पर पोर्न देखने के मामले में भारतीय तीसरे नंबर पर हैं। कुछ दिनों में दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोग भारत में होंगे, जाहिर है तब पोर्न देखने वालों की तादाद भी बढ़ेगी। ऐसे में, अगर इस पर नियंत्रण की कोशिश की जाती है, तो इसे गलत नहीं कहा जा सकता।

पोर्न रोकने की कोशिश के विपक्ष में अगर कोई बात कही जा सकती है, तो वह यही कि यह व्यावहारिक रूप से बहुत मुश्किल है। जब इंटरनेट नहीं था, तब भी अश्लील साहित्य और ब्लू फिल्मों पर पाबंदी नहीं लग पा रही थी, इंटरनेट पर उसे रोक पाना उससे हजारों-लाखों गुना मुश्किल है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया में लगभग चार करोड़ पोर्न साइट हैं, और इनमें से न जाने कितनी लगातार बनती और खत्म होती रहती हैं, उन पर निगरानी रखना कुछ हद तक चीन जैसे देश में ही संभव है, जहां बड़े पैमाने पर लोग इसी के लिए नियुक्त हैं और इंटरनेट सरकारी नियंत्रण में है। चीन सरकार अपने नागरिकों पर नियंत्रण रखने के लिए अनाप-शनाप पैसा और संसाधन खर्च करती है, फिर भी उसे आंशिक कामयाबी ही मिलती है। पोर्न रोकने के लिए जो तरीके अपनाए जाते हैं, उनका इस्तेमाल अक्सर राजनीतिक विरोध या विचारों की विभिन्नता दबाने के लिए किया जाने लगता है। इसका अर्थ यह नहीं कि इंटरनेट पर पोर्न रोकने की कोशिश न की जाए, फिलहाल तो जरूरत इस बात की है कि इसके लिए लगातार बेहतर तरीके ढूंढे़ जाते रहें।

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