मंद पड़ती चमक
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के दामों में अचानक तेज गिरावट आई है। पिछले कुछ वक्त से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम भी काफी कम चल रहे हैं और आने...
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के दामों में अचानक तेज गिरावट आई है। पिछले कुछ वक्त से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम भी काफी कम चल रहे हैं और आने वाले वक्त में उनके ज्यादा तेज होने की कोई आशंका फिलहाल नहीं दिखती। अमेरिका-ईरान के बीच परमाणु समझौते से यह संभावना काफी मजबूत हो गई है कि ईरान पर से प्रतिबंध हटेंगे और ईरानी कच्चा तेल भी बाजार में आ जाएगा। भारत के आयात में सबसे बड़ा हिस्सा कच्चे तेल का है, इसलिए तेल के दाम घटने से आयात-निर्यात संतुलन या चालू खाते का हिसाब बेहतर स्थिति में पहुंच गया है। आयात में दूसरा सबसे बड़ा बोझ सोने का होता है और सोने के दामों में कमी से इसका आयात बिल भी कम होगा। पहले ही पिछले साल के मुकाबले सोने का आयात इस तिमाही में कम हुआ है। पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल से जून के बीच 221 टन सोना आयात हुआ था, जिसकी कीमत 54,800 करोड़ रुपये थी। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 203 टन सोना देश में आयात हुआ है, जिसकी कीमत 46,000 करोड़ रुपये है।
सोने के दामों में तेज गिरावट की कई वजहें हैं। पहली वजह तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर के दामों में रिकॉर्ड तेजी है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था तेजी से बेहतरी की ओर बढ़ रही है। ऐसे में, डॉलर तेजी से ऊपर जा रहा है। सामान्य नियम यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के दामों में कमी का सीधा रिश्ता अमेरिकी अर्थव्यवस्था और डॉलर से है। जब भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था कमजोर होती है, तो अपनी स्थिति सुरक्षित करने के लिए वित्तीय संस्थान और निवेशक डॉलर बेचकर सोने की खरीद करने लगते हैं, जिससे सोने के दाम बढ़ने लगते हैं। सन 2008 की आर्थिक मंदी के बाद इसीलिए सोने के दाम आसमान छूने लगे थे। जैसे-जैसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था संभलने लगी, सोने के दामों में कमी आने लगी।
फिलहाल डॉलर के दामों में तेज उछाल की वजह यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व यानी वहां की केंद्रीय मुद्रा नियंत्रक एजेंसी की अध्यक्ष जेनेट येलेन ने यह घोषणा की है कि इस साल के अंत में अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की खरीदारी तेज हो गई और उसके दाम बढ़ गए। इसके परिणामस्वरूप चीनी व्यापारियों ने काफी सारा सोना बेचने के लिए बाजार में डाल दिया और सोने के दाम पिछले पांच साल में सबसे निचले स्तर पर आ गए। चीन सोने का सबसे बड़ा ग्राहक है, क्योंकि चीन में भी सोने को लेकर कुछ उसी तरह का आकर्षण है, जैसे भारत में है। ऐसे में, चीन अगर बड़े पैमाने पर सोना बेचने लगे, तो कीमतों का गिरना स्वाभाविक है। इसके अलावा धीरे-धीरे शेयर बाजार में लोगों का विश्वास फिर से जमने लगा है और लोग उसमें निवेश करने लगे हैं, जिससे सोने की मांग कम हुई है।
जब दुनिया में सोने के दाम बढ़ते हैं, तब भी भारतीय सोना खरीदते हैं और दाम कम होते हैं, तब भी वे इसे खरीदने का अच्छा मौका समझते हैं। इसी वजह से सोने का दाम घट जाने से भारत में आभूषणों का व्यापार करने वाली बड़ी कंपनियों के शेयर चढ़ गए हैं। सोने के दाम घटने से उनकी लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा। इसके अलावा इससे यह भी उम्मीद बनी है कि सोने के आयात पर लगे प्रतिबंध कुछ ढीले पड़ेंगे। वैसे भी अब त्योहारों का मौसम बहुत दूर नहीं है। भारतीयों के सोने के प्रति आकर्षण के बारे में बहुत कुछ कहा जा चुका है। हालांकि भविष्य में जल्दी ही सोने के दाम बढ़ने की संभावना लगभग नहीं है, यह भी याद रखना चाहिए।