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दो ट्रिलियन के आगे

विश्व बैंक की एक रपट के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था अब दो ट्रिलियन डॉलर को पार कर गई है, यानी भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दो ट्रिलियन डॉलर या लगभग एक लाख पंद्रह हजार अरब रुपये के आसपास है।...

दो ट्रिलियन के आगे
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 03 Jul 2015 10:05 PM
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विश्व बैंक की एक रपट के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था अब दो ट्रिलियन डॉलर को पार कर गई है, यानी भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दो ट्रिलियन डॉलर या लगभग एक लाख पंद्रह हजार अरब रुपये के आसपास है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, यह इस बात से जाहिर है कि एक ट्रिलियन से दो ट्रिलियन तक पहुंचने में भारत को सिर्फ सात साल लगे। फिलहाल दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारत की विकास दर सबसे तेज है और तीन ट्रिलियन पहुंचने में इसे पांच साल नहीं लगने चाहिए। फिर भी हमें याद रखना चाहिए कि अभी हमें बहुत दूरी तय करनी है। चीन की आबादी लगभग भारत जितनी है और चीन की जीडीपी 10 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर यानी भारत से पांच गुनी है। मगर अब तक चीन भी प्रति व्यक्ति आय और जीवन स्तर के लिहाज से विकसित देशों की श्रेणी में नहीं आ पाया है, उसे उच्च मध्यम आय वर्ग में गिना जाता है, जबकि भारत निम्न मध्यम आय के स्तर पर है। इसके अलावा पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास व मानव विकास के अन्य पैमानों पर चीन बहुत ऊपर है, और भारत की बड़ी आबादी का जीवन स्तर फिलहाल गरीब देशों की बराबरी पर है।

फिलहाल अर्थव्यवस्था की बेहतरी के कई चिह्न दिखाई दे रहे हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का भी कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी के आसार हैं, रिजर्व बैंक ने विकास दर का आकलन भी बदल दिया है। मई में रिजर्व बैंक ने 7.3 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान लगाया था, अब उसे बदलकर 7.6 प्रतिशत कर दिया है, हालांकि वास्तविकता में क्या होगा, यह कई बातों पर निर्भर है। सबसे महत्वपूर्ण तत्व मानसून है। मौसम विभाग का आकलन अब भी यही है कि इस साल मानसून सामान्य से कम रहेगा, लेकिन जून के महीने में सामान्य से बेहतर बारिश ने उम्मीद बढ़ा दी है। देश में निवेश की गति बढ़ी है और सरकार ने ऐसे कई कदमों की घोषणा की है, जिनसे निवेश व निर्माण की गति और तेज हो। सरकार ने कृषि विकास के लिए कई घोषणाएं की हैं, जो खेती की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में कारगर हो सकती हैं। इनमें सिंचाई के लिए 50,000 करोड़ रुपये का पैकेज और खेती के उत्पादों की बिक्री के लिए ई-मार्केटिंग को मान्यता देना है। यह पूरी दुनिया का अनुभव है कि खेती में तेजी से विकास बड़ी जनसंख्या को गरीबी से बाहर निकालने का सबसे कारगर उपाय है, लेकिन भारत में खेती की विकास दर अच्छे वक्त में भी चार प्रतिशत तक पहुंचती है। मानसून खराब होता है, तो यह दो प्रतिशत के आसपास मुश्किल से पहुंच पाती है। जहां सिंचाई-व्यवस्था है, वहां तो ज्यादा दिक्कत नहीं होती, लेकिन ज्यादातर खेती बारिश पर निर्भर है, इसलिए खेती को नुकसान ज्यादा होता है। सिंचाई की सुविधाएं और उत्पादों के सही दाम मिलें, तो कृषि विकास दर बढ़ सकती है।

अर्थव्यवस्था के फैलने का वास्तविक फायदा तब है, जब आम लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठे। भारत में सबसे बड़ी जरूरत सार्वजनिक सेवाओं की बेहतरी की है। हमारे लिए एक बड़ी चुनौती समाज में सुविधा संपन्न और सुविधाहीन लोगों के बीच बढ़ती खाई है। इस खाई को पाटने के लिए बड़ी जरूरत सार्वजनिक सेवाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और आवास के क्षेत्र में तरक्की करने की है, ताकि सभी लोग इन सेवाओं को पा सकें। अच्छी बात यह है कि भारत का विकास निर्यात आधारित नहीं, बल्कि घरेलू उपभोग पर आधारित है, इसलिए अपने लोगों का जीवन स्तर उठाना इस विकास को और ज्यादा तेजी देगा।

 

 

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