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दीर्घजीवी महिलाएं

महिलाओं के लिए समाज में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा असुविधाएं हैं, मगर एक मामले में वे पुरुषों से बेहतर स्थिति में हैं। महिलाओं की औसत आयु पुरुषों से ज्यादा होती है। मानव जाति के इतिहास में लगातार यही...

दीर्घजीवी महिलाएं
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 04 Oct 2015 08:56 PM
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महिलाओं के लिए समाज में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा असुविधाएं हैं, मगर एक मामले में वे पुरुषों से बेहतर स्थिति में हैं। महिलाओं की औसत आयु पुरुषों से ज्यादा होती है। मानव जाति के इतिहास में लगातार यही स्थिति रही है कि महिलाओं की औसत आयु पुरुषों से लगभग पांच प्रतिशत ज्यादा रही है। ऐसा क्यों है? इसे जानने की कई कोशिशें हुई हैं, लेकिन पिछले कुछ वक्त में ही कुछ ठोस वजहों तक पहुंचा जा सका है। इन नतीजों से यह उम्मीद बंधती है कि महिलाओं व पुरुषों को दीर्घजीवी बनाने के कुछ उपाय खोजे जा सकते हैं। पहले यह सोचा जाता था कि पुरुष ज्यादा कठिन और ज्यादा मात्रा में काम करते हैं, उनका काम कठिन परिस्थितियों के बीच होता है, इसलिए उनका शरीर जल्दी जवाब दे जाता है। लेकिन आधुनिक काल में महिला और पुरुषों के बीच यह फर्क घटता जा रहा है, इसलिए इनकी औसत उम्र के बीच फर्क भी घटना चाहिए था, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। पुराने जमाने में जब सभी की औसत उम्र कम थी, तब भी फर्क इतना ही था और अब भी उतना ही है।

एक कारण यह सोचा गया कि पुरुष शराब, सिगरेट और दूसरे नशों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, खाने-पीने और दूसरी आदतों में भी वे ज्यादा अनियमित होते हैं। पर यह कारण भी गलत पाया गया। नशे या अनियमितता की वजह से औसत उम्र कम जरूर होती है, लेकिन वह अतिरिक्त है। जो भी ऐसा करता है, उसकी उम्र पर इन चीजों का असर होता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला, लेकिन बुनियादी नियम वही है। अब माना जाने लगा है कि पुरुषों और महिलाओं की जेनेटिक संरचना में इसका भेद छिपा है। पुरुषों की कोशिकाओं में एक्स-वाई क्रोमोजोम होते हैं और महिलाओं में एक्स-एक्स क्रोमोजोम। इसका अर्थ यह है कि महिलाओं की कोशिकाओं में हर जीन की एक अतिरिक्त प्रति होती है। यानी किसी जीन में कोई गड़बड़ हो जाए, तो उसका 'स्पेयर' मौजूद होता है, यह सुविधा पुरुषों को नहीं मिली। एक और कारण यह बताया जाता है कि मासिक धर्म के दूसरे  पखवाड़े में महिलाओं की दिल की धड़कन कुछ बढ़ जाती है।

यह परिवर्तन कुछ व्यायाम जैसा फायदा देता है और इससे दिल की बीमारियां होने की आशंका कम हो जाती है। लेकिन सबसे विश्वसनीय कारण हारमोन में छिपा है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन नामक हारमोन होता है, जिससे उनकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं, उनकी आवाज भारी होती है और उनकी दाढ़ी-मूछें निकलती हैं। टेस्टोस्टेरॉन की वजह से शरीर युवावस्था में तो ज्यादा मजबूत होता है, लेकिन उम्र बढ़ते-बढ़ते उसमें टूट-फूट भी जल्दी होती है और दिल की बीमारियों के लिए जिम्मेदार होता है। जबकि महिलाओं में इस्ट्रोजन नामक हारमोन होता है, इस्ट्रोजन में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं, यानी वह बुढ़ापे के नुकसान को रोकता है। लेकिन प्रकृति ने पुरुषों के साथ यह अन्याय किया तो क्यों किया? वैज्ञानिक इसका जो जवाब देते हैं, वह पुरुषों के अहंकार को चोट पहुंचाने वाला हो सकता है।

उनका कहना है कि प्रकृति हर प्रजाति को ऐसे बनाती है कि उसका फलना-फूलना सुनिश्चित हो सके। मानव प्रजाति के फलने-फूलने में गर्भधारण तक पुरुष की भूमिका सीमित है। उसके बाद पुरुष की खास जरूरत नहीं है, लेकिन बच्चे का लालन-पालन तो मां ही करती है, इसलिए उसका दीर्घजीवी होना और ज्यादा दिनों तक स्वस्थ रहना जरूरी है। अब महिला और पुरुषों की परंपरागत भूमिकाएं भी बदल रही हैं और इस मामले में वैज्ञानिक जानकारी भी बढ़ रही है, इसलिए हो सकता है कि हम सभी के दीर्घजीवन के लिए नए उपाय खोज सकें।

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