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सबसे पुरानी दोस्ती

एक पुरानी कहावत है कि कुत्ता इंसान का सबसे अच्छा दोस्त होता है। कोई भी दूसरा जीव इतना करीबी दोस्त नहीं होता। दुनिया में किन्हीं भी दो प्रजातियों में ऐसे घुल-मिलकर रहने का दूसरा उदाहरण नहीं मिलता।...

सबसे पुरानी दोस्ती
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 24 May 2015 07:56 PM
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एक पुरानी कहावत है कि कुत्ता इंसान का सबसे अच्छा दोस्त होता है। कोई भी दूसरा जीव इतना करीबी दोस्त नहीं होता। दुनिया में किन्हीं भी दो प्रजातियों में ऐसे घुल-मिलकर रहने का दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। कुत्ते को इंसानी परिवार का अंग मानने के हम इतने आदी हो गए हैं कि अक्सर यह सवाल हमारे दिमाग में नहीं आता कि इंसान और कुत्ते की यह दोस्ती शुरू कब हुई। कुत्ते के इंसान के साथ रहने के सबसे पुराने पुरातात्विक साक्ष्य लगभग 15,000 साल पहले के हैं, इसलिए यह माना जाता रहा है कि इसी दौरान जब इंसान घुमंतू शिकारी था और अन्न पैदा करने की बजाय जंगली जानवरों के शिकार से या जंगल से बटोरकर भोजन पाता था, तब कुत्ते से उसकी दोस्ती नहीं थी। उसकी दोस्ती कुत्ते से तब हुई होगी, जब इंसान ने बसना और खेती करना शुरू कर दिया। अब एक नए अध्ययन ने साबित किया है कि कुत्ते और इंसान का साथ 27,000 से 40,000 साल पुराना है। स्वीडन ने कुछ वैज्ञानिकों ने उत्तरी साइबेरिया में मिली एक भेडि़ए के जबड़े की हड्डी के डीएनए विश्लेषण से यह नतीजा निकाला।

यह हड्डी तकरीबन 35,000 साल पुरानी है और इसके डीएनए विश्लेषण से पता चला कि भेडि़यों से कुत्तों का विकास उस दौर में शुरू हो गया था, इस मायने में कुत्ता इंसान का सबसे पुराना दोस्त भी है। यानी इंसान जब घुमंतू शिकारी था, तभी से कुत्तों से उसकी निकटता शुरू हो गई थी। शायद इंसानों के समूह जब जंगलों में शिकार और खाद्य वनस्पतियों की खोज में घूमते होंगे, तब भेडि़यों के झुंड उनके आसपास मंडराते होंगे या यह भी मुमकिन है कि भेडि़यों के बच्चों को इंसानों ने पालना शुरू कर दिया होगा। यह दोस्ती परस्पर सहजीविता की थी, जिससे दोनों को फायदा हुआ। कुत्ते की सूंघने की ताकत जबर्दस्त होती है। कुत्ते की विभिन्न नस्लों में सूंघने की ताकत इंसान के मुकाबले कुछ लाख या करोड़ गुना होती है। दूसरी ओर इंसान की नजर दिन में कुत्ते से बेहतर होती है, हालांकि रात में कुत्ते की नजर ज्यादा तेज होती है। इस तरह शिकार में इंसान को कुत्ते से बड़ी सहायता मिलती होगी और दोनों एक-दूसरे के लिए सुरक्षा के साथी भी बनते होंगे। जब इंसान ने बस्तियां बसाई और खेती, पशुपालन शुरू किया, तो कुत्ता रखवाली में बड़ा कारगर साबित हुआ, उसके बदले कुत्ते को भोजन व मौसम की मार से सुरक्षा हासिल हुई।

यह लंबा दौर कुत्तों में बहुत सारा बदलाव लाया। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बदलाव ज्यादातर स्वभावगत है, शारीरिक कम है। अलग-अलग इलाकों में इंसानी जरूरत के हिसाब से कुत्तों का स्वभाव भी अलग-अलग है। कुत्तों की जो नस्लें आम तौर पर पशुपालक लोगों के साथ रहकर विकसित हुई हैं, उनका स्वभाव शांत होता है, शिकार के लिए जो नस्लें बनी हैं, उनका स्वभाव आक्रामक होता है और उनकी सूंघने की क्षमता भी ज्यादा होती है। भावनाओं की सूक्ष्मता पहचानने के लिहाज से कुत्ते जीवशास्त्रीय नजरिये से इंसान की करीबी वानर प्रजातियों से काफी आगे हैं। अगर वे किसी इंसान के साथ हैं, तो वे उसके बदलते मूड को भांपकर उसके हिसाब से अपना व्यवहार बदल सकते हैं। उनकी सीखने की क्षमता भी किसी और प्राणी से ज्यादा होती है, बल्कि कुछ मायनों में यह क्षमता इंसानों जितनी होती है। जाहिर है, अगर 30,000 से 40,000 साल पुरानी दोस्ती है, तो कुत्तों ने इंसानों से बहुत कुछ सीखा है। यह सवाल अलग है कि इंसानों ने कुत्तों से क्या सीखा? इस लंबे रिश्ते को समझना इंसानी इतिहास समझने के लिए बहुत जरूरी है, ऐसा उन विशेषज्ञों का मानना है, जो इसे समझने की कोशिश में लगे हुए हैं।

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